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फाइनेंस बिल 2026 में GST रिफॉर्म्स के बड़े प्रस्ताव शामिल हो सकते हैं, जानिए क्या है सरकार का पूरा प्लान

फाइनेंस बिल 2026 में GST रिफॉर्म्स के बड़े प्रस्ताव शामिल हो सकते हैं, जानिए क्या है सरकार का पूरा प्लान

Last Updated on November 8, 2025 9:49, AM by Khushi Verma

सरकार फाइनेंस बिल 2026 में जीएसटी के नियमों में कई संशोधन पेश कर सकती है। इसका मकसद जीएसटी के कंप्लायंस को आसान बनाना और बिजनेसेज के लिए लिक्विडिटी बढ़ाना है। सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि फास्ट-ट्रैक रजिस्ट्रेशन, इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर (आईडीएस) के तहत ऑटोमैटिक 90 फीसदी रिफंड और कुछ दूसरे नियमों को आसान बनाने के प्रस्ताव फाइनेंस बिल 2026 में शामिल हो सकते हैं।

कानूनों में बदलाव के प्रस्ताव अगले बजट में शामिल होंगे

सरकार के सीनियर अफसर ने कहा, “सरकार इनसे जुड़े कानून में बदलाव का प्रस्ताव आने वाले बजट में पेश करेगी।” उन्होंने कहा कि अभी संशोधन को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सरकार का फोकस जल्द रजिस्ट्रेशन और रिफंड के सेटलमेंट पर है। इवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत 90 फीसदी प्रोविजनल रिफंड के प्रस्ताव को भी शामिल किया जा रहा है।

जीएसटी के फास्ट-ट्रैक रजिस्ट्रेशन सिस्टम पर फोकस

लो-रिस्क टैक्सपेयर्स के लिए रिस्क आधारित फास्ट-ट्रैक रजिस्ट्रेशन सिस्टम काम कर रहा है। इससे आधार और पैन के वेरिफिकेशन के तीन दिन के अंदर नया जीएसटी रजिस्ट्रेशन एप्रूव्ड हो जाता है। इसका मकसद जीएसटी रजिस्ट्रेशन में होने वाली देरी खत्म करना है। हालांकि, हाई-रिस्क टैक्सपेयर्स के मामले में पूरी स्क्रूटनी हो रही है, जिसके लिए डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल हो रहा है। यह व्यवस्था 1 नवंबर से लाग हो गी है। लेकिन, इसके लिए कानून में अभी जरूरी संसोधन नहीं हुआ है।

ऑटोमैटिक 90 फीसदी रिफंड से होगा फायदा

अधिकारियों ने बताया कि सरकार का फोकस फेसलेस और टेक्नोलॉजी आधारित प्रोसेसेज पर है। इससे मैनुअल इंटरवेशन यानी इनसानी हस्तक्षेप में कमी आएगी। फाइनेंस बिल में इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए ऑटोमैटिक 90 फीसदी रिफंड का कानून शामिल हो सकता है। अगर यह सिस्टम लागू होता है तो टैक्सपेयर को सिस्टम आधारित चेक के बाद अपने आप 90 फीसदी रिफंड क्लेम का पेमेंट हो जाएगा। बाकी 10 फीसदी पेमेंट कुछ जरूरी वेरिफिकेशन के बाद होगा।

मैन्युफैक्चरर्स और एक्सपोर्ट्स के लिए बढ़ेगी लिक्विडिटी

इंडस्ट्री की तरफ से सरकार को आईडीएस के तहत रिफंड की प्रोसेसिंग में देरी की शिकायतें मिलती रही हैं। सरकार का मानना है कि अपफ्रंट रिफंड्स शुरू होने से मैन्युफैक्चरर्स और एक्सपोर्टर्स के लिए लिक्विडिटी बढ़ेगी। इसके लिए कानून में जरूरी संशोधन के प्रस्ताव फाइनेंस बिल में शामिल होंगे, जिसे संसद में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।

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