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LIC की जल्द हेल्थ इंश्योरेंस बिजनेस में होगी एंट्री: 31 मार्च तक स्टैंडअलोन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान करेगी

LIC की जल्द हेल्थ इंश्योरेंस बिजनेस में होगी एंट्री:  31 मार्च तक स्टैंडअलोन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान करेगी

 

सरकारी कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) जल्द ही एक हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी में हिस्सेदारी खरीद सकती है। मंगलवार को LIC के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर सिद्धार्थ मोहंती ने कहा कि इंश्योरेंस कंपनी चालू वित्त वर्ष 25 के आखिरी तक यानी 31 मार्च तक एक स्टैंडअलोन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी में हिस्सेदारी के अधिग्रहण की घोषणा कर सकती है।

 

हालांकि, सिद्धार्थ मोहंती ने उस कंपनी का नाम नहीं बताया है, जिसमें LIC महत्वपूर्ण हिस्सेदारी हासिल करना चाहती है। मोहंती ने मुंबई में ग्लोबल कॉन्फ्रेंस ऑफ एक्चुअरीज के मौके पर कहा, ‘हमारे पास योजनाएं हैं और कंपनी के साथ चर्चाएं फाइनल स्टेज में हैं।

LIC के लिए हेल्थ इंश्योरेंस में प्रवेश करना एक नेचुरल चॉइस है। रेगुलेटरी अप्रूवल्स में समय लगता है, इसलिए मुझे उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष के भीतर 31 मार्च से पहले फैसला लिया जाएगा।’

LIC बहुमत हिस्सेदारी हासिल नहीं करेगी

मोहंती ने यह भी स्पष्ट किया कि LIC हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी में बहुमत हिस्सेदारी हासिल नहीं करेगी। वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में LIC ने कहा था कि वह हेल्थ इंश्योरेंस बिजनेस में प्रवेश करने के लिए वित्त वर्ष 2025 में एक स्टैंडअलोन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी में हिस्सेदारी हासिल करना चाहती है।

अभी मार्केट में सात स्टैंडअलोन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां हैं, जिसमें स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस, निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस, केयर हेल्थ इंश्योरेंस, आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस, मणिपाल सिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस, नारायण हेल्थ इंश्योरेंस और गैलेक्सी हेल्थ इंश्योरेंस के नाम शामिल हैं।

LIC ने RBI से लॉन्ग टर्म बॉन्ड्स मांगे

इसके अलावा मोहंती ने बताया कि LIC ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI से एडिशनल लॉन्ग टर्म बॉन्ड्स जारी करने की रिक्वेस्ट की है। LIC ने पहले 40 साल के बॉन्ड की रिक्वेस्ट की थी, जिसे RBI ने मंजूरी दे दी। अब, LIC 50 साल और 100 साल के बॉन्ड के लिए RBI के साथ चर्चा कर रही है।

मोहंती ने कहा, ‘हम लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स हैं। कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार भुगतान करने के लिए हमारे पास कॉन्ट्रैक्चुअल ऑब्लिगेशन्स यानी अनुबंध संबंधी दायित्व हैं। इसलिए, मुझे निवेश और एसेट लायबिलिटी मैनेजमेंट को ठीक से मैनेज करना होगा। पश्चिमी देशों में लॉन्ग टर्म बॉन्ड्स हैं।’ इससे पहले RBI ने इंश्योरेंस और पेंशन फंड्स की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए 50 साल के बॉन्ड पेश किए थे

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