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Silver Prices: दिवाली पर चांदी हुई सस्ती, रिकॉर्ड हाई से 8% तक टूटा भाव, जानें क्यों शुरू हुई मुनाफावसूली

Silver Prices: दिवाली पर चांदी हुई सस्ती, रिकॉर्ड हाई से 8% तक टूटा भाव, जानें क्यों शुरू हुई मुनाफावसूली

Last Updated on October 20, 2025 12:43, PM by Pawan

Silver Prices: लगातार ऊंचाइयों को छूने के बाद चांदी की कीमतों में अब तेज गिरावट देखी जा रही है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) शुक्रवार 17 अक्टूबर को चांदी के वायदा भाव में लगभग 10% की गिरावट आई। वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमत 6% तक लुढ़क गई। इसके साथ ही चांदी का भाव अब इसके 54 डॉलर प्रति औंस के ऑलटाइम हाई से नीचे फिसल गया है।

हाल के महीनों में चांदी की कीमतें लगातार बढ़ रही थीं, क्योंकि यह एक सुरक्षित निवेश के रूप में तेजी से लोकप्रिय हो रही थी। साथ ही, इंडस्ट्रियल जरूरतों के लिए चांदी की बढ़ती मांग और सीमित सप्लाई ने भी इसकी कीमतों को बढ़ाने में भूमिका निभाई थी। लेकिन शुक्रवार को यह स्थिति बदल गई।

अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव कम होने की खबर के बाद निवेशकों ने चांदी में मुनाफा वसूली शुरू कर दी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह स्वीकार किया कि चीन पर लगाए गए 100% अतिरिक्त टैरिफ “लंबे समय के लिए नहीं हैं”। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बीजिंग ने उन्हें ऐसा कदम उठाने के लिए “मजबूर” किया था।

इस बयान के बाद निवेशकों में राहत देखी गई और सुरक्षित निवेश की मांग घटने से कीमती धातुओं की कीमतों पर दबाव आया।

चांदी का भाव

MCX पर चांदी की कीमतें 1,70,415 रुपये प्रति किलो के रिकॉर्ड स्तर से गिरकर 1,53,700 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गईं। यानी लगभग 10% की गिरावट। हालांकि बाद में कुछ रिकवरी के साथ यह ₹1,57,300 प्रति किलो पर बंद हुई, जो दिन के निचले स्तर से थोड़ा ऊपर थी। ग्लोबाल बाजारों में भी चांदी की कीमतें $54 प्रति औंस से गिरकर $51.5 प्रति औंस तक आ गईं।

सोमवार 20 अक्टूबर को चांदी की कीमत 1,56,755 रुपये प्रति किलो रही, जो 0.1% की मामूली बढ़त है। कुल मिलाकर, चांदी की कीमतें अपने ऑल टाइम हाई से अब तक 8% नीचे आ चुकी हैं।

एक्सपर्ट्स का क्या है कहना?

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के अनुसार, यह गिरावट बुलियन मार्केट में मुनाफावसूली के चलते आई हैं। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि चांदी के बाजार में मजबूत स्ट्रक्चरल बदलाव देखने को मिल रहा है, जो इसे पिछले तेजी के दौर (1980 और 2011) से अलग बनाता है।

रिपोर्ट में कहा गया, “चांदी की औद्योगिक मांग मजबूत बनी हुई है, और सप्लाई की सीमाएं इस बात का संकेत हैं कि लंबे समय में इसकी कीमतें ऊंची बनी रह सकती हैं। इंडस्ट्रीज में खपत को नियंत्रित रखने और उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए ऊंचे दाम आवश्यक होंगे।”

एनालिस्ट्स का यह भी कहना है कि चांदी की अस्थिरता इसे सोने की तुलना में लगभग 1.7 गुना तेजी से ऊपर-नीचे करती है, जिससे यह साफ है कि मौजूदा तेजी सट्टेबाजी नहीं बल्कि ठोस मांग पर आधारित है।

डिस्क्लेमरः एक्सपर्ट्स/ब्रोकरेज फर्म्स की ओर से दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह उनके अपने होते हैं, न कि वेबसाइट और उसके मैनेजमेंट के। यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।

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