Last Updated on November 8, 2025 18:16, PM by Pawan
कॉर्पोरेट्स बॉन्ड्स में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ रही है। ऐसे इनवेस्टर्स कंपनियों के बॉन्ड्स में निवेश कर रहे हैं, जो थोड़े रिस्क के साथ पारंपरिक ट्रेडिशनल फिक्स्ड-इनकम के मुकाबले ज्यादा रिटर्न चाहते हैं। कंपनियां बिजनेस के लिए फंड जुटाने के वास्ते कॉर्पोरेट बॉन्ड्स का इस्तेमाल करती हैं। कॉर्पोरेट बॉन्ड्स सेबी के रेगुलेशन के तहत आते हैं। कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में निवेश करने वाले इनवेस्टर्स को सालाना इंटरेस्ट मिलता है।
एनालिस्ट्स का कहना है कि कॉर्पोरेट बॉन्ड मार्केट 2020 में सेबी के रिक्वेस्ट फॉर कोट (RFQ) प्रोटोकॉल लागू करने के बाद 10 गुना बढ़ा है। इससे कॉर्पोरेट बॉन्ड मार्केट में पारदर्शिता आई है और डिजिटल ट्रेडिंग को बढ़ावा मिला है। कुछ कॉर्पोरेट बॉन्ड्स की यील्ड काफी ज्यादा है। ये निवेशकों को 9-14 फीसदी तक रिटर्न ऑफर करते है। हालांकि, एनालिस्ट्स का कहना है कि कॉर्पोरेट्स बॉन्ड्स में निवेश का फैसला सिर्फ रिटर्न को देखकर नहीं लिया जा सकता।
विंट वेल्थ के को-फाउंडर अजिंक्य कुलकर्णी ने कहा, “अगर आप थोड़ा रिस्क ले सकते हैं तो कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में निवेश करना फायदेमंद है।” हालांकि, इनवेस्टर्स को कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में निवेश करने से पहले पूरी तरह से रिसर्च कर लेना चाहिए। इनवेस्टर्स को यह देखने की जरूरत है कि कंपनी की ट्रैक रिकॉर्ड कैसा है। यह भी देखना जरूरी है कि कंपनी का मैनेजमेंट कैसा है।
कुलकर्णी ने कहा, “इक्विटी म्यूचुअल फंड्स रिस्क को मैनेज करते हैं। कॉर्पोरेट बॉन्ड्स के जरिए भी रिस्क को मैनेज किया जा सकता है।” कंपनियों के बॉन्ड्स में शॉर्ट टर्म के इनवेस्टमेंट पर अच्छी यील्ड की संभावना होती है। रेटिंग एजेंसियां कंपनियों के बॉन्ड्स को रेटिंग देती हैं। यह रेटिंग ‘डी’ से लेकर ‘एएए’ के बीच होती है। डी रेटिंग का मतलब हाई डिफॉल्ट रिस्क होता है। एएए रेटिंग का मतलब कंपनी की अच्छी वित्तीय सेहत होती है।
उदाहरण के लिए Progfin ने अक्तूबर में कॉर्पोरेट बॉन्ड्स लॉन्च किए थे, जिनकी रेटिंग ‘बीबीबी प्लस’ थी। इसकी यील्ड 11.75 फीसदी थी। इन बॉन्ड्स का मैच्योरिटी पीरियड 14 महीने था। कुलकर्णी ने कहा, “मेरा अभी भी मानना है कि लंबी अवधि की ग्रोथ के लिए इक्विटी अच्छा है। अगर आपको 10 साल के लिए इनवेस्टमेंट करना है तो आप इक्विटी में कर सकते हैं।” एक्सपर्ट्स का कहना है कि शॉर्ट टर्म मैच्योरिटी यानी 5 साल तक की मैच्योरिटी वाले कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में अच्छा रिटर्न मिलता है।