Last Updated on November 2, 2025 23:42, PM by Pawan
Circuit limit changes: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने सोमवार, 3 नवंबर 2025 से 60 कंपनियों के शेयरों पर रिवाइज्ड प्राइस बैंड यानी सर्किट लिमिट लागू की है। इसका मकसद असामान्य ट्रेडिंग गतिविधियों पर नियंत्रण रखना और निवेशकों को संभावित जोखिमों से बचाना है।
BSE उन शेयरों पर निगरानी रखता है, जिनमें कीमत या वॉल्यूम में अचानक तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। अपने रेगुलर सर्विलांस मैकेनिज्म के तहत एक्सचेंज प्राइस बैंड को 2%, 5% या 10% तक घटा सकता है ताकि किसी भी स्टॉक में अत्यधिक वोलैटिलिटी को रोका जा सके।
क्या होता है प्राइस बैंड या सर्किट लिमिट
हर स्टॉक के लिए BSE एक प्राइस बैंड यानी सर्किट लिमिट तय करता है ताकि उसकी कीमत एक तय सीमा से ज्यादा ऊपर या नीचे न जा सके। अगर किसी स्टॉक में असामान्य उतार-चढ़ाव दिखता है, तो उस पर और कड़ा बैंड लगा दिया जाता है।
स्पेशल मार्जिन कब लगाया जाता है
स्पेशल मार्जिन तब लागू किया जाता है जब किसी शेयर की कीमत या ट्रेडिंग वॉल्यूम में अचानक बढ़ोतरी होती है। ऐसी स्थिति में BSE 25%, 50% या 75% तक का स्पेशल मार्जिन लगा सकता है। इसका मकसद अफवाहों और अटकलों के कारण निवेशकों को होने वाले भारी नुकसान से बचाना है।
रिवाइज्ड सर्किट लिमिट वाली कंपनियां
BSE के सर्विलांस एक्शन का मकसद
BSE के सर्विलांस एक्शनों का मकसद शेयर बाजार में पारदर्शिता बनाए रखना और किसी भी तरह की प्राइस मैनिपुलेशन को रोकना होता है। जब किसी स्टॉक में अचानक कीमत या वॉल्यूम में तेज उतार-चढ़ाव दिखता है, तो एक्सचेंज यह जांचता है कि कहीं यह अवैध गतिविधि या अफवाहों का असर तो नहीं है।
ऐसे मामलों में BSE प्राइस बैंड घटाने, स्पेशल मार्जिन लगाने या शेयर को ट्रेड-टू-ट्रेड सेगमेंट में डालने जैसे कदम उठाता है। इससे बाजार स्थिर रहता है और निवेशकों को अनावश्यक जोखिम या नुकसान से बचाया जा सकता है।
Disclaimer: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। हमारे तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।