India GDP Growth: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटा दिया है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अब देश की GDP ग्रोथ 6.2% रहने का अनुमान जताया गया है। IMF ने जनवरी 2025 में अनुमान दिया था कि भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.5% रह सकती है।
IMF ने क्यों घटाया ग्रोथ का अनुमान
IMF की World Economic Outlook (WEO) रिपोर्ट के दूसरे अपडेट में कहा गया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि अपेक्षाकृत स्थिर बनी हुई है, लेकिन वैश्विक हालात इसके लिए भी चुनौती पेश कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत के लिए FY26 में 6.2 प्रतिशत की ग्रोथ प्राइवेट कंजंप्शन, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों की मांग से समर्थित रहेगी। लेकिन यह हमारे जनवरी के अनुमान से 30 बेसिस प्वाइंट कम है।”
FY27 के लिए भी ग्रोथ अनुमान घटाया
IMF ने FY27 के लिए भी भारत की विकास दर का अनुमान घटाया है। अब यह 6.3% रहने का अनुमान है, जबकि पहले 6.5% की संभावना जताई गई थी। संस्था का कहना है कि ट्रेड वॉर के असर से अगले वित्त वर्ष की संभावनाओं पर भी दबाव बना रहेगा।
अन्य वैश्विक एजेंसियों का भी सतर्क रुख
IMF से पहले विश्व व्यापार संगठन (WTO) और संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) ने भी इसी महीने भारत के विकास अनुमान में कटौती की थी।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी अप्रैल 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा में FY26 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान को 6.7% से घटाकर 6.5% कर दिया है। वहीं, गोल्डमैन सैक्स ने भी अप्रैल में भारत की ग्रोथ प्रोजेक्शन को 6.3% से घटाकर 6.1% किया था।
महंगाई में राहत की उम्मीद
हालांकि, महंगाई के मोर्चे पर IMF को सकारात्मक संकेत दिख रहे हैं। FY26 में भारत की उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (CPI) 4.2% रहने का अनुमान है, जो कि FY25 में 4.7% थी। FY27 में महंगाई दर के 4.1% तक घटने की उम्मीद जताई गई है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर मंदी का साया
IMF ने FY25 के लिए वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान भी घटा दिया है। अब यह 2.4% रहने की संभावना है, जो जनवरी में 3.2% अनुमानित थी। FY24 में वैश्विक अर्थव्यवस्था 3.5% की दर से बढ़ी थी।
अमेरिका की GDP ग्रोथ FY25 में घटकर 1.5% रह सकती है, जो पहले 2.4% आंकी गई थी। चीन की विकास दर में भी बड़ी गिरावट का अनुमान है। अब इसके 3.2% रहने की संभावना है, जो पहले 4.5% बताई गई थी।
टैरिफ युद्ध से बढ़ी अनिश्चितता
IMF ने यह विश्लेषण 4 अप्रैल 2025 तक की परिस्थितियों के आधार पर किया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने की घोषणा की थी।
हालांकि 9 अप्रैल को इसे चीन को छोड़कर अन्य देशों के लिए टाल दिया गया। इसके बावजूद, अमेरिका और चीन के बीच नए शुल्कों की घोषणा के बाद व्यापारिक तनाव फिर से गहराने लगे हैं।