Last Updated on October 8, 2025 22:28, PM by Pawan
सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों से जुड़े कई नियमों को आसान बनाने का प्रस्ताव पेश किया है। इनमें ब्रोकर्स के डिफॉल्ट करने पर क्लेम फाइल करने की समयसीमा तय करने का प्रस्ताव शामिल है। रेगुलेटर एक्सक्लूसिवली लिस्टेड कंपनियों के प्रमोटर्स के लिए नियमों को सख्त बनाना चाहता है। रेगुलेटर ने एक्सचेंज के इक्विटी और डेरिवेटिव सेगमेंट के इनवेस्टर प्रोटेक्शन फंड्स (आईपीएफ) के विलय का भी प्रस्ताव दिया है। हालांकि, सेबी के ज्यादातर प्रस्ताव का फोकस एक्सचेंजों के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर है।
आईपीएफ क्लेम लुकबैक पीरियड शुरू करने का प्रस्ताव
सेबी ने तीन साल का एक आईपीएफ क्लेम लुकबैक पीरियड शुरू करने का प्रस्ताव पेश किया है। इसके तहत मेंबर के डिफॉल्टर घोषित होने से तीन साल पहले के ट्रांजेक्शंस ही आईपीएफ क्लेम के हकदार होंगे। इससे पुराने और बार-बार क्लेम के मामलों में कमी आएगी। रेगुलेटर के प्रस्ताव में कहा गया है कि एमएसईसीसी के नियमों में संशोधन होगा। इससे सिर्फ उन्हीं क्लेम को एलिजिबल माना जाएगा जिनमें अंडरलाइंड ट्रांजेक्शंस डिफॉल्ट डेक्लेयर होने के तीन साल पहले के दायरे में आएंगे।
इक्विटी और कमोडिटी आईपीएफ के विलय का प्लान
रेगुलेटर ने इक्विटी और कमोडिटी आईपीएफ के विलय का भी प्रस्ताव पेश किया है। सेबी ने कहा है कि एक्सचेंज एक सिंगल आईपीएफ मेंटेन करेंगे, जिसके तहत इक्विटी और कमोडिटी दोनों सेगमेंट्स आएंगे। इससे कंट्रिब्यूशंस, यूटिलाइजेशन, डिप्लॉयमेंट और गवर्नेंस में आसानी होगी। साथ ही कमोडिटी सेगमेंट की जरूरतें पूरी की जा सकेंगी। सेबी का मानना है कि एक सिंगल आईपीएफ होने से एक्सचेंजों की जरूरतें पूरी करना आसान हो जाएगा। हालांकि, यह विलय मुख्य रूप से कमोडिटी-डेरिवेटिव एक्सेंचजों के इक्विवेलेंट फंड मेंटन करने पर होगा।
आईपीएफ इंटरेस्ट यूजेज से जुड़ा प्रतिबंध हटेगा
एनएसई के आईपीएफ इंटरेस्ट यूजेज पर एक खास प्रतिबंध को हटाने का भी प्रस्ताव पेश किया गया है। सेबी आईपीएफ के मामले में एक्सचेंजों के बीच समानता लाना चाहता है। इसके लिए उस प्रतिबंध को हटाने का प्लान है, जिसके तहत एनएसई को इनवेस्टर्स क्लेम का पूरा आईपीएफ इंटरेस्ट अकेले इस्तेमाल करना पड़ता है। यह प्रतिबंध 2020 में लागू किया गया था। इसे एनएसई की तरफ से मिले रिप्रजेंटेशन के बाद बदलने का प्लान है।
एक्सक्लूसिवली लिस्टेड कंपनियों के प्रमोटर्स के लिए सख्त होंगे नियम
मार्केट रेगुलेटर ने डिसेमिनेशन बोर्ड (डीबी) पर एक्सक्लूसिवली लिस्टेड कंपनियों के लिए भी एक अहम प्रस्ताव पेश किया है। ऐसे कंपनियों को डीबी में जाने के तीन महीनों के अंदर निर्धारित एक्सचेंज को एक एक्शन प्लान पेश करना होगा। सेबी का मानना है कि मौजूदा नियमों में एक्शन प्लान के सबमिशन की टाइमलाइन के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। इससे ईएलसी को गैरजरूरी छूट मिल जाती है, जिससे शेयरहोल्डर्स के लिए अनिश्चितता पैदा होती है। इसलिए तीन महीने की सबमिशन टाइमलाइन का प्रस्ताव पेश किया गया है।
