Last Updated on October 25, 2025 16:09, PM by Pawan
क्लाउड किचन चलाने वाली क्योरफूड्स को अपने IPO के लिए कैपिटल मार्केट रेगुलेटर SEBI से मंजूरी मिल गई है। यह बात मनीकंट्रोल को सूत्रों से पता चली है। क्योरफूड्स बेंगलुरु का फूड एंड बेवरेजेस स्टार्टअप है। इसके पोर्टफोलियो में ईटफिट, केकजोन, नोमैड पिज्जा, क्रिस्पी क्रीम और शरीफ भाई बिरयानी मौजूद हैं। क्योरफूड्स के पास 500 से ज्यादा क्लाउड किचन और ऑफलाइन स्टोर हैं, जो भारत के 40 शहरों में 10 से ज्यादा तरह के कुजीन परोसते हैं।
Curefoods IPO में 800 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी होंगे। साथ ही 4.85 करोड़ शेयरों का ऑफर-फॉर-सेल (OFS) रहेगा। OFS की मदद से कई शुरुआती निवेशकों को अपनी हिस्सेदारी कुछ हद तक या पूरी तरह से बेचने का मौका मिलेगा। कंपनी को फ्लिपकार्ट के पूर्व सीनियर एग्जीक्यूटिव अंकित नागोरी और ने शुरू किया है। वह इसके सीईओ भी हैं। नागोरी IPO में शेयर नहीं बेचेंगे। कंपनी ने जून 2025 में SEBI के पास ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) जमा किया था।
फिर कौन कर रहा शेयर बिक्री?
OFS के जरिए क्योरफूड्स में हिस्सेदारी कम करने वाले निवेशकों में आयरन पिलर, क्रिमसन विंटर, एक्सेल, चिराटे वेंचर्स और क्योरफिट हेल्थकेयर शामिल हैं। सबसे ज्यादा 1.91 करोड़ शेयर आयरन पिलर पीसीसी बेचेगी। क्रिमसन विंटर 97.6 लाख, एक्सेल 45.7 लाख और चिराटे 36.6 लाख शेयर बेचेंगे। क्योरफिट हेल्थकेयर 12.8 लाख शेयर बेचने की तैयारी में है। क्योरफूड्स प्री-IPO प्लेसमेंट के जरिए 160 करोड़ रुपये जुटा सकती है। ऐसा होने पर IPO में नए शेयरों के इश्यू का साइज घट जाएगा।
IPO के पैसों का कैसे होगा इस्तेमाल
IPO में नए शेयरों को जारी कर हासिल होने वाले पैसों का इस्तेमाल नए क्लाउड किचन शुरू करने, इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने और उधारी चुकाने में प्रमुख रूप से किया जाएगा। इसके अलावा कुछ पैसे क्योरफूड्स के 100 प्रतिशत मालिकाना हक वाली सहायक कंपनी फैन हॉस्पिटैलिटी में डाले जाएंगे। यह कंपनी किचन के इंफ्रास्ट्रक्चर और ऑपरेशंस को मैनेज करती है। कुछ पैसों का इस्तेमाल लीज डिपॉजिट, मार्केटिंग और ब्रांड बिल्डिंग के लिए भी किया जाएगा।
Curefoods की वित्तीय स्थिति
क्योरफूड्स का वित्त वर्ष 2023 में रेवेन्यू 382 करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2025 में यह 746 करोड़ रुपये हो गया। हालांकि कंपनी लगातार घाटा दर्ज कर रही है। वित्त वर्ष 2025 में शुद्ध घाटा 170 करोड़ रुपये रहा। यह एक साल पहले भी लगभग इसी लेवल पर था। EBITDA लॉस 276 करोड़ रुपये से घटकर 58 करोड़ रुपये रह गया।
निवेशकों के लिए प्रमुख जोखिम
कर्मचारियों के कंपनी छोड़ने की दर बहुत ज्यादा है। वित्त वर्ष 2025 में यह 111.73 प्रतिशत थी। इससे पहले के दो सालों में यह 120 प्रतिशत से अधिक थी। क्योरफूड्स, स्विगी और जोमैटो जैसे थर्ड पार्टी एग्रीगेटर्स पर काफी हद तक निर्भर है। कंपनी के वित्त वर्ष 2025 के रेवेन्यू में इनका योगदान 82.2 प्रतिशत था। कंपनी ने चेतावनी दी है कि प्लेटफॉर्म पॉलिसीज या कमीशन में कोई भी बदलाव मार्जिन को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है।
Disclaimer: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। हमारी तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।