Last Updated on October 4, 2025 8:20, AM by Pawan
टाटा ग्रुप (Tata Group) की एक कंपनी का अगले सोमवार को ही IPO आने वाल रहै। टाटा समूह की यह कंपनी है टाटा कैपिटल (Tata Capital)। बताया जाता है कि इस कंपनी की लिस्टिंग साल 2025 की सबसे खास लिस्टिंग में से एक है। अगर निवेशक टाटा के मजबूत नाम और ग्रुप के दूसरे शेयरों के प्रदर्शन को देखें, तो इस IPO को खरीदना एक आसान फैसला लगता है।
निवेशकों को दिया है तगड़ा रिटर्न
इससे पहले टाटा ग्रुप की सबसे नई कंपनी टाटा टेक्नोलॉजीज (Tata Technologies) की लिस्टिंग हुई थी। नवंबर 2023 में, टाटा टेक्नोलॉजीज अपने इश्यू प्राइस से 140% ज्यादा पर लिस्ट हुई थी। यह करीब बीस साल बाद टाटा ग्रुप का पहला IPO था, और उस समय बाजार में बहुत उत्साह था। लोगों में इस शेयर को खरीदने की होड़ लगी हुई थी। हालांकि, लिस्टिंग वाली तेजी ज्यादा दिन नहीं टिक पाई। दो साल बाद, टाटा टेक्नोलॉजीज अपने लिस्टिंग प्राइस से करीब 43% नीचे ट्रेड कर रही है।
अब निगाहें टाटा कैपिटल पर
निवेशकों की निगाहें अब टाटा कैपिटल पर हैं। यह टाटा संस की मुख्य फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी है। इसका 15,512 करोड़ रुपये का IPO अगले सोमवार यानी 6 अक्टूबर को खुलेगा। इसमें निवेशक 8 अक्टूबर तक बोली लगा सकते हैं। इसका प्राइस बैंड 310 रुपये से 326 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है। इस ऑफर में 6,846 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी किए जाएंगे। इसके अलावा, टाटा संस और IFC मिलकर 8,666 करोड़ रुपये के शेयर ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए बेचेंगे। OFS का मतलब है कि कंपनी के मौजूदा शेयरधारक अपने शेयर बेचते हैं, जिससे कंपनी को सीधे पैसा नहीं मिलता, बल्कि शेयरधारकों को मिलता है।
भारत की तीसरी बड़ी एनबीएफसी
टाटा कैपिटल भारत की तीसरी सबसे बड़ी डायवर्सिफाइड NBFC (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) है। जून 2025 तक, इसका कुल लोन बुक 2.33 लाख करोड़ रुपये का था। इसके ज्यादातर लोन खुदरा ग्राहकों और छोटे व मध्यम उद्योगों (SME) को दिए गए हैं, जो कुल लोन का 87% से ज्यादा है। कंपनी 1,516 शाखाओं के जरिए काम करती है। इसके अलावा, यह 30,000 DSAs (डायरेक्ट सेलिंग एजेंट), 400 OEM (ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर) के साथ साझेदारी और 60 डिजिटल पार्टनर्स के जरिए भी अपनी पहुंच बढ़ाती है।
25 तरह के लोन देती है कंपनी
टाटा कैपिटल इस समय 25 से ज्यादा तरह के लोन देती है। इसमें पर्सनल लोन, होम फाइनेंस, वाहन लोन, SME लोन और इंफ्रास्ट्रक्चर लोन शामिल हैं। उत्पादों की यह विविधता टाटा कैपिटल को एक खास फायदा देती है। इससे कंपनी का जोखिम कम होता है क्योंकि वह सिर्फ एक तरह के लोन पर निर्भर नहीं रहती। टाटा मोटर्स फाइनेंस के साथ विलय के बाद, कंपनी ने वाहन फाइनेंस के क्षेत्र में भी अपनी पकड़ मजबूत की है। इस विलय से कंपनी का कारोबार और भी बढ़ गया है।
कंपनी की रेटिंग क्या?
टाटा ब्रांड का समर्थन होने के कारण, कंपनी को ‘AAA/stable’ जैसी बेहतरीन क्रेडिट रेटिंग मिली हुई है। यह रेटिंग प्रमुख एजेंसियों ने दी है। ‘AAA’ रेटिंग सबसे अच्छी मानी जाती है, जो कंपनी की वित्तीय स्थिरता और कर्ज चुकाने की क्षमता को दर्शाती है। इस अच्छी रेटिंग के कारण कंपनी को कम ब्याज दरों पर पैसा मिलता है, जो FY25 (वित्तीय वर्ष 2025) में औसतन 7.8% था। इसकी एसेट क्वालिटी (लोन की गुणवत्ता) भी अपने क्षेत्र में सबसे अच्छी मानी जाती है। जून 2025 तक, इसके ग्रॉस NPAs (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) 2.1% थे और नेट NPAs 1% थे।
कंपनी की वित्तीय स्थिति कैसी?
