Last Updated on October 16, 2025 11:49, AM by Khushi Verma
Diwali picks : यूनिफाई कैपिटल के फाउंडर मारन गोविंदसामी ने एन महालक्ष्मी के साथ द वेल्थ फॉर्मूला की दिवाली ब्लॉकबस्टर सीरीज में कहा कि तीन सालों तक शानदार रिटर्न देने के बाद बाजार नरमी के दौर में प्रवेश कर रहा है। इस दौरान वौलैटिलिटी भी काफी कम रही है। उन्होंने आगाह किया, “भारत में बाज़ारों के एक ही पैमाने पर नहीं आंका जा सकता। उसी बीएसई 500 में,आधी से ज़्यादा कंपनियों के प्राइस-टू-अर्निंग मल्टिपल पिछले तीन सालों (सितंबर 2024 तक) में दोगुने हो गए हैं।”
दूसरी तरफ पिछले साल सितंबर में सेंसेक्स ने स्मॉल और मिडकैप शेयरों के रिकॉर्ड स्तर की बदौलत 86,000 का ऑलटाइम हाई पार किया था, लेकिन उस शिखर तक पहुंचने का सफ़र एक समान नहीं रहा। सितंबर 2021 और सितंबर 2024 के बीच, एचडीएफसी बैंक, कोटक बैंक और बजाज फाइनेंस जैसे बड़े नामों ने जीरो शेयरहोल्डर रिटर्न दिया। एफएमसीजी दिग्गजों डाबर, मैरिको और हिंदुस्तान यूनिलीवर ने भी यही किया।
अहम बात यह है कि इन कंपनियों की कमाई सपाट नहीं रही। इनकी कमाई सिंगल डिजिट से बढ़कर लगभग 10-12% तक पहुंच गईं, जो तीन साल की अवधि में हुई शानदार बढ़त है। लेकिन शेयरों की कीमतें स्थिर नहीं रहीं क्योंकि पी/ई मल्टीपल में तेज़ी से गिरावट देखने को मिली। मारन ने कहा, “वास्तव में,जब इंडेक्स अपने ऑलटाइम हाई पर था, तब कुछ शेयरों का भाव 2021 के भाव का बमुश्किल आधा था।”
इसके विपरीत,बाज़ार का दूसरा हिस्सा यानी बीएसई 500 कंपनियों के लगभग 50-60 फीसदी शेयर में (सरकारी पूंजीगत व्यय में बढ़त के कारण) 20-25 फीसदी की जोरदार सालाना अर्निंग ग्रोथ देखने को मिली। उन्होंने कहा, “सरकारी खर्च से जुड़ी कंपनियों (रक्षा, रेलवे, कैपिटगुड्स, इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर और रियल एस्टेट) की आय में शानदार बढ़त के साथ-साथ प्राइस-टू-अर्निंग मल्टिपल में भी बढ़त देखने को मिली। इन सेक्टरों में शेयरधारकों का रिटर्न तेज़ी से बढ़ा है।”
इस अवधि के दौरान, बेंचमार्क इडेक्सो में मासिक उतार-चढ़ाव काफी कम रहा। मारन ने कहा, “किसी भी महीने में सेंसेक्स या निफ्टी में 5% से ज़्यादा की बढ़ोतरी नहीं देखी गई।” उन्होंने कहा कि वौलैटिलिटी का एक प्रमुख पैमान, स्टैंडर्ड डेविएशन अपने लॉन्ग टर्म एवरेज से नीचे गिर गया है।
पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो सेंसेक्स ने अपनी शुरुआत से ही 15 फीसदी और निफ्टी ने लगभग 14 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया है। लेकिन इस दौरान लगभग 25 फीसदी वोलैटिलिटी देखने को मिली है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा,”पिछले तीन सालों में मिलने वाला रिटर्न लॉन्ग टर्म एवरेज से ऊपर रहा है, लेकिन वोलैटिलिटी उससे कहीं कम रही है। यह एक असामान्य स्थिति। ऐसे दौर के बाद आमतौर पर औसत से कम रिटर्न और औसत से ज़्यादा वोलैटिलिटी या दोनों के दौर आते हैं।”
मारन का मानना है कि बाज़ार अब इसी दौर में प्रवेश कर रहा है। वे कहते हैं,”पिछले तीन सालों के अच्छे दौर के बाद, अगले दौर में कम रिटर्न और ज़्यादा वोलैटिलिटी की संभावना रहेगी।”
उनका कहना कि आज बाज़ार का 50-60% हिस्सा ‘ओवरवैल्यूड जोन’ में कारोबार कर रहा है। बाजार का लगभग 20-25 फीसदी हिस्सा फेयर वैल्यू पर है, और 15-20 फीसदी कंपनियां तीन साल पहले की तुलना में सस्ती हैं। उन्होंने कहा,”आज बाज़ार का लगभग 80 फीसदी हिस्सा या तो फेयर वैल्यू पर है या ओवरवैल्यूड है। ऐसे में भारत के अगले मार्केट साइकिल में प्रवेश करते समय बहुत सेलेक्टिव होने की जरूरत है।
