Last Updated on November 9, 2025 20:59, PM by Pawan
भारत की विदेशी टेक्नोलॉजी पर बढ़ती निर्भरता को लेकर चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है। इसी बीच Zoho के फाउंडर श्रीधर वेम्बू ने सुझाव दिया है कि देश को ’10-Year National Mission for Tech Resilience’ शुरू करना चाहिए। यह बात उन्होंने उद्योगपति हर्ष गोयनका के एक पोस्ट के जवाब में कही, जिसमें भारत की डिजिटल कमजोरी पर गंभीर सवाल उठाए गए थे।
अगर अमेरिकी टेक बंद हो जाए तो?
RPG एंटरप्राइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने X (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट किया, ‘कल्पना कीजिए कि अगर ट्रंप भारत को अमेरिकी टेक प्लेटफॉर्म्स- X, Google, Instagram, Facebook, ChatGPT इस्तेमाल करने से रोक दें। कितना बड़ा असर होगा? हमारा प्लान B क्या है?’ इस कल्पना ने तुरंत भारत की तकनीकी निर्भरता पर नई बहस छेड़ दी।
वेम्बू का जवाब: ये है असली खतरा
श्रीधर वेम्बू ने गोयनका से सहमति जताते हुए कहा कि भारत सिर्फ सोशल मीडिया या ऐप्स पर निर्भर नहीं है, बल्कि असली खतरा कोर टेक्नोलॉजी पर निर्भरता है।
उनका कहना है कि भारत की निर्भरता OS, चिप्स, फाउंड्रीज, फैब्स और हार्डवेयर लेयर तक जाती है। इसी वजह से देश को एक लॉन्ग टर्म टेक रेजिलिएंस मिशन की जरूरत है। इससे बुनियादी टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता हासिल की जा सके। वेम्बू ने कहा, ‘हमें 10 साल का ‘नेशनल मिशन फॉर टेक रेजिलिएंस’ चाहिए। यह किया जा सकता है।’
भारत की डिजिटल कमजोरी कहाँ है?
भारतीय डिजिटल इकोसिस्टम- मोबाइल OS से लेकर क्लाउड कंप्यूटिंग तक बड़ी हद तक विदेशी कंपनियों पर टिका है।
एक्सपर्ट का कहना है कि अगरकभी अमेरिकी कंपनियां भारत के लिए अपनी सेवाएं रोक दें, तो कम्युनिकेशन, बैंकिंग, गवर्नेंस, ईमेल, पेमेंट सिस्टम और करोड़ों लोगों की रोजमर्रा की डिजिटल सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। कुछ ही समय के लिए भी ऐसा करना देश की आर्थिक और प्रशासनिक व्यवस्था पर बड़ा असर डाल सकता है।
वेम्बू का विजन: ऐप्स नहीं, बेस टेक में आत्मनिर्भरता
वेम्बू का मानना है कि भारत को सिर्फ ऐप डेवलपमेंट पर नहीं, बल्कि कोर टेक पर फोकस करना चाहिए। जैसे कि चिप डिजाइन, फैब्रिकेशन यूनिट्स, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर और अपने ऑपरेटिंग सिस्टम। उनके मुताबिक, असली टेक स्वतंत्रता तभी आएगी जब भारत बेस लेयर टेक्नोलॉजी खुद बना सके।
क्या यह मिशन मुमकिन नहै?
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने वेम्बू के सुझाव का समर्थन किया, लेकिन कुछ यूजर्स ने सवाल उठाया कि ग्लोबल टेक इकोसिस्टम से बाहर निकलना कितना व्यावहारिक है। इसके बावजूद, चर्चा इस दिशा में इशारा कर रही है कि टेक्नोलॉजिकल आत्मनिर्भरता अब सिर्फ आर्थिक विकल्प नहीं, बल्कि रणनीतिक जरूरत बन चुकी है।
हालांकि, वेम्बू की बातों से पता चलता है कि भारत को भविष्य के लिए एक मजबूत, सुरक्षित और स्वतंत्र डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए। टेक रेजिलिएंस अब सिर्फ विकास का मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय बन चुका है।