Last Updated on November 12, 2025 17:19, PM by Pawan
लो कॉस्ट एयरलाइन स्पाइसजेट का जुलाई-सितंबर तिमाही (Q2FY26) में कॉन्सोलिडेटेड नेट लॉस सालाना आधार पर 35% बढ़कर ₹621 करोड़ पहुंच गया। ये पिछले साल की सामान तिमाही में ₹458 करोड़ था।
कंपनी का ऑपरेशनल रेवेन्यू भी 13% घटकर ₹792 करोड़ रह गया । ये पिछले साल की समान तिमाही में 915 करोड़ रुपए था।
स्पाइसजेट का घाटा बढ़ने के तीन कारण
ऑपरेटिंग कॉस्ट बढ़ना: फ्लीट रिवाइवल का मतलब है पुराने प्लेनों को सुधारना—जैसे इंजन ठीक करना, पार्ट्स बदलना। स्पाइसजेट ने Q2 में कई प्लेन ग्राउंडेड (उड़ान बंद) रखे, जिसका खर्च 297 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। एक्सपैंशन (नई फ्लाइट्स जोड़ना) का भी कॉस्ट बढ़ा, क्योंकि नए प्लेन खरीदने या लीज पर लेने में पैसे लगे। इससे कुल ऑपरेटिंग कॉस्ट (रनिंग खर्च) 13% YoY बढ़ गया। कंपनी का कहना है कि यह शॉर्ट-टर्म दर्द है, लेकिन लंबे समय में फ्लीट मजबूत बनेगी।
लीजन डिमांड कम, मानसून में पैसेंजर घटे: लीजन डिमांड का मतलब है मानसून सीजन (जुलाई-सितंबर) में यात्रा कम होना। इस समय लोग कम घूमते हैं, क्योंकि बारिश और छुट्टियों का समय होता है। स्पाइसजेट का रेवेन्यू 792 करोड़ रुपए रहा, जो पिछले साल के 915 करोड़ से 13% कम है। QoQ में यह 29% गिरा, क्योंकि Q1 में डिमांड ज्यादा थी। पैसेंजर लोड फैक्टर 84.3% रहा, लेकिन कुल टिकट बिक्री कम हुई। इससे कमाई घटी, और घाटा बढ़ा। कंपनी ने कहा कि Q3 से त्योहारी सीजन में सुधार होगा।
सप्लाई चेन की समस्या: सप्लाई चेन की समस्या का मतलब है पार्ट्स और इंजन की कमी। स्पाइसजेट के कई प्लेन ग्राउंडेड रहे, क्योंकि इंजन ओवरहॉल (ठीक करना) में देरी हुई। ग्लोबल सप्लाई चेन इश्यूज (जैसे शिपमेंट डिले) से पार्ट्स लेट आए। इससे फ्लाइट्स कम चलीं, और ऑपरेशनल खर्च बढ़ा। Q2 में 297 करोड़ का ऑपरेटिंग लॉस इसी से आया। कंपनी ने कहा कि Q3 में फ्लीट रेडी होगा, लेकिन अभी यह घाटे का बड़ा कारण बना।
6 महीने में 23% गिरा स्पाइसजेट का शेयर
तिमाही नतीजों के दिन पहले स्पाइसजेट का शेयर 4.17% चढ़कर 35.48 पर बंद हुआ। एयरलाइन कंपनी के शेयर ने एक महीने में 5.50% का रिटर्न दिया है। जबकि, लॉन्ग टर्म यानी 6 महीने में 23.20% और एक साल में -38.21% गिरा है। स्पाइसजेट का मार्केट कैप 5,000 करोड़ रुपए है।
कॉन्सोलिडेटेड मुनाफा मतलब पूरे ग्रुप का प्रदर्शन
कंपनियों के रिजल्ट दो भागों में आते हैं- स्टैंडअलोन और कॉन्सोलिडेटेड। स्टैंडअलोन में केवल एक यूनिट का वित्तीय प्रदर्शन दिखाया जाता है। जबकि कॉन्सोलिडेटेड या समेकित फाइनेंशियल रिपोर्ट में पूरी कंपनी की रिपोर्ट दी जाती है।
भारत की लो कॉस्ट एयरलाइन है स्पाइसजेट
स्पाइसजेट भारत की लो कॉस्ट एयरलाइन है, जो देश के सुदूर कोनों को जोड़ती है। कंपनी भारत के भीतर 48 डेस्टिनेशन और इंटरनेशनल डेस्टिनेशन के लिए लगभग 250 फ्लाइट डेली ऑपरेट करती है। स्पाइसजेट के बेड़े में बोइंग 737 मैक्स, बोइंग 700 और क्यू400 शामिल हैं।
स्पाइसजेट ब्रांड की शुरुआत 2004 में हुई थी, लेकिन इसका एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट (AOC) 1993 का है। तब एसके मोदी के स्वामित्व वाली एक एयर टैक्सी कंपनी ने जर्मन एयरलाइन के साथ लुफ्थांसा के साथ पार्टनरशिप की थी। 1996 में इसके ऑपरेशन बंद हो गए थे।
2004 में, एंटरप्रेन्योर अजय सिंह ने भारत की लो कॉस्ट एयरलाइन स्पाइसजेट बनाने की योजना बनाई। स्पाइसजेट की पहली फ्लाइट 24 मई 2005 को लीज्ड बोइंग 737-800 का उपयोग करके नई दिल्ली (DEL) से मुंबई (BOM) के लिए रवाना हुई थी।