Last Updated on November 9, 2025 7:41, AM by Khushi Verma
लोन इंश्योरेंस एक ऐसी पॉलिसी होती है जो अप्रत्याशित घटनाओं जैसे नौकरी जाने, बीमारी या मृत्यु के समय आपके लोन के बकाया भुगतान को कवर करती है। इसे लोन प्रोटेक्शन इंश्योरेंस भी कहा जाता है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी मुश्किल वक्त में आपके या आपके परिवार पर लोन का बोझ न पड़े।
कब लें लोन इंश्योरेंस?
अगर आपने बड़ा या लंबी अवधि का लोन लिया है, तो इंश्योरेंस लेना सबसे बेहतर होता है। इससे आपको मानसिक शांति मिलती है कि अचानक वित्तीय संकट आने पर आपका लोन चुका दिया जाएगा। विशेषकर अगर आपकी आय अस्थिर है या नौकरी सुरक्षा कम है, तो यह पॉलिसी आपकी वित्तीय सुरक्षा का कवच बनती है।
छोटे लोन या कम अवधि वाले लोन पर इंश्योरेंस लेना जरूरी नहीं माना जाता। यदि आप पहले से ही हेल्थ या लाइफ इंश्योरेंस धारक हैं, और उसमें आपका कर्ज भी कवर हो रहा है, तो दोहराव से बचने के लिए अतिरिक्त लोन इंश्योरेंस की जरूरत नहीं। साथ ही, अगर आपकी वित्तीय स्थिति मजबूत है और आप लोन की मासिक किश्तें आसानी से चुकाने में सक्षम हैं, तो भी यह पॉलिसी जरूरी नहीं होती।
लोन इंश्योरेंस कैसे काम करता है?
आप प्रीमियम के तौर पर निश्चित राशि का भुगतान करते हैं, जो लोन के टेकन्योर, आपकी उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। किसी विपरीत स्थिति में क्लेम करने पर बीमा कंपनी आपके बकाया लोन को चुकाती है। पॉलिसी में अधिकतर मौत, स्थायी विकलांगता या नौकरी छूटने जैसी स्थिति को कवर किया जाता है।
फायदे और सावधानियां
लोन इंश्योरेंस के कारण परिवार वित्तीय संकट से बच सकता है और आपका क्रेडिट स्कोर भी सुरक्षित रहता है। हालांकि, पॉलिसी लेने से पहले शर्तों को ध्यान से पढ़ें और समझें कि कौन-कौन से जोखिम कवर हैं। जरूरत न हो तो अनावश्यक प्रीमियम से बचें।
इस तरह, लोन इंश्योरेंस आपकी और आपके परिवार की वित्तीय सुरक्षा के लिए एक उपयोगी विकल्प हो सकता है, यदि इसे सही समय और सही परिस्थिति में लिया जाए।