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मेहली मिस्त्री का रिअपॉइंटमेंट रोक सकते हैं नोएल टाटा: 28 अक्टूबर को खत्म हो रहा कार्यकाल; रतन टाटा के जाने के बाद ग्रुप में विवाद

मेहली मिस्त्री का रिअपॉइंटमेंट रोक सकते हैं नोएल टाटा:  28 अक्टूबर को खत्म हो रहा कार्यकाल; रतन टाटा के जाने के बाद ग्रुप में विवाद

Last Updated on October 27, 2025 15:05, PM by Khushi Verma

 

मुंबई1 मिनट पहले

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टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टी मेहली मिस्त्री का रिअपॉइंटमेंट रुक सकता है। चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह इसे मंजूरी देने से मना कर सकते हैं।

 

मेहली मिस्त्री का कार्यकाल 28 अक्टूबर को खत्म हो रहा है। उनके रिअपॉइंटमेंट का फैसला आज 27 अक्टूबर को हो सकता है। हालांकि, इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं आई है।

टाटा ट्रस्ट्स में सर रतन टाटा ट्रस्ट समेत कुछ और ट्रस्ट्स है। मिस्त्री 2022 से सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (SDTT) और सर रतन टाटा ट्रस्ट (SRTT) के ट्रस्टी हैं।

इन दोनों ट्रस्ट की टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 51% हिस्सेदारी हैं। उनका कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव शुक्रवार को टाटा ट्रस्ट्स के सीईओ सिद्धार्थ शर्मा ने रखा था।

ईटी ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि डेरियस खंबाटा, प्रमित झावेरी और जहांगीर एचसी जहांगीर जैसे ट्रस्टी इसकी सहमति दे चुके हैं। वहीं नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने कानूनी राय मांगी है।

रतन टाटा के जाने के बाद कानूनी लड़ाई छिड़ सकती है

अंदरूनी लोग कहते हैं कि इससे कानूनी लड़ाई छिड़ सकती है। टाटा ट्रस्ट्स में फैसले हमेशा सहमति से होते आए हैं, लेकिन रतन टाटा के निधन के बाद ये परंपरा टूटने लगी है। रतन टाटा के निधन के करीब एक साल बाद, ट्रस्टीज ने बहुमत से पूर्व डिफेंस सेक्रेटरी विजय सिंह को टाटा संस के बोर्ड से हटा दिया था।

मतभेद होने पर ट्रस्टी की बहाली बहुमत से हो सकती है या एकमत फैसला जरूरी है, इस बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं कहा गया। ये ट्रस्ट्स के लिए बिल्कुल नया है, क्योंकि रतन टाटा ने जब ग्रुप की कमान संभाली तो आखिरी कुछ दशकों में ट्रस्ट के फैसले कभी वोटिंग तक नहीं पहुंचे थे।

ट्रस्ट्स के नियमों में थोड़ी उलझन है। कंपनियों में जहां गवर्नेंस को कंपनीज एक्ट और दूसरे लागू कानूनों से स्टैंडर्ड तरीके से तय किया जाता है, वहीं ट्रस्ट्स के मामले महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट्स एक्ट के नियमों, ट्रस्ट डीड और ट्रस्टीज के समय-समय पर पास किए गए रेजोल्यूशन के कॉम्बिनेशन से चलते हैं।

  • 1932 में लिखी गई सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट की ट्रस्ट डीड कहती है कि मीटिंग को कानूनी तौर पर मान्य तभी माना जाएगा जब कम से कम तीन ट्रस्टीज मौजूद हो। वहीं मीटिंग में अगर वोटिंग हो तो मौजूद ट्रस्टीज में से ज्यादातर जो फैसला लें, वो सबको मानना होगा। चाहे अल्पमत वाले लोग सहमत हों या न हों।
  • एक और रेजोल्यूशन भी है जो इस मामले में अहम है। रतन टाटा के निधन के ठीक नौ दिन बाद, 17 अक्टूबर को ट्रस्टीज की मीटिंग हुई थी। इसमें फैसला लिया गया कि हर ट्रस्टी का टर्म खत्म होने पर उसकी बहाली बिना किसी टर्म की सीमा लगाए की जाएगी। यानी, सभी ट्रस्टीज को लाइफटाइम रिन्यूअल मिलेगा।

श्रीनिवासन की बहाली को मिस्त्री ने शर्त के साथ मंजूरी दी थी

मिस्त्री ने पिछले हफ्ते श्रीनिवासन की SDTT में ट्रस्टी और वाइस चेयरमैन के तौर पर बहाली को शर्त के साथ मंजूरी दी थी।

उन्होंने एक ईमेल में कहा था- अगर कोई ट्रस्टी वेणु श्रीनिवासन की बहाली वाला रेजोल्यूशन पास न करे या बाकी ट्रस्टीज के लिए वैसा ही एकमत रेजोल्यूशन न लाए जब उनके टर्म खत्म होंगे, तो मैं श्रीनिवासन की बहाली को अपनी औपचारिक मंजूरी नहीं दूंगा। बेशक, मुझे उम्मीद नहीं कि ऐसी नौबत आएगी।

बोर्ड के फैसले को कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं मिस्त्री

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अंदर बहस चल रही है कि क्या मिस्त्री श्रीनिवासन की मंजूरी वापस ले लेंगे या उनकी बहाली को मंजूरी न देने के फैसले को कोर्ट में चुनौती देंगे।

नोएल टाटा, श्रीनिवासन और सिंह ने इस पर लीगल एडवाइस ली है। लेकिन एक ट्रस्टी ने साफ कहा- शर्त वाली मंजूरी कानूनी तौर पर टिक नहीं सकती। रेजोल्यूशन पास होने के बाद उसे वापस नहीं लिया जा सकता।

साइरस मिस्त्री के चचेरे भाई हैं मेहली मिस्त्री

मिस्त्री एम पलॉन्जी ग्रुप के प्रमोटर हैं, जिसमें इंडस्ट्रियल पेंटिंग, शिपिंग, ड्रेजिंग, कार डीलरशिप जैसे बिजनेस हैं। उनकी कंपनी स्टरलिंग मोटर्स टाटा मोटर्स की डीलर है। ब्रिच कैंडी हॉस्पिटल ट्रस्ट के ट्रस्टी भी हैं।

मिस्त्री शापूरजी मिस्त्री और उनके दिवंगत भाई साइरस मिस्त्री के चचेरे भाई हैं। शापूरजी पलॉन्जी ग्रुप केक पास टाटा संस में 18.37% हिस्सेदारी है। ये टाटा संस में ट्रस्ट्स के बाद दूसरा सबसे बड़ा शेयरहोल्डर ह

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