Last Updated on October 6, 2025 19:44, PM by Pawan
टाटा कैपिटल का मेगा आईपीओ 6 अक्टूबर को खुल गया। 15,500 करोड़ रुपये के इस आईपीओ में ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) भी शामिल है। इसका मतलब है कि टाटा कैपिटल में हिस्सेदारी रखने वाली कंपनियां अपने शेयर ओएफएस में बेचेंगी। कंपनी 6,846 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी करेगी। ओएफएस के तहत 8,666 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर जारी किए जाएंगे। लिस्टिंग के बाद टाटा कैपिटल में टाटा ग्रुप की हिस्सेदारी करीब 96 फीसदी से घटकर करीब 85 फीसदी रह जाएगी।
अनलिस्टेड मार्केट में कीमत 1,000 रुपये से ज्यादा जा चुकी है
Tata Capital ने प्रति शेयर 316-326 रुपये का प्राइस बैंड तय किया है। अपर प्राइस बैंड पर कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 1,38,387 करोड़ रुपये है। कंपनी ने शेयरों का जो प्राइस बैंड तय किया है, उसने चौंकाया है। अनिलिस्टेड मार्केट (OTC) में कंपनी के शेयरों में प्रति शेयर 1,0000 रुपये से ज्यादा कीमत पर ट्रेडिंग हो चुकी है। इस वजह से इनवेस्टर्स थोड़ा कनफ्यूज्ड हैं। सवाल है कि क्या उन्हें इस आईपीओ में बोली लगानी चाहिए?
इनवेस्टर्स को हो सकती है लिस्टिंग गेंस
टाटा ग्रुप की कंपनी ने ऐसे वक्त आईपीओ पेश किया है, जब शेयर बाजार में बड़ा उतारचढ़ाव है। ऐसा लगता है कि टाटा कैपिटल ने मार्केट की स्थिति और इश्यू के साइज को देखते हुए आईपीओ में शेयरों का प्राइस बैंड कम तय किया है। कंपनी के इश्यू में जिस तरह से एंकर इनवेस्टर्स ने दिलचस्पी दिखाई है और जो प्राइस बैंड तय किया गया है, उसे देखते हुए इस इश्यू में शेयर एलॉट होने पर इनवेस्टर्स लिस्टिंग गेंस की उम्मीद कर सकते हैं।
प्रॉफिट कमाने का लंबा ट्रैक रिकॉर्ड
टाटा कैपिटल का प्रॉफिट कमाने का 18 साल का ट्रैक रिकॉर्ड है। इसका प्रोडक्ट पोर्टफोलियो डायवर्सिफायड है। इसमें रिटेल लोन की हिस्सेदारी बढ़ रही है। कंपनी को टाटा समूह का सपोर्ट हासिल है। लेकिन, यह ध्यान में रखना होगा कि किसी लोन सेगमेंट में टाटा कैपिटल मार्केट लीडर नहीं है। कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन सेगमेंट में बजाज फाइनेंस मार्केट लीडर है। कमर्शियल व्हीकल्स फाइनेंसिंग में श्रीराम फाइनेंस मार्केट लीडर है। हाल में टाटा मोटर्स के विलय का असर शॉर्ट टर्म में टाटा कैपिटल के प्रॉफिट पर पड़ सकता है। लेकिन, टाटा कैपिटल की ग्रोथ के लिए काफी संभावनाएं हैं। इसके अलावा कंपनी के लिए क्रॉस सेलिंग के लिए भी बड़े मौके हैं।
देश की तीसरी सबसे बड़ी एनबीएफसी
टाटा कैपिटल देश की तीसरी सबसे बड़ी एनबीएफसी है। बजाज फाइनेंस और श्रीराम फाइनेंस टॉप 2 एनबीएफसी हैं। मार्च 2025 के अंत में टाटा कैपिटल का एसेट अंडर मैनेजमेंट 2,26,553 करोड़ रुपये था। टाटा मोटर्स फाइनेंस का विलय इस साल मई से टाटा कैपिटल में हो गया। टाटा मोटर्स फाइनेंस का ग्रॉस लोन पोर्टफोलियो 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का था। टाटा कैपिटल की लोन बुक काफी डायवर्सिफायड है। इसमें रिटेल, एसएमई और कॉर्पोरेट्स लोन शामिल हैं। कंपनी का प्राइवेट इक्विटी बिजनेस भी है। वेलथ मैनेजमेंट और फाइनेंशियल प्रोडक्ट डिस्ट्रिब्यूसन बिनजेस में भी इसकी छोटी मौजूदगी है।
टाटा समूह की कंपनी होने का फायदा
एनबीएफसी के प्रॉफिट कमाने का एक ही रूल है। कम इंटरेस्ट रेट पर पैसे जुटाओ और ज्यादा इंटरेस्ट रेट पर लोन दो। टाटा संस की सब्सिडियरी होने के चलते दूसरी एनबीएफसी के मुकाबले टाटा कैपिटल को कम इंटरेस्ट रेट पर पैसा मिलता है। इससे कंपनी को मार्जिन बेहतर बनाए रखने में मदद मिलती है। साथ ही यह कम रिस्क और हाई-क्वालिटी कर्ज के मौकों का इस्तेमाल कर पाती है। प्राइस बैंड के ऊपरी लेवल (326 रुपये) पर टाटा कैपिटल की वैल्यूएशन FY27 की अनुमानित बुक वैल्यू की 2.9 गुनी है।
क्या आपको बोली लगानी चाहिए?
टाटा कैपिटल की वैल्यूएशन बजाज फाइनेंस और चोलामंडलम इनवेस्टमेंट जैसी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के मुकाबले कम दिखती है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि आगे टाटा कैपिटल बजाज फाइनेंस जैसा कमाल कर पाएगी या नहीं। यह काफी हद तक एग्जिक्यूशन पर निर्भर करेगा। लेकिन, टाटा समूह का हिस्सा होने और ग्रोथ के बड़े मौके को देखते हुए टाटा कैपिटल का प्रदर्शन अच्छा रहने की उम्मीद है। लंबी अवधि के निवेशक इस आईपीओ में बोली लगाने के बारे में सोच सकते हैं।