Last Updated on October 27, 2025 19:21, PM by Pawan
भारत सरकार जल्द ही सरकारी बैंकों में विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाकर 49% तक करने की योजना पर काम कर रही है। फिलहाल यह सीमा 20% है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। रिपोर्ट में सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बीच पिछले कुछ महीनों से इस प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है। हालांकि अभी तक इस पर अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।
पिछले कुछ समय में भारत के बैंकिंग सेक्टर में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी तेजी से बढ़ी है। हाल ही में दुबई की एमिरेट्स एनबीडी ने करीब 3 अरब डॉलर लगाकर RBL बैंक में 60% हिस्सेदारी खरीदी है। इससे पहले जापान की सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (SMBC) ने 1.6 अरब डॉलर में YES बैंक में 20% हिस्सेदारी खरीदी, जिसे बाद में बढ़ाकर 24.99% कर दिया।
सरकारी बैंकों में विदेशी सीमा बढ़ाने से उन्हें भविष्य में पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी और बैंकिंग सेक्टर में कॉम्पिटीशन बढ़ेगा।
सरकारी और प्राइवेट बैंकों के लिए एक समान नियम की कोशिश
फिलहाल प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में विदेशी निवेश की सीमा 74% तक है, जबकि सरकारी बैंकों के लिए यह सीमा सिर्फ 20% है। नया प्रस्ताव इस अंतर को कम करने की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है। एक सीनियर अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया, “यह कदम विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक अवसर पैदा करेगा और सरकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति को भी मजबूत बनाएगा।”
सरकार की हिस्सेदारी 51% से कम नहीं होगी
सूत्रों ने बताया कि सरकार की योजना विदेशी निवेश सीमा को भले ही 49% तक बढ़ाने की हो, लेकिन सरकार की हिस्सेदारी 51% से कम नहीं की जाएगी। फिलहाल सरकार सभी 12 सरकारी बैंकों में इससे कहीं अधिक हिस्सेदारी रखती है। इन 12 सरकारी बैंकों के पास कुल 171 ट्रिलियन रुपये (करीब 1.95 ट्रिलियन डॉलर) के एसेट्स हैं, जो भारतीय बैंकिंग सेक्टर के 55% हिस्से का प्रतिनिधित्व करती हैं।
मौजूदा विदेशी स्वामित्व
स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, फिलहाल सरकारी बैंकों में सबसे अधिक विदेशी निवेश, केनरा बैंक में लगभग 12% है। वहीं यूको बैंक में सबसे कम लगभग शून्य के बराबर है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकारी बैंक अभी भी प्राइवेट बैंकों की तुलना में कमजोर स्थिति में हैं। उन्हें अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में शाखाएं खोलने और कम आय वाले वर्गों को लोन देने की जिम्मेदारी दी जाती है, जिसके चलते उनके एनपीए अधिक होते हैं और रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) कम रहता है।
RBI की सावधानी और सुरक्षा उपाय
RBI ने हाल के महीनों में बैंकिंग सेक्टर को लेकर कई नियामक सुधार किए हैं और अब विदेशी बैंकों को भारतीय प्राइवेट बैंकों में बड़ी हिस्सेदारी लेने की अनुमति देने पर अधिक खुला रुख अपना रहा है। हालांकि, RBI यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी विदेशी निवेशक के पास 10% से अधिक वोटिंग अधिकार न हों, ताकि किसी एक पक्ष को मनमाना नियंत्रण न मिल सके।
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