Last Updated on November 6, 2025 11:47, AM by Khushi Verma
DII and FII holdings in NSE: भारत स्टॉक मार्केट में इस समय बदला-बदला नजारा देखने को मिल रहा है। इस समय निवेश के मामले में घरेलू निवेशक काफी आगे निकल गए हैं।
क्या हैं अंतर के मायने?
Asit C Mehta Intermediates में रिसर्च हेड सिद्दार्थ भामरे का कहना है कि FII और DII की होल्डिंग के बीच बढ़ता अंतर कॉर्पोरेट इंडिया के ‘रिटेलाइजेशन’ को दिखाता है। उन्होंने कहा कि म्यूचुअल फंड में आने वाले ज्यादातर पैसे खुदरा निवेशकों से आते हैं, जबकि संस्थागत पैसा ट्रस्ट और फैमिली ऑफिस के जरिए लगाया जाता है।इस तिमाही में भारतीय कंपनियों में म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी बढ़कर 10.9% हो गई है, जो जून तिमाही में 10.56% थी। यह बढ़ोतरी खुदरा निवेशकों से आने वाले मजबूत फ्लो की वजह से हुई है, क्योंकि हर महीने सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए रिकॉर्ड पैसा आ रहा है।
विदेशी निवेशक कर रहे बिकवाली
जुलाई से सितंबर के बीच विदेशी निवेशकों ने 1.02 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे। इसी दौरान घरेलू निवेशकों ने 2.21 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। IIFL Capital Services Ltd. में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट श्रीराम वेलयुधन ने बताया कि विदेशी निवेशक साल के ज्यादातर समय से बिकवाली कर रहे हैं। वे अमेरिका और चीन, ताइवान और कोरिया जैसे दूसरे उभरते बाजारों को तरजीह दे रहे हैं। दिसंबर 2020 से भारतीय कंपनियों में विदेशी हिस्सेदारी लगातार घट रही है। लेकिन जून 2023 के बाद से यह गिरावट तेज हुई है। जून 2023 में उनकी हिस्सेदारी 18.96% थी, जबकि दिसंबर 2020 में यह 21.21% थी।
गिरावट पर लग रहे ब्रेक
विदेशी फंडों में जोखिम से बचने की सोच के बावजूद, भारतीय शेयर बाजार घरेलू निवेश के लगातार फ्लो की वजह से संभला हुआ है। प्राइम डेटाबेस ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रणव हलदिया ने कहा कि पहले जब विदेशी निवेशक पैसा निकालते थे तो बाजार में बड़ी गिरावट आती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है, क्योंकि घरेलू निवेश सहारा दे रहा है।