Last Updated on October 29, 2025 14:55, PM by Khushi Verma
मार्केट रेगुलेटर SEBI ने स्टरलाइट इलेक्ट्रिक के IPO को होल्ड पर डाल दिया है। अमेरिकी शॉर्ट सेलर वायसराय रिसर्च की ओर से स्टरलाइट इलेक्ट्रिक की पेरेंट कंपनी वेदांता समूह पर लगाए गए आरोपों के बाद सेबी ने ऐसा किया। यह बात मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों से मनीकंट्रोल को पता चली है। सेबी, वायसराय रिसर्च के आरोपों की जांच कर रहा है।
SEBI आमतौर पर किसी IPO को तब होल्ड पर डालता है, जब नियमों का पालन न करने का पता चला हो या अगर रेगुलेटर की जांच पेंडिंग हो या चल रही हो। मसलों का समाधान हो जाने पर, SEBI आमतौर पर हरी झंडी दे देता है।
स्टरलाइट ने अपने ड्राफ्ट में कहा था, “एक शॉर्ट सेलर की ओर से वेदांता समूह के खिलाफ कुछ आरोप लगाते हुए कई रिपोर्ट जारी की गई हैं। SEBI ने 18 अगस्त, 2025 और 4 सितंबर, 2025 के अपने ईमेल के जरिए सेबी एक्ट के सेक्शन 11(2) और 11सी(2), (3) के तहत, जांच अधिकारी के सामने शॉर्ट सेलर रिपोर्ट्स में मेंशन कथित लेनदेन के लिए हिंदुस्तान जिंक से जानकारी और डॉक्युमेंट्स पेश करने की मांग की है। हिंदुस्तान जिंक को 25 अगस्त, 2025 और 12 सितंबर, 2025 तक ऐसे डॉक्युमेंट्स पेश करने थे, जिनका जवाब 25 अगस्त, 2025 और 12 सितंबर, 2025 को सेबी को दे दिया गया है। मामला अभी पेंडिंग है।”
क्या हैं वायसराय रिसर्च के आरोप
वायसराय रिसर्च ने कई रिपोर्टों में आरोप लगाया है कि वेदांता का मैनेजमेंट अत्यधिक कर्ज में डूबी पेरेंट कंपनी वेदांता रिसोर्सेज को सहारा देने के लिए वेदांता लिमिटेड में से फंड निकाल रहा है। आसान शब्दों में इसे लूट रहा है। जुलाई में शॉर्ट सेलिंग फर्म की ओर से कहा गया कि वेदांता रिसोर्सेज जल्द ही कर्ज चुकाने में डिफॉल्ट कर सकती है। वेदांता ग्रुप का पूरा ढांचा वित्तीय रूप से अस्थिर है, ऑपरेशनल तौर पर कमजोर है और यह लेनदारों के लिए एक गंभीर जोखिम पैदा करता है।
इसके बाद एक और रिपोर्ट में रिसर्च फर्म ने दावा किया कि वेदांता ग्रुप की सेमीकंडक्टर यूनिट असल में कोई मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस नहीं, बल्कि एक ‘शेल कमोडिटी ट्रेडिंग ऑपरेशन’ थी। इसे जानबूझकर नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) की कैटेगरी से बचाने के लिए डिजाइन किया गया। Viceroy Research का दावा है कि वेदांता लिमिटेड की सब्सिडियरी Vedanta Semiconductors Pvt Ltd (VSPL) एक खास योजना का हिस्सा थी। इसके जरिए अप्रैल 2025 में वेदांता लिमिटेड ने Vedanta Resources को ब्रांड फीस भेजी। वह भी उस समय, जब ग्रुप पर लिक्विडिटी का भारी संकट मंडरा रहा था।
शॉर्ट सेलर ने कंपनी पर रेगुलेटरी नियमों के उल्लंघनों के भी आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिंगापुर के अधिकारी, वेदांता समूह से जुड़े 1.27 अरब डॉलर के बड़े रेमिटेंस की जांच कर रहे हैं। वायसराय रिसर्च ने वेदांता के कारोबार की कई कमजोरियों को उजागर किया है। जुलाई 2025 में वायसराय रिसर्च की शुरुआती रिपोर्ट के बाद सितंबर और अक्टूबर में भी रिपोर्टें आईं। वेदांता ने शॉर्ट सेलर की रिपोर्ट्स में लगाए गए सभी आरोपों को खारिज किया है, इन्हें बेबुनियाद बताया है। कंपनी का कहना है कि यह उसके खिलाफ झूठ फैलाने का एक तरीका है।
फैक्ट वेरिफाई करने में लग सकते हैं कुछ महीने
एक व्यक्ति ने मनीकंट्रोल को बताया, “चूंकि वायसराय रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर हैं, इसलिए सेबी मामले की जांच कर रहा है। हालांकि, अभी यह जांच नहीं है, बल्कि फैक्ट्स का वेरिफिकेशन हो रहा है। इसमें कुछ महीने लग सकते हैं।” एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “अतीत में सेबी ने कई आईपीओ को शुरू में होल्ड पर रखा था। मुद्दों के समाधान के बाद उन्हें इजाजत मिल गई।”
क्या करती है स्टरलाइट इलेक्ट्रिक
स्टरलाइट इलेक्ट्रिक कैपिटल गुड्स बनाती है। साथ ही पावर ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए सिस्टम इंटीग्रेशन उपलब्ध कराती है। यह वेदांता समूह की एक सहायक कंपनी है और इसने अक्टूबर 2025 की शुरुआत में आईपीओ ड्राफ्ट जमा किया था। आईपीओ में नए शेयरों के साथ—साथ प्रमोटर और मौजूदा शेयरहोल्डर्स की ओर से ऑफर फॉर सेल लाए जाने की तैयारी है। आईपीओ का साइज 1,500 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।