Last Updated on November 13, 2025 1:43, AM by Pawan
जब बात निवेश की आती है, तो पारंपरिक विकल्पों से हटकर वैकल्पिक निवेश फंड (Alternative Investment Funds – AIF) एक महत्वपूर्ण और प्रभावी विकल्प बनकर उभरे हैं। AIF ऐसे फंड होते हैं जो कई निवेशकों से पूंजी जुटाकर उसे रियल एस्टेट, प्राइवेट इक्विटी, हेज फंड, कमोडिटीज जैसे गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में लगाते हैं। 2025 में यह विकल्प तेज़ी से लोकप्रिय हो रहे हैं, खासकर उन्हीं निवेशकों के बीच जो उच्च रिटर्न के साथ जोखिम भी लेने को तैयार हैं।
AIF क्या हैं?
AIF एक पंजीकृत फंड आधारित संस्था है जिसे SEBI नियंत्रित करता है। यह फंड केवल योग्य निवेशकों से निवेश स्वीकार करता है, जिनकी न्यूनतम निवेश राशि ₹1 करोड़ होती है। इसका उद्देश्य निवेशकों को पारंपरिक स्टॉक, बॉन्ड आदि के बजाय विविध पोर्टफोलियो और उच्च रिटर्न के अवसर प्रदान करना है।
– श्रेणी I AIF: इसमें वे फंड आते हैं जो स्टार्टअप्स, सोशल वेंचर, SME और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सामाजिक और आर्थिक रूप से लाभदायक क्षेत्रों में निवेश करते हैं।
– श्रेणी II AIF: ये फंड प्राइवेट इक्विटी और डेट फंड जैसे क्षेत्रों में निवेश करते हैं, जिन्हें कम नियामक प्रतिबंधों का पालन करना पड़ता है।
– श्रेणी III AIF: ये अधिक जोखिम लेकर रिटर्न बढ़ाने के लिए डेरिवेटिव्स और लिवरेज में निवेश करते हैं, जैसे हेज फंड।
AIF के फायदे
– उच्च रिटर्न की संभावना: पारंपरिक म्यूचुअल फंड या FD की तुलना में बेहतर रिटर्न।
– पोर्टफोलियो में विविधता: रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर, प्राइवेट इक्विटी आदि में निवेश।
– कम बाजार उतार-चढ़ाव प्रभावित: सीधे शेयर बाजार से जुड़े न होने के कारण स्थिरता।
– विशेषज्ञ प्रबंधन: अनुभवी फंड मैनेजर्स द्वारा प्रबंधन।
जोखिम एवं चुनौतियां
– उच्च न्यूनतम निवेश: ₹1 करोड़ जैसा बड़ा निवेश आवश्यक।
– निकासी की सीमाएं: लॉक-इन अवधि के कारण तुरंत पैसे निकालना मुश्किल।
– नियामक जोखिम: SEBI नियमों में बदलाव से प्रभाव पड़ सकता है।
AIF उन निवेशकों के लिए आदर्श हैं जो सुरक्षित और विविध निवेश चाहते हैं और जिनके पास निवेश के लिए पर्याप्त पूंजी मौजूद है। यदि आप पारंपरिक विकल्पों से आगे बढ़कर सीमित जोखिम के साथ बेहतर रिटर्न चाहते हैं, तो AIF आपके लिए एक उपयुक्त विकल्प हो सकता है।