Last Updated on October 9, 2025 15:03, PM by Khushi Verma
भारतीय फार्मा सेक्टर की दो दिग्गज कंपनियां, Torrent Pharmaceuticals और JB Chemicals एंड फार्मास्युटिकल्स एक बड़ी मर्जर डील को लेकर चर्चा में हैं. टोरेंट फार्मा ने लगभग ₹19,500 करोड़ में JB केमिकल्स का मेजोरिटी स्टेक खरीदने का प्रस्ताव रखा है. यह मर्जर भारत की दूसरी सबसे बड़ी फार्मा डील बन सकती है. लेकिन अब प्रतिस्पर्धा आयोग CCI (Competition Commission of India) ने इस डील पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं, जिससे सौदे की मंजूरी फिलहाल अधर में लटक गई है.
CCI द्वारा चिंता जताने के मुख्य बिंदु
CCI की सबसे बड़ी चिंता यह है कि दोनों कंपनियों के रेवेन्यू और प्रोडक्ट प्रोफाइल्स में ओवरलैप करते हैं, जिससे भारतीय दवा बाजार में प्रतिस्पर्धा बाधित हो सकती है. एंटी ट्रस्ट रेग्युलेटर का मानना है कि इस मर्जर से संबंधित दवा कैटिगरी में बाजार में एकाधिकार (monopoly) की स्थिति बन सकती है जिससे कीमतें ज्यादा रखने या कंज्यूमर विकल्प कम करने के जोखिम बढ़ जाते हैं.
Nifedipine में 90% से अधिक मार्केट शेयर होगा
CCI ने JB केमिकल कि Nifedipine मेडिसिन पर सवाल उठाया है. बता दें कि Nifedipine में JB केमिकल का 92% मार्केट शेयर और टोरेंट फार्मा का 4% शेयर है. एंट्री ट्रस्ट बॉडी का मानना है कि मर्जर के बाद Nifedipine मेडिसिन में 90 परसेंट से ऊपर का मार्केट शेयर से मोनोपॉली बनेगी.
Lactobacillus में 80% मार्केट शेयर होगा
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सीसीआई ने Lactobacillus मेडिसिन को लेकर भी सवाल पूछा. Lactobacillus मेडिसिन में Torrent Pharma और JB केमिकल्स का 35-40% मार्केट शेयर जो मर्जर के बाद भी 70-80% हो जाएगा. कंपनियों ने Lactobacillus के लिए अगले तीन साल तक दाम नहीं बढ़ाने और इंडस्ट्री से ज्यादा क़ीमत नहीं रखने का प्रस्ताव दिया है. इस पूरे मामले को लेकर Torrent Pharma और CCI ने जी बिजनेस के ईमेल का जवाब नहीं दिया है.
आगे क्या करेगा CCI?
टोरेंट फार्मा और JB केमिकल्स दोनों ने CCI के सामने अपनी डील का नोटिस दाखिल किया है. अब CCI विभिन्न डेटा, दोनों कंपनियों के बाजार हिस्सेदारी (market share), उनके प्रोडक्ट पोर्टफोलियो और संभावित प्रतिस्पर्धी जोखिमों का विस्तार से मूल्यांकन कर रही है. ऐसा माना जा रहा है कि यदि आयोग को लगे कि मर्जर से किसी बाजार में प्रतिस्पर्धा कम होगी या उपभोक्ता हितों पर असर पड़ेगा, तो वह सौदे में बदलाव या शर्तें जोड़ सकता है. कंपनियों को शायद अतिरिक्त डेटा या स्पष्टीकरण भी देना पड़ सकता है, या सौदे की कुछ शर्तें बदलनी भी पड़ सकती हैं.
टोरेंट फार्मा के लिए यह डील अहम
यदि यह डील पास हो जाती है, तो टोरेंट फार्मा भारत की दूसरी सबसे वैल्युड फार्मा कंपनी बन जाएगी. दोनों कंपनियों की ताकत- Therapies, Formulation Drugs, API, और CDMO सर्विसेज मिलकर नए मार्केट सेगमेंट्स को टारगेट करने में मदद करेगी और ग्लोबल प्रजेंस को और मजबूत बनाएगी.
इंडस्ट्री व निवेशकों की नजर
यह डील न केवल उद्योग के लिए, बल्कि निवेशकों और अन्य फार्मा कंपनियों के लिए भी ट्रेंड सेटर साबित हो सकती है. अगर CCI से मंजूरी मिल जाती है, तो फार्मा सेक्टर के बाकी मर्जर और एक्वीजीशन के लिए भी नई मिसाल बनेगी. इस पर अंतिम फैसला आना बाकी है. इस पूरे मामले को लेकर Torrent Pharma और CCI ने जी बिजनेस के ईमेल का जवाब नहीं दिया है.
