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Gold Silver Price: एक दिन में ₹9700 बढ़ा सोने का भाव, चांदी भी नई ऊंचाई पर; टूट गए सारे रिकॉर्ड

Gold Silver Price: एक दिन में ₹9700 बढ़ा सोने का भाव, चांदी भी नई ऊंचाई पर; टूट गए सारे रिकॉर्ड

Last Updated on October 6, 2025 23:51, PM by Pawan

Gold Silver Price: सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में सोने और चांदी की कीमतों में जबरदस्त बढ़त देखी गई। दोनों कीमती धातुओं का दाम नई रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। 10 ग्राम सोना ₹9,700 महंगा होकर (Gold Price Today) ₹1,30,300 पर पहुंच गया। यह तेजी विदेशी बाजारों में सुरक्षित निवेश (safe-haven) की मांग और रुपये की कमजोरी की वजह से आई।

ऑल इंडिया सर्राफा एसोसिएशन के अनुसार, 24 कैरेट का सोना शुक्रवार को ₹1,20,600 प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। स्थानीय बुलियन मार्केट में 24 कैरेट वाला सोना ₹2,700 बढ़कर ₹1,22,700 (सभी करों सहित) पर पहुंचा। इससे पहले यह ₹1,20,000 पर बंद हुआ था।

रुपये की कमजोरी का असर

 

ट्रेडर्स ने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट ने भी सोने की कीमतों को बढ़ाया। HDFC Securities के सीनियर एनालिस्ट सौमिल गांधी (Saumil Gandhi) ने बताया, ‘सोना नया रिकॉर्ड बनाने के बावजूद निवेशक इसमें निवेश करना पसंद कर रहे हैं। वे भविष्य में और बढ़त की उम्मीद कर रहे हैं, जो मजबूत फंडामेंटल्स (fundamentals) और बुलिश (bullish) ट्रेंड पर आधारित है।’

गांधी ने कहा कि अमेरिकी सरकार के लंबे शटडाउन (shutdown) के चलते आर्थिक प्रदर्शन पर चिंता भी सुरक्षित निवेश धातु की मांग बढ़ा रही है।

चांदी का दाम भी ₹7400 बढ़ा

चांदी में भी जबरदस्त बढ़त हुई। चांदी की कीमत (Silver Price Today) ₹7,400 बढ़कर ₹1,57,400 प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) पर पहुंच गई। साल की शुरुआत में चांदी ₹89,700 प्रति किलोग्राम थी, यानी 75.47% की तेजी।

2025 में सोने की कीमत में अब तक ₹51,350 या 65.04% की तेजी आई है। साल की शुरुआत में 31 दिसंबर 2024 को यह ₹78,950 प्रति 10 ग्राम थी।

वायदा बाजार में उछाल

सोने का दाम दिसंबर वायदा में ₹1,962 या 1.66% की बढ़त के साथ ₹1,20,075 प्रति 10 ग्राम रिकॉर्ड किया गया। फरवरी 2026 का कॉन्ट्रैक्ट ₹2,047 या 1.71% बढ़कर ₹1,21,380 प्रति 10 ग्राम पर पहुंचा। चांदी के दिसंबर वायदा में भी ₹2,233 या 1.53% की बढ़त हुई और यह ₹1,47,977 प्रति किलोग्राम पर पहुंचा। मार्च 2026 का कॉन्ट्रैक्ट ₹2,337 या 1.59% बढ़कर ₹1,49,605 प्रति किलोग्राम पर रिकॉर्ड किया गया।

LKP Securities के VP रिसर्च जतिन त्रिवेदी ने कहा, ‘सोना तेजी से बढ़ा और ₹1,20,000 प्रति 10 ग्राम का स्तर पार किया। वैश्विक मांग और रुपये की कमजोरी ने घरेलू बाजार को मजबूत किया।’

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इस साल उफान पर सोना-चांदी

Abans Financial Services के CEO चिंतन मेहता (Chintan Mehta) ने बताया कि अमेरिकी शटडाउन के कारण महत्वपूर्ण आर्थिक डेटा रिलीज में देरी हुई है, जिससे लेबर मार्केट और अन्य संकेतकों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।

Augmont की रिसर्च हेड रेनिशा चेनानी (Renisha Chainani) ने कहा कि इस साल सोना अंतरराष्ट्रीय बाजार में 50% और चांदी 65% बढ़ चुकी है। उन्होंने बताया कि राजनीतिक, टैरिफ, भू-राजनीतिक, दर कटौती और अमेरिकी शटडाउन जैसी अनिश्चितताओं ने बुलियन की मांग बढ़ाई। चेनानी ने आगे कहा कि डॉलर की कमजोरी, केंद्रीय बैंकों की खरीदारी, गोल्ड-ईटीएफ में बढ़ती मांग और रिटेल निवेशकों की रुचि ने सोने की कीमतों को सीधे समर्थन दिया।

Motilal Oswal के एनालिस्ट मानव मोदी के अनुसार, इस हफ्ते निवेशक फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की बैठक की मिनट्स और फेड चेयर जेरोम पॉवेल के भाषण पर नजर रखेंगे।

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आगे कैसे रहेगी सोने की चाल

VT Markets के ग्लोबल स्ट्रैटेजी लीड रॉस मैक्सवेल (Ross Maxwell) ने कहा, ‘तकनीकी तौर पर सोना अभी ओवरबॉट (overbought) यानी थोड़े महंगा क्षेत्र में है। लेकिन, अगर शॉर्ट टर्म में कीमतों में कोई गिरावट आती है, तो वह ज्यादातर निवेशकों के मुनाफावसूली की वजह से होगी, न कि सोने के असली हालात में बदलाव की वजह से।

उन्होंने कहा कि $4,000 का लेवल मानसिक (psychological) सीमा के तौर पर काम कर सकता है। लेकिन, जब तक कोई बड़ा उलटफेर नहीं होता, लॉन्ग टर्म में सोने को लेकर रुझान पॉजिटिव है।

सोने की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं?

मैक्सवेल ने बताया कि सोने की कीमतें इसलिए बढ़ रही हैं क्योंकि निवेशक सुरक्षित निवेश (safe-haven assets) को चुन रहे हैं, मुद्रास्फीति (inflation) में अनिश्चितता है और फेड की नीतियों की उम्मीदें हैं। साथ ही, केंद्रीय बैंकों की खरीदारी, बढ़ते ईटीएफ (Exchange-Traded Fund) निवेश और भू-राजनीतिक चिंता भी आग में घी का काम कर रही हैं।

मैक्सवेल ने कहा, ‘फेड की हालिया ब्याज दर कटौती के बाद जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) के सतर्क रुख ने डॉलर को मजबूत किया। लेकिन, सोने का लॉन्ग टर्म ट्रेंड अब भी सकारात्मक है। संभावित स्टैगफ्लेशन (stagflation), यानी धीमी आर्थिक वृद्धि के बावजूद लगातार मुद्रास्फीति भी कीमतें बढ़ा रही है। आगे ब्याज दर कटौती (rate cut) से और मदद मिलने की उम्मीद है।’

(PTI से इनपुट के साथ)

 

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