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Gold Price: गोल्ड मार्केट में बनी रहेगी मजबूती, निवेश या मुनाफावसूली? क्या हो निवेशकों की स्ट्रैटेजी

Gold Price: गोल्ड मार्केट में बनी रहेगी मजबूती, निवेश या मुनाफावसूली? क्या हो निवेशकों की स्ट्रैटेजी

Last Updated on October 12, 2025 14:25, PM by Pawan

सोना इस वक्त सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले एसेट्स में से एक है। भाव ने पिछले एक साल में 50 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त देखी है। यह 4000 डॉलर के आंकड़े को पार कर गया। लेकिन अब क्या किया जाए? क्या सोने में यह निवेश करने का वक्त है या फिर पैसा निकालकर मुनाफा कमाने का? हर निवेशक के मन में यह सवाल उठ रहा है। सोने की तेजी, आउटलुक को लेकर सवालों के जवाब दिए निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड के हेड ऑफ कमोडिटीज और फंड मैनेजर विक्रम धवन ने। यह फंड हाउस 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के एयूएम के साथ भारत का सबसे बड़ा गोल्ड ईटीएफ चलाता है…

पिछले एक साल में सोने ने 50 प्रतिशत से ज्यादा रिटर्न दिया है। क्या आपको लगता है कि निवेशकों के लिए सतर्क होने का समय आ गया है, या अभी भी तेजी की गुंजाइश है?

हम निवेशकों और केंद्रीय बैंकों, दोनों के ही रुख में वैश्विक बदलाव देख रहे हैं। पिछले कई सालों से, केंद्रीय बैंक डॉलर से हटकर सोने में निवेश कर रहे हैं। यह रुझान अब प्राइवेट इनवेस्टर्स में भी दिखाई दे रहा है।उदाहरण के लिए, भारतीय म्यूचुअल फंड इकोसिस्टम में कुल एसेट्स अंडर मैनेजमेंट यानि कि एयूएम में सोने और चांदी का 2 प्रतिशत से भी कम हिस्सा है। वैश्विक स्तर पर भी पिछले साल के मध्य तक कई संस्थागत निवेशकों का सोने में निवेश न के बराबर था।

 

सोने में वापसी का यह दौर अभी भी जारी है। और जब तक यह पूरा नहीं हो जाता, हमें गोल्ड मार्केट्स में मजबूती देखने को मिल सकती है। बेशक, कोई भी चीज सीधी रेखा में ऊपर नहीं जाती। कंसोलिडेशन और करेक्शन के फेज आएंगे लेकिन अंडरलाइंग ट्रेंड निकट भविष्य में पॉजिटिव बना रहेगा।

क्या आपने गोल्ड ईटीएफ खरीद में तेजी देखी है? सितंबर और अक्टूबर के महीने आपके लिए कैसे रहे?

अगर हम ट्रेंड देखें, तो 2024 में गोल्ड ईटीएफ में निवेश 2023 की तुलना में तीन से चार गुना ज्यादा रहा। 2025 की बात करें तो वैसे तो मौजूदा वित्त वर्ष के अभी 6 महीने ही बीते हैं। लेकिन अब तक के निवेश बताते हैं कि यह साल फिर से 2024 की तुलना में 2 से 3 गुना ज्यादा निवेश वाला हो सकता है। तो हां, हम निवेश में तेज वृद्धि देख रहे हैं।

उन निवेशकों को आपकी क्या सलाह है जो इस तेजी का फायदा उठाने से चूक गए? क्या अभी भी सोने में निवेश करने का सही समय है, या उन्हें गिरावट का इंतजार करना चाहिए?

