Last Updated on November 15, 2025 17:51, PM by Khushi Verma
बड़ी टेक कंपनियों के मुनाफे पर सवाल खड़े हो गए हैं। निवेशक माइकल बरी ने बताया कि कंपनियां एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर के जीवनकाल को बढ़ा रही हैं। इससे खर्च कम दिख रहा है और मुनाफा ज्यादा। मेटा, अल्फाबेट और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां इस तरीके का इस्तेमाल कर रही हैं। यह अकाउंटिंग का नया तरीका है जो खर्चों को छुपाता है।
निवेशक की बड़ी चेतावनी
बरी ने चेतावनी दी है, ‘ये अकाउंटिंग बदलाव गैरकानूनी नहीं हैं। लेकिन, ये असल खर्चों को छुपाते हैं।’ उन्होंने हाल ही में अपने फंड का एसईसी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन) से रजिस्ट्रेशन रद्द करवा लिया है। इससे उनकी बातों को और भी गंभीरता से लिया जा रहा है।
उदाहरण के लिए मेटा अब अपने कंप्यूटिंग गियर का जीवनकाल चार साल की जगह साढ़े पांच साल बता रही है। इस एक बदलाव से 2025 में उसका डेप्रिसिएशन (घटने वाले मूल्य का खर्च) लगभग तीन अरब डॉलर कम हो जाएगा। माइक्रोसॉफ्ट और अल्फाबेट ने भी इसी तरह अपने हार्डवेयर की उपयोगिता अवधि बढ़ा दी है। इससे उनके डेप्रिसिएशन खर्च कम हुए हैं, मुनाफा बढ़ा है और निवेशक खुश हैं।
हालांकि, हर कोई इस बात से सहमत नहीं है। अमेजन ने इसके उलट रास्ता अपनाया है। चिप्स के तेजी से बदलते अपग्रेड को देखते हुए अमेजन ने अपने सर्वर का जीवनकाल छह साल से घटाकर पांच साल कर दिया है।
अमेरिप्राइज फाइनेंशियल के चीफ मार्केट स्ट्रैटेजिस्ट एंथनी सैग्लिमिने कहते हैं, ‘एआई का हाइप अब उस दौर में पहुंच गया है जहां उसे आर्थिक रूप से खुद को साबित करना होगा। निवेशक अब और मुश्किल सवाल पूछ रहे हैं।’
कंपनियों का एआई पर भारी खर्च
कंपनियां एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भारी खर्च कर रही हैं। अगले 12 महीनों में मेटा, अल्फाबेट, अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट की एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 460 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च करने की उम्मीद है। इस पैसे का बड़ा हिस्सा ऐसे उपकरणों पर जाएगा जिनकी कीमत बहुत जल्दी घटती है।
नई अकाउंटिंग व्यवस्था के बावजूद डेप्रिसिएशन की लागत बढ़ रही है। पिछली तिमाही में अल्फाबेट, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट ने 22 अरब डॉलर का डेप्रिसिएशन दिखाया, जो पिछले साल इसी अवधि में 10 अरब डॉलर था। अगले साल तक यह आंकड़ा 30 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
इसके बावजूद तीसरी तिमाही के नतीजे उम्मीदों से बेहतर रहे। ‘मैग्निफिसेंट सेवन’ (सात बड़ी टेक कंपनियां) लगभग 27% मुनाफे की ग्रोथ की राह पर हैं, जो पहले के अनुमानों से लगभग दोगुना है।
कुछ विश्लेषक अभी भी इन कंपनियों के भविष्य को लेकर उत्साहित हैं। वहीं, यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के प्रोफेसर स्टीफन ग्लेसर जैसे लोग मानते हैं कि खतरा वास्तविक है। वह कहते हैं, ‘अगर एआई से मिलने वाला रिटर्न तेजी से नहीं बढ़ा तो ये संपत्तियां बेकार साबित होंगी।’