कंपनियों के शेयर बायबैक प्रोग्राम में 2025 में 95 फीसदी गिरावट आई है। इसकी वजह टैक्स के नए नियम हैं। शेयर बायबैक से होने वाले प्रॉफिट पर टैक्स के नए नियम 1 अक्तूबर, 2024 से लागू हो गए थे। इसका असर शेयर बायबैक इश्यू पर पड़ा है। 2025 में शेयर बायबैक के 916 करोड़ रुपये के सिर्फ 8 ऑफर आए हैं। 2022-2024 के दौरान कंपनियों ने 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बायबैक किए थे।
शेयर बायबैक ऑफर में कमी की वजह टैक्स के नए नियम
प्राइम डेटाबेस के मुताबिक, 2024 में 13,539 करोड़ रुपये के 48 Share Buyback ऑफर आए थे। 2023 में 48,452 करोड़ रुपये के 48 शेयर बायबैक ऑफर आए थे। 2022 में कंपनियों ने 38,735 करोड़ रुपये के शेयर बायबैक किए थे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयर बायबैक ऑफर घटने की सबसे बड़ी वजह टैक्स के नए नियम हैं। ये नियम पिछले साल 1 अक्तूबर से लागू हुए थे।
टैक्स के नए नियम की वजह से बायबैक का आकर्षण घटा
एरिटी लॉ ऑफिसेज के फाउंडर अमित सिंघानिया ने कहा, “टैक्स के नए नियम लागू होने के बाद शेयरहोल्डर्स के लिए शेयरों के बायबैक ऑफर फायदेमंद नहीं रह गया है।” फाइनेंशियल ईयर 2025 के फाइनेंस बिल में सरकार ने बायबैक डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स (BDT) खत्म कर दिया था। टैक्स के पुराने नियम में कंपनियों को बायबैक किए गए शेयरों पर 23 फीसदी बीडीटी चुकाना पड़ता था। इसमें 20 फीसदी टैक्स और 3 फीसदी सरचार्ज शामिल था।
टैक्स के पुराने नियम में कंपनी चुकाती थी टैक्स
पहले के नियम में कंपनी के बीडीटी घटाने के बाद शेयरहोल्डर्स के हाथ में बायबैक का मुनाफा आता था। नए नियम में कंपनी बायबैक का पूरा अमाउंट इनवेस्टर को देती है। बायबैक का मुनाफा इनवेस्टर्स की इनकम में जुड़ जाता है। फिर इस पर इनवेस्टर के इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। टैक्स के सबसे ज्यादा स्लैब में आने वाले इनवेस्टर को इस मुनाफे पर 35.88 फीसदी तक टैक्स चुकाना पड़ता है।
ज्यादा टैक्स स्लैब में आने वाले शेयरहोल्डर्स की घटी दिलचस्पी
टैक्स के नए नियम के चलते उन इनवेस्टर्स के लिए बायबैक का अट्रैक्शन घट गया है, जो 30 फीसदी या ज्यादा टैक्स स्लैब में आते हैं। अगर इनवेस्टर बायबैक ऑफर में शेयर बेचने की जगह ओपन मार्केट में शेयर बेचता है तो उसे 10-15 फीसदी का कैपिटल गेंस टैक्स देना पड़ता है। हाल में देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस ने 18,000 करोड़ रुपये के बायबैक प्रोग्राम का ऐलान किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नारायण मूर्ति और नंदन नीलेकणी जैसे बड़े शेयरहोल्डर्स ने बायबैक में पार्टिसिपेट नहीं किया।
शेयर बायबैक पर आईटी शेयरों में कमजोरी का भी असर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दूसरे अमीर निवेशकों के भी बायबैक में हिस्सा नहीं लेने का अनुमान है। इसकी वजह टैक्स का ज्यादा बोझ है। शेयर बायबैक ऑफर में बड़े और अमीर इनवेस्टर्स के हिस्सा नहीं लेने की वजह से छोटे और रिटेल इनवेस्टर्स के शेयर बायबैक प्रोग्राम में हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आईटी कंपनियों के शेयर बायबैक प्रोग्राम में शेयरहोल्डर्स की कम दिलचस्पी की वजह आईटी शेयरों में कमजोरी हो सकती है।
सेंसेक्स के मुकाबले आईटी शेयरों का प्रदर्शन खराब
इस साल सेंसेक्स के मुकाबले ज्यादातर आईटी कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन खराब रहा है। टीसीएस और इंफोसिस दोनों कंपनियों के शेयरों में 25 फीसदी गिरावट आई है। एचसीएल का शेयर 20 फीसदी टूटा है। टेक महिंद्रा का शेयर 15 फीसदी गिरा है। सेंसेक्स इस साल 7.8 फीसदी चढ़ा है।