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आपने भी लगाया है SME IPO पर दांव? पढ़ लीजिए क्या कह रही है आरबीआई की स्टडी

आपने भी लगाया है SME IPO पर दांव? पढ़ लीजिए क्या कह रही है आरबीआई की स्टडी

Last Updated on October 23, 2025 10:19, AM by Pawan

 स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (SME) के IPO की पिछले कुछ समय में धमाकेदार लिस्टिंग हुई है और कुछ आईपीओ 100% गेन के साथ लिस्ट हुए। लिस्टिंग गेन के लिए काफी रिटेल इनवेस्टर इन आईपीओ की ओर आकर्षित हुए, लेकिन केवल मार्केट सेंटिमेंट के आधार पर इनमें निवेश करना रिस्की हो सकता है। यह बात RBI की एक स्टडी में कही गई है।

इसमें कहा गया, ‘वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2024-25 में 15 अक्टूबर तक NSE पर 255 एसएमई आईपीओ लिस्ट हुए, जिनमें से 224 की लिस्टिंग प्रीमियम पर हुईं। 31 की लिस्टिंग डिस्काउंट पर हुई। इसी तरह BSE पर 100 में से 91 आईपीओ में लिस्टिंग गेन रहा और केवल 9 इश्यू प्राइस से नीचे लिस्ट हुए।’ 370 एसएमई आईपीओ की स्टडी करते हुए कहा गया, ‘SME के हालिया IPO में एक खास ट्रेड रहा है कि धमाकेदार लिस्टिंग गेन के बाद बहुत कम समय में नेगेटिव रिटर्न की स्थिति बन जाती है। यह गिरावट ऐसे IPO में और भी अधिक रहती है, जिनमें रिटेल इनवेस्टर्स की बहुत अधिक दिलचस्पी दिखी।’ स्टडी में कहा गया कि इसे देखते हुए मार्केट रेगुलेटर SEBI को SME आईपीओ सेगमेंट में स्टेबिलिटी लाने के लिए रेगुलेटरी उपाय करने पड़े।

 

किस तरह का पेच?

स्टडी में कहा गया, ‘कुछ शेयरों के लिए ज्यादा डिमांड होने और लिमिटेड अलॉटमेंट होने से प्रायः प्राइसेज बहुत बढ़ जाती है क्योंकि निवेशकों में होड़ मच जाती है। संभावित लिस्टिंग गेन के लिए आने वाले रिटेल इनवेस्टर आमतौर पर फंडामेंटल्स को नजरंदाज कर देते है। इससे वैल्यूएशन चढ़ जाता है।’ स्टडी में वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2024-25 में लिस्ट हुए 100 SME के प्राइस अर्निंग्स रेशियो की तुलना उनके इंडस्ट्री ऐवरेज से की गई। इससे इनमें से कुछ स्टॉक्स में ओवर वैल्यूएशन का पता चला। करीब 20% शेयरों का PE रेशियो उनकी इंडस्ट्री की प्रतिद्वंद्वी कंपनियों से कई गुना ज्यादा था।

इसमें कहा गया कि SME आईपीओ के लिस्टिंग प्रीमियम 400% तक रहे है। यह प्रीमियम आईपीओ की डिमांड मर्चेंट बैंकर की साख और मार्केट सेंटिमेंट जैसी बीजों पर निर्भर होता है। वहीं, बड़ी कंपनियों के आईपीओ की कड़ी रेगुलेटरी जांच होती है और इनमें इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स, हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स और म्यूचुअल फंड्स सहित कहीं ज्यादा निवेशको की भागीदारी होती है। इसके चलते इनके लिस्टिंग प्रीमियम ज्यादा स्टेबल होते है और आमतौर पर 10 से 40% की रेंज में रहते है।

 

सतर्कता जरूरी

RBI के हालिया बुलेटिन में भाग्यश्री चट्टोपाध्याय और श्रोमाना गांगुली की स्टडी रिपोर्ट में कहा गया, ‘यह कहावत SME आईपीओ सेगमेंट में निवेशकों के लिए बहुत मार्के की है कि बुल मार्केट्स निराशा में जन्म लेते हैं, अटकलों पर बढ़ते हैं, उम्मीदों पर जवान होते हैं और उन्माद में खत्म हो जाते है।’ इसमें कहा गया. “SME IPO सेगमेंट को लेकर चर्चा रोमांचक भले ही हो, लेकिन केवल मार्केट सेंटिमेंट के आधार पर निवेश करना रिस्की हो सकता है। मार्केट में तेजी के दौर में उत्साह के चलते निवेशक जरूरी जांच-पड़ताल को नजरअंदाज कर सकते हैं।

क्या है सलाह?

स्टडी में कहा गया, ‘SME IPO अनुकूल स्थितियों में काफी अच्छा गेन दे सकते हैं, लेकिन गिरावट के दौरान इनमें बहुत बोलैटिलिटी और रिस्क होता है। इसलिए निवेशकों को निवेश करने से पहले कंपनी के फंडामेंटल्स ग्रोथ की संभावना और रिस्क फैक्टर्स की सावधानी से जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिए।

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