Last Updated on October 24, 2025 7:35, AM by Khushi Verma
आज के डिजिटल युग में भी कई लोग मकान का किराया कैश में देते हैं, लेकिन यह आदत आपको आयकर विभाग से नोटिस मिलने का कारण बन सकती है। आयकर विभाग तब नोटिस भेजता है जब आपकी आय और खर्चों में असंगति देखी जाती है। कैश भुगतान का कोई प्रमाण न होने पर यह अंतर ज्यादा स्पष्ट हो जाता है और करदाता को नोटिस का सामना करना पड़ सकता है।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि किराये का भुगतान हमेशा चेक, बैंक ट्रांसफर या UPI जैसे डिजिटल माध्यमों से ही करें ताकि आपके पास भुगतान का व्यवस्थित प्रमाण रहे। नोटिस आने पर डरने की जरूरत नहीं है, बस आपको उचित दस्तावेज जैसे रेंट एग्रीमेंट, भुगतान रसीद, मकान मालिक के पैन कार्ड की जानकारी आदि प्रदान करनी होगी। इससे आप साबित कर पाएंगे कि आपने किराया सही तरीके से और वैध रूप से दिया है।
अगर मकान का किराया ₹50,000 से अधिक है तो किराए पर टीडीएस काटना भी जरूरी हो जाता है, और मकान मालिक व किराएदार दोनों की पहचान संबंधी जानकारी जमा करनी पड़ती है। इसलिए कैश भुगतान से बचना और डिजिटल माध्यम अपनाना ही बेहतर होता है।
इस तरह का पारदर्शी और ऑनलाइन भुगतान न केवल आयकर विभाग के नोटिस से बचाएगा बल्कि आपको भविष्य में कानूनी परेशानियों से भी मुक्त रखेगा। इसलिए किराया देते समय डिजिटल माध्यम से भुगतान करना और रसीद लेना न भूलें।
यह कदम वित्तीय ट्रांसपेरेंसी बढ़ाने का एक हिस्सा है, जो टैक्स चोरी रोकने और कर संग्रह को बढ़ावा देने में मदद करेगा। आमजनों के लिए यह जरूरी है कि वे अपनी इनकम और खर्चों का रिकॉर्ड डिजिटल और प्रमाणित रखें ताकि वे किसी भी प्रकार के नोटिस से सुरक्षित रह सकें।
इसलिए अगर आप भी मकान का किराया देते हैं तो कैश से बचें और डिजिटल माध्यम अपनेाएं ताकि आप आयकर विभाग के रडार पर न आएं और वित्तीय सुरक्षा का स्तर बनाए रखें।