भारत में एसेट एलोकेशन और मल्टी-एसेट इनवेस्टिंग अभी भी नए कॉन्सेप्ट हैं। अगर आप यूरोप या अमेरिका से तुलना करें, तो वहां निवेशक डायवर्सिफाइड, एक से ज्यादा एसेट्स में अधिक निवेश करते हैं। भारत में, ऐसे फंड अभी भी कुल AUM का लगभग 2-3% ही बनाते हैं। जैसे-जैसे पोर्टफोलियो बढ़ते हैं और निवेशकों की जागरूकता बढ़ती है, फोकस शुद्ध या सुनिश्चित रिटर्न से हटकर रिस्क-एडजस्टेड या स्थायी रिटर्न पर शिफ्ट होता है, और यहीं पर सोना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए जो लोग पिछली रैली का फायदा उठाने से चूक गए हैं, उनके लिए भी सोना पोर्टफोलियो डायवर्सिफायर के तौर पर अभी भी अच्छा विकल्प बना हुआ है।

आपके हिसाब से अगले कुछ महीनों में अमेरिकी फेड की ओर से ब्याज दरों में कटौती और चल रहे भू-राजनीतिक तनाव सोने की कीमतों को कैसे प्रभावित करेंगे?

दिलचस्प बात यह है कि अमेरिकी डॉलर, बॉन्ड यील्ड या फेड ब्याज दरों जैसे पारंपरिक मैक्रो फैक्टर सोने की इस तेजी में कम प्रभावी हो गए हैं। 2008 के वित्तीय संकट से पहले, बुल मार्केट में कीमतें मुख्यतः मैक्रो ट्रेड्स और सट्टेबाजी के फ्लो से संचालित होती थीं। लेकिन इस बार, प्रमुख खिलाड़ी लॉन्ग टर्म इनवेस्टर हैं। हालांकि, अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती अभी भी मायने रखती है। अमेरिका लगभग 7% का राजकोषीय घाटा झेल रहा है। ऐसा पिछली बार कोविड-19 या 2008 के संकट के दौरान देखा गया था। अगर राजकोषीय और मौद्रिक नीतियां दोनों ही उदार बनी रहती हैं, तो यह सोने के लिए एक अच्छा साबित होगा और डॉलर के लिए कम अच्छा।

चांदी की बात करें तो पिछले एक साल में इसमें सोने से भी ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। वैल्यूएशन के लिहाज से सोने और चांदी में से कौन ज्यादा आकर्षक लगता है?

सोना ग्लोबल डेट को देखते हुए एक बड़ा बचाव है। कुल सॉवरेन डेट अब 100 लाख करोड़ डॉलर को पार कर गया है। कुल वैश्विक कर्ज लगभग 350 लाख करोड़ डॉलर है, जो ग्लोबल जीडीपी का लगभग 3.5 गुना है। ऋण जोखिम से मुक्त होने के कारण, सोना कर्ज के इस बढ़ते बोझ के लिए एक एंटीडोट के तौर पर काम करता है। दूसरी ओर चांदी औद्योगिक मांग, विशेष रूप से रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर की मांग से संचालित होती है। चांदी की वैश्विक मांग में से लगभग 15-20 प्रतिशत अब सोलर एनर्जी एप्लीकेशंस से आती है। इसलिए, जहां सोने का मोमेंटम मैक्रोइकोनॉमिक है, वहीं चांदी का स्ट्रक्चरल है क्योंकि यह ग्रीन एनर्जी और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी है।

आज निवेशकों के पास सोने में निवेश के कई विकल्प हैं – SGB, डिजिटल गोल्ड, म्यूचुअल फंड FoF और ETF। उन्हें कैसे चुनाव करना चाहिए?

यह आपके उद्देश्य पर निर्भर करता है। अगर आप पूंजी बाजारों के जरिए वेल्थ क्रिएशन पर फोकस कर रहे हैं, तो गोल्ड ETF का विकल्प है। ये रेगुलेटेड, लिक्विड और सुरक्षित हैं और इनमें इनवेस्टमेंट ऐप्स के जरिए निवेश किया जा सकता है। अगर आप सोने को खपत के लिए खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं, जैसे ज्वैलरी के लिए सोना खरीदना या गिफ्ट में देना, तो फिजिकल गोल्ड, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) या डिजिटल गोल्ड आपके लिए सही विकल्प हो सकते हैं।

हालांकि, ध्यान रखें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और डिजिटल गोल्ड कम लिक्विड होते हैं। इसलिए बाजार के दबाव के दौरान, खासकर बड़े पोर्टफोलियो के लिए, ये प्रभावी बचाव नहीं दे सकते। इसलिए, अपने वित्तीय लक्ष्य के आधार पर चुनाव करें।

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