Last Updated on November 13, 2025 1:46, AM by Pawan
सरकार ने देश के छोटे-बड़े सभी निर्यातकों को वित्तीय सहायता देने के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम (CGSE) को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट ने आज (12 नवंबर) यह फैसला लिया।
इसके तहत नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) 100% क्रेडिट गारंटी देगी, जिससे एक्सपोर्टर्स को बिना किसी कोलैटरल (लोन के बदले गारंटी) के 20,000 करोड़ रुपए तक का अतिरिक्त क्रेडिट मिल सकेगा।
NCGTC लोन देने वाली बैंक को गारंटी देगी
यह स्कीम डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज (DFS) के जरिए लागू होगी। NCGTC लोन देने वाली बैंक या फाइनेंशियल कंपनियों को गारंटी देगी, ताकि वो एलीजिबल एक्सपोर्टर्स को आसानी से लोन दे सकें। इसके लिए एक मैनेजमेंट कमेटी भी बनेगी, जिसकी चेयरमैनशिप DFS के सेक्रेटरी करेंगे। ये कमेटी स्कीम की प्रोग्रेस पर नजर रखेगी।

क्रेडिट गारंटी स्कीम के 4 फायदे
- स्कीम से एक्सपोर्टर्स को लिक्विडिटी (कैश) का सपोर्ट मिलेगा।
- बिना गारंटी के लोन मिलने से बिजनेस का संचालन ज्यादा आसान और स्मूथ रहेंगे।
- MSME एक्सपोर्टर्स, जो कुल एक्सपोर्ट का करीब 45% हैं, उनको इससे बड़ी राहत मिलेगी।
- मार्केट डाइवर्सिफिकेशन आसान होगा, यानी नए इमर्जिंग मार्केट्स में एंट्री कर सकेंगे।
अभी भारतीय एक्सपोर्ट पर 50% अमेरिकी टैरिफी
अमेरिका ने इस साल अगस्त से इंडियन इंपोर्ट्स (भारत के लिए ये एक्सपोर्ट्स होंगे) पर 50% टैरिफ लगाए हैं, जो MSME के निर्यातकों को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। इसी को काउंटर करने के लिए सरकार ने यह क्रेडिट गारंटी स्कीम अप्रूव की है, जो उन्हें लिक्विडिटी और मार्केट डाइवर्सिफिकेशन में मदद देगी।
इससे पहले अगस्त-सितंबर 2025 में ही सरकार ने अमेरिकी टैरिफ्स के प्रभाव से बचाने के लिए क्रेडिट सपोर्ट और रिलीफ पैकेज की प्लानिंग शुरू की थी। यह 1 ट्रिलियन डॉलर (करीब 89 लाख करोड़) एक्सपोर्ट टारगेट को ट्रम्प के टैरिफ्स के बावजूद सेफ रखने का स्ट्रैटेजिक स्टेप है।

एक्सपोर्ट इंडस्ट्रीज में 4.5 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार
ये एक्सपोर्ट्स भारत की इकोनॉमी के मजबूत पिलर हैं। पिछले यानी वित्त वर्ष 2024-25 में ये GDP का 21% हिस्सा थे। MSME और छोटे निर्यातक और फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व को सपोर्ट करते हैं।
एक्सपोर्ट-ओरिएंटेड इंडस्ट्रीज में 4.5 करोड़ से ज्यादा लोग डायरेक्ट-इनडायरेक्ट रोजगार में हैं। लेकिन मार्केट डाइवर्सिफिकेशन यानी दुनियाभर के बाजार में जगह बनाने और ग्लोबल कॉम्पिटिशन के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता की जरूरत थी।
1. भारत का अमेरिका को एक्सपोर्ट चार महीने में 37.5% घटा: महंगे दामों पर कपड़े-ज्वेलरी US नहीं भेज रहे व्यापारी; ट्रम्प के 50% टैरिफ का असर

अमेरिका के भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत से अमेरिका सामन भेजना अब एक्सपोर्टर्स को महंगा पड़ रहा है। इसके चलते पिछले चार महीनों में अमेरिका को एक्सपोर्ट में 37.5 फीसदी की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।