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IPO Bazaar: बदल रही है निवेशकों की पसंद, अब बड़े आईपीओ में भी खूब आ रहे हैं सब्सक्रिप्शन

IPO Bazaar: बदल रही है निवेशकों की पसंद, अब बड़े आईपीओ में भी खूब आ रहे हैं सब्सक्रिप्शन

Last Updated on November 14, 2025 9:43, AM by Khushi Verma

IPO Market Trend: आईपीओ बाजार में अब ट्रेंड बदल रहा है। कुछ साल पहले तक जहां बड़े आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए संघर्ष करते थे, वहीं अब इन्हें आराम से कई गुना अभिदान मिल जा रहा है। इस साल तो कई बड़े आईपीओ को दो अंकों में ओवरसब्सक्रिप्शन मिला है।

बिग टिकट आईपीओ अब डिमांड में हैं
 
मुंबई: इन दिनों आईपीओ (Initial Public Offerings) मार्केट की हवा खराब है। कल ही बड़ी मुश्किल से फिजिक्सवाला का आईपीओ भरा है। लेकिन कुछ आईपीओ में ट्रेंड बदला है। पहले जहां बड़े आईपीओ निवेशकों को खास आकर्षित नहीं कर पाते थे, वहीं इस साल के कुछ आईपीओ ने यह ट्रेंड बदल दिया है। इस साल बड़े आईपीओ को भी निवेशकों से ज़बरदस्त मांग मिल रही है। ₹5,000 करोड़ से बड़े आईपीओ में इस साल औसतन 17.7 गुना सब्सक्रिप्शन मिला है। यह 2021 के बाद सबसे ज़्यादा है और पिछले सालों के 8-10 गुना के औसत से काफी बेहतर है।

छह में चार ब्लॉकबस्टर

इस साल अब तक लॉन्च हुए छह बड़े आईपीओ में से चार तो ‘ब्लॉकबस्टर’ साबित हुए हैं। इन्हें डबल डिजिट में सब्सक्रिप्शन मिला है। इनमें LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया (38.17 गुना), Lenskart सॉल्यूशंस (28.35 गुना), HDB फाइनेंशियल सर्विसेज और Groww (दोनों 17.6 गुना) शामिल हैं। वहीं, Hexaware टेक्नोलॉजीज और Tata कैपिटल के आईपीओ में क्रमशः 2.27 गुना और 1.96 गुना सब्सक्रिप्शन के साथ थोड़ी कम प्रतिक्रिया मिली। आईपीओ बाजार के जानकारों का कहना है कि इसकी वजह यह है कि संस्थागत निवेशकों (institutional investors) के पास इस समय खूब पैसा है।

बड़ी डिमांड संस्थागत निवेशकों से

केजरी रिसर्च के फाउंडर अरुण केजरीवाल बताते हैं “सब्सक्रिप्शन का बड़ा हिस्सा, यानी 75-80% हिस्सा संस्थागत निवेशकों से आता है। इसके बाद कॉर्पोरेट ट्रेजरी और बैंक ट्रेजरी आईपीओ में निवेश करते हैं। हालांकि, वे लिस्टिंग के पहले ही दिन बाहर निकल जाते हैं।” साल 2021 में आईपीओ की बूम की एक बड़ी वजह Nykaa था, जिसके आईपीओ को 81 गुना सब्सक्रिप्शन मिला था। इस साल आईपीओ की मांग काफी व्यापक रही है।

बड़े इश्यूज में कम सब्सक्रिप्शन

आमतौर पर बड़े इश्यू में छोटे इश्यू की तुलना में सब्सक्रिप्शन कम मिलता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि बड़े इश्यू अक्सर लिस्टिंग पर अच्छा रिटर्न (listing gains) देने में संघर्ष करते हैं। एक थ्योरी यह है कि बड़े इश्यू में जितने ज़्यादा शेयर होते हैं, खासकर अगर उनकी कीमत ज़्यादा रखी गई हो, तो लिस्टिंग पर अच्छा उछाल (listing pop) मिलने की संभावना उतनी ही कम हो जाती है। इस बार बड़े आईपीओ की मांग ज़्यादा होने का एक और कारण यह है कि Tata कैपिटल और HDB जैसे कई आईपीओ इश्यू से पहले ही अनलिस्टेड मार्केट (unlisted market) में ट्रेड हो रहे थे। केजरीवाल का कहना है “इससे एक रेफरेंस प्राइस (reference price) बन जाता है, और जब यह आईपीओ प्राइस से अलग होता है, तो निवेशकों के लिए शॉर्ट-टर्म आर्बिट्रेज (short-term arbitrage) के मौके खुल जाते हैं और वे आईपीओ के लिए बोली लगाने को प्रोत्साहित होते हैं।” कुल मिलाकर, 2025 में इन छह बड़े आईपीओ ने करीब ₹62,000 करोड़ जुटाए। ETIG के आंकड़ों के मुताबिक, 2025 में अब तक 84 आईपीओ ने कुल ₹1.29 लाख करोड़ जुटाए हैं।

पहले बड़े इश्यू संघर्ष करते थे

साल 2021 को देखें तो Nykaa को छोड़कर, Paytm और Sona BLW Precision Forgings जैसे अन्य बड़े इश्यू मुश्किल से दो गुना सब्सक्रिप्शन पार कर पाए थे। साल 2022 में, LIC के ₹20,557 करोड़ के इश्यू को 2.65 गुना सब्सक्रिप्शन मिला था, जबकि Delhivery ने 1.33 गुना का आंकड़ा छुआ था। 2023 में ₹5,000 करोड़ से बड़े आकार का कोई आईपीओ नहीं आया था। 2024 में, बुल मार्केट ने Bajaj Housing Finance (49.97 गुना) और Vishal Mega Mart (20.47 गुना) के आईपीओ में निवेशक की मांग को बढ़ावा दिया। इक्विरस कैपिटल के एमडी और इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के हेड भावेश शाह ने हमारे सहयोगी ईटी से कहा “निवेशकों की पसंद में disruptive models वाले व्यवसायों के लिए एक मजबूत बदलाव आया है। निवेशक ऐसी कंपनियों का समर्थन नहीं करना चाहते जो दूसरों की नकल कर रही हों, जब तक कि वे अपनी श्रेणी के लीडर न हों।”

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