Last Updated on November 7, 2025 16:05, PM by Pawan
Crude Oil: देश का अमेरिका से क्रू़ड इंपोर्ट बढ़ा है। अक्टूबर में 5.68 लाख BPD का इंपोर्ट हुआ। मार्च 2021 के बाद US से सबसे ज्यादा इंपोर्ट हुआ। नवंबर में 4.50-5 लाख BDP इंपोर्ट संभव है। 2025 में औसतन 3 लाख BDP इंपोर्ट हुआ। हाल में रूसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा है। रोसनेफ्ट, लुकोइल पर US ने प्रतिबंध लगाया है।
अक्टूबर 2025 में भारत का US से 5.68 लाख BPD क्रूड इंपोर्ट हुआ। जबकि नवंबर में 4.50-5.00 लाख BPD क्रूड इंपोर्ट का अनुमान है।
एनर्जी एक्सपर्ट्स नरेंद्र तनेजा का कहना है कि भारत अमेरिका से क्रूड का ज्यादा इंपोर्ट कर रहा है। रूसी कंपनियों पर प्रतिबंध से पहले से ही इंपोर्ट बढ़ रहा है। चीन के खिलाफ भारत को अमेरिका का साथ चाहिए। रूसी तेल पर नहीं कंपनियों पर यूएस ने प्रतिबंध लगाया है।
उन्होंने कहा कि भारत अब भी रूस से क्रूड इंपोर्ट कर रहा है। रूस से भारत तेल आने में 1 महीने का वक्त लगता है। वहीं मिडिल ईस्ट से क्रूड भारत आने में सिर्फ 4 दिन लगते हैं। भारत 40 देशों से कच्चे तेल का इंपोर्ट करता है।
भारत सरकार राष्ट्रहित में फैसला लेती है। भारतीय कंपनियों को कोई आदेश नहीं दिए है कि आप इस देश से तेल मंगवाए और किस देश ने नहीं। कंपनियां पूरी तरह से स्वतंत्र है।
यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रूस से इंपोर्ट सिर्फ 2 फीसदी का था। ट्रंप के सलाहकारों ने उन्हें गलत जानकारी दी है। ट्रंप के रोसनेफ्ट, लुकोइल पर प्रतिबंध लगाया है। अमेरिका में क्रूड का उत्पादन रिकॉर्ड स्तरों पर चल रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत कहीं से भी 62-63 डॉलर प्रति बैरल के भाव तेल की खरीद करता है तो हमारी अर्थव्यवस्था अच्छी है। दुनिया में तेल की उपलबअमेरिका क्रूड का भाव 60 डॉलर के ज्यादा नहीं चाहता है। भारत ने बजट 70 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर बजट बना रखा है।
डिमांड और सप्लाई के फंडामेटल से देखें तो क्रूड की कीमत 58-59 प्रति बैरल के आसपास होनी चाहिए। बाकी जितने भी प्राइस दिख रहा है वह जियोपॉलिटिकल तनाव के कारण है। क्योंकि डिमांड और सप्लाई के हिसाब से कच्चे तेल की कीमतें 59 प्रति बैरल के आसपास होनी चाहिए।