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₹300 करोड़ की जमीन डील मामले में अजित पवार के बेटे की कंपनी को देनी होगी ₹42 करोड़ की डबल स्टाम्प ड्यूटी

₹300 करोड़ की जमीन डील मामले में अजित पवार के बेटे की कंपनी को देनी होगी ₹42 करोड़ की डबल स्टाम्प ड्यूटी

Last Updated on November 9, 2025 18:26, PM by Pawan

Pune Land Deal: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़े पुणे के बहुचर्चित भूमि सौदे को लेकर विवाद और गहरा गया है। अधिकारियों ने बताया है कि पार्थ और उनके चचेरे भाई दिग्विजय पाटिल की अमाडिया एंटरप्राइजेज को पुणे के मुंडवा इलाके में स्थित विवादित 40 एकड़ जमीन की बिक्री विलेख रद्द कराने के लिए ₹42 करोड़ का दोगुना स्टाम्प शुल्क चुकाना होगा। इसके साथ ही धोखाधड़ी और गबन के आरोप में दिग्विजय पाटिल, शीतल तेजवानी और उप-पंजीयक आर.बी. तारू के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।

कानून के अनुसार कार्रवाई होगी: फडणवीस

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले में ‘किसी को बचाने’ की बात से इनकार करते हुए कहा है कि सरकार कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई करेगी। FIR में पार्थ पवार का नाम न होने की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए फडणवीस ने कहा, ‘जो लोग FIR क्या होती है, यह भी नहीं समझते, वे ही निराधार आरोप लगा रहे हैं। FIR कंपनी और उसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं के खिलाफ दर्ज की गई है।’

डील रद्द करने के लिए चुकाना होगा ₹42 करोड़

पंजीकरण और स्टाम्प विभाग के अनुसार, अमाडिया एंटरप्राइजेज ने पहले जमीन पर डेटा सेंटर बनाने की योजना बताकर 7% स्टाम्प शुल्क में छूट का दावा किया था, जिसकी राशि ₹21 करोड़ थी। अब कंपनी को न केवल यह मूल 7% शुल्क चुकाना होगा, बल्कि बिक्री विलेख को रद्द करने के लिए अतिरिक्त 7% शुल्क भी देना होगा।अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि रद्दीकरण विलेख तभी निष्पादित किया जाएगा जब पूरा बकाया चुका दिया जाएगा। संयुक्त उप-पंजीयक ए.पी. फुलावारे ने पुष्टि की कि रद्दीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ाने से पहले दस्तावेज़ पर ‘विधिवत मुहर’ लगी होनी चाहिए।

पुणे जमीन विवाद का क्या है पूरा मामला?

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार की कंपनी अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी पुणे के मुंडवा-कोरेगांव पार्क इलाके में स्थित लगभग 40 एकड़ महर वतन जमीन के कथित अवैध अधिग्रहण को लेकर गहरे विवाद में घिर गई है। आरोप है कि इस जमीन का बाजार मूल्य लगभग ₹1,800 करोड़ है, जिसे पार्थ की कंपनी ने सिर्फ ₹300 करोड़ में खरीदने का प्रयास किया था। यह जमीन दलितों के लिए आरक्षित महार वतन श्रेणी की है और कथित तौर पर सरकारी है। विवाद तब और बढ़ा जब कंपनी पर लगभग ₹21 करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी भी माफ कराने का आरोप लगा।

मामला सामने आने के बाद राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले की जांच के आदेश दिए और तहसीलदार समेत कई अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, जिसमें पार्थ के सहयोगी दिग्विजय पाटिल और शीतल तेजवानी का नाम शामिल है। विवाद बढ़ता देख, अजीत पवार ने इस डील को रद्द करने की घोषणा की है, लेकिन अब कंपनी को रद्दीकरण के लिए ही लगभग ₹42 करोड़ का डबल स्टाम्प शुल्क चुकाने का नोटिस मिला है।

शरद पवार ने जांच का किया समर्थन

अजित पवार के चाचा और पार्थ के दादा, NCP (SP) अध्यक्ष शरद पवार ने इस सौदे की जांच का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को ‘सभी तथ्य जनता के सामने रखने चाहिए।’ शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले के उस बयान से खुद को दूर कर लिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें विश्वास नहीं है कि पार्थ कुछ भी गलत करेगा। पवार ने साफ कहा, “वह उनका अपना विचार हो सकता है। प्रशासन, राजनीति और परिवार अलग-अलग चीजें हैं।’

इस बीच, महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने मांग की है कि सरकार पुणे और मुंबई में बड़े भूमि लेनदेन पर श्वेत पत्र जारी करे और आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान इस पर एक दिन की चर्चा आयोजित करे।

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