Last Updated on October 19, 2025 17:56, PM by Khushi Verma
पिछले 3 महीने भारतीय शेयर बाजारों से लगातार पैसे निकालने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPIs) अक्टूबर में खरीदार बन गए। उन्होंने अब तक शेयरों में शुद्ध रूप से 6,480 करोड़ रुपये डाले हैं। इसकी मुख्य वजह मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक फैक्टर हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले FPI ने शेयर बाजारों से सितंबर में 23,885 करोड़ रुपये, अगस्त में 34,990 करोड़ रुपये और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये निकाले थे।
FPI ने 2025 में अब तक शेयरों से लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपये निकाले हैं। इस बीच बॉन्ड बाजार में, FPI ने इस महीने 17 अक्टूबर तक जनरल लिमिट के तहत लगभग 5,332 करोड़ रुपये और वॉलंटरी रिटेंशन रूट के जरिए 214 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
किन वजहों से बढ़ा FPI का भरोसा
अक्टूबर में शेयर बाजारों में FPI का नए सिरे से निवेश, सेंटिमेंट में एक बड़े बदलाव का संकेत देता है और भारतीय बाजारों को लेकर वैश्विक निवेशकों के बीच नए विश्वास को दर्शाता है। इस उलटफेर के पीछे कई प्रमुख फैक्टर हैं। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के प्रिंसिपल, मैनेजर रिसर्च, हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि बाकी के उभरते बाजारों की तुलना में भारत का मैक्रो बैकड्रॉप मजबूत बना हुआ है। स्थिर ग्रोथ, महंगाई का मैनेज हो सकने के दायरे में होना और रिजीलिएंट घरेलू मांग से FPI का भरोसा बढ़ा है।
आगे कहा कि ग्लोबली लिक्विडिटी की स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है, अमेरिका में दरों में कटौती या कम से कम एक पॉज की उम्मीद है। जैसे-जैसे जोखिम उठाने की क्षमता वापस आ रही है, वैसे-वैसे हाई-रिटर्न वाले उभरते बाजारों में निवेश बढ़ रहा है। इसके अलावा, भारतीय शेयरों की वैल्यूएशन जो पहले दबाव में थी, अब अधिक आकर्षक हो गई है। इससे गिरावट में खरीदारी की रुचि फिर से बढ़ रही है।
अमेरिका-भारत के बीच ट्रेड को लेकर टेंशन में कमी भी एक वजह
जियोजीत इनवेस्टमेंट्स के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार का कहना है कि FPI की रणनीति में इस बदलाव का मुख्य कारण भारत और अन्य बाजारों के बीच वैल्यूएशन के अंतर में कमी है। एंजल वन के सीनियर फंडामेंटल एनालिस्ट वकारजावेद खान के मुताबिक, नए निवेश को अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड को लेकर टेंशन में कमी से भी प्रेरित कहा जा सकता है। 2025 की शुरुआत में देखे गए बिकवाली के दबाव ने भारतीय शेयरों के वैल्यूएशन मल्टीपल्स को वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अधिक आकर्षक बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रेड को लेकर भविष्य के घटनाक्रम और चालू तिमाही नतीजों से आने वाले सप्ताह FPI का रुख तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