वित्तीय रूप से देखें तो, FY25 में कंपनी की ब्याज आय 25,720 करोड़ रुपये रही, जो FY24 में 16,366 करोड़ रुपये थी। कंपनी का शुद्ध लाभ बढ़कर 3,655 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले साल यह 3,327 करोड़ रुपये था। नेट इंटरेस्ट मार्जिन (ब्याज से होने वाला शुद्ध लाभ) भी बढ़कर 5.6% हो गया। विलय के बाद, कंपनी के रिटर्न रेश्यो (मुनाफे के अनुपात) थोड़े कम हुए हैं, लेकिन फिर भी वे अच्छे बने हुए हैं। RoE (इक्विटी पर रिटर्न) 12.6% और RoA (एसेट्स पर रिटर्न) 1.8% है। अपनी बड़ी पहुंच के बावजूद, टाटा कैपिटल को बजाज फाइनेंस और श्रीराम फाइनेंस जैसी बड़ी NBFC कंपनियों से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ता है। इसके रिटर्न रेश्यो अपने प्रतिस्पर्धियों से कम हैं। उदाहरण के लिए, बजाज फाइनेंस का RoE 19.2% है, जबकि टाटा कैपिटल का 12.6% है। विश्लेषक कुछ जोखिमों की ओर भी इशारा करते हैं। इनमें असुरक्षित लोन (बिना किसी गारंटी के दिए गए लोन) में ज्यादा निवेश (कुल लोन का 20%), एसेट-लायबिलिटी मिसमैच (कंपनी के पास आने वाले और जाने वाले पैसों के समय में अंतर) की संभावना, और ब्याज दरों में बदलाव के प्रति संवेदनशीलता शामिल है। ब्याज दरों में बदलाव से कंपनी के मुनाफे पर असर पड़ सकता है।
आईपीओ पर क्या कह रहे हैं विश्लेषक
विश्लेषक इस IPO को लेकर सकारात्मक हैं, लेकिन वे सावधानी बरतने की सलाह भी देते हैं। SBI सिक्योरिटीज का कहना है कि टाटा कैपिटल का मजबूत पैरेंटेज (टाटा ग्रुप का समर्थन), विविध लोन पोर्टफोलियो और हर तरह से ग्राहकों तक पहुंच (omni-channel distribution) इसे लंबे समय के लिए एक स्थिर निवेश बनाती है। omni-channel distribution का मतलब है कि कंपनी ग्राहकों तक पहुंचने के लिए कई माध्यमों का इस्तेमाल करती है, जैसे शाखाएं, एजेंट और डिजिटल प्लेटफॉर्म। वहीं, कुंवरजी वेल्थ ने कंपनी की मजबूत ब्रांड वैल्यू, विकास की अच्छी रफ्तार और जोखिम प्रबंधन के मजबूत ढांचे की तारीफ की है। हालांकि, दोनों ही विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी का मूल्यांकन (valuations) सस्ता नहीं है। IPO के बाद, इसकी बुक वैल्यू का 3.4 गुना है। बुक वैल्यू का मतलब है कंपनी की कुल संपत्ति में से उसकी देनदारियों को घटाने के बाद बची हुई कीमत। यह एक तरह से कंपनी की वास्तविक कीमत होती है। निवेशकों को कितना रिटर्न मिलेगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कंपनी अपने मोटर व्हीकल फाइनेंस कारोबार को कितनी अच्छी तरह से संभालती है और कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच अपना मुनाफा कैसे बनाए रखती है।
क्या है इसका GMP
इस समय ग्रे मार्केट में टाटा कैपिटल के आईपीओ को कोई खास तवज्जो नहीं मिल रही है। शनिवार की सुबह वहां इसके शेयर पर महज 13 रुपये या 3.99 फीसदी का प्रीमियम कोट किया जा रहा था। हो सकता है कि बाद में इसमें सुधार हो।
(डिस्क्लेमर: इस विश्लेषण में दिए गए सुझाव व्यक्तिगत विश्लेषकों या ब्रोकिंग कंपनियों के हैं, हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि किसी भी निवेश का निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श कर लें। क्योंकि शेयर बाजार की परिस्थितियां तेजी से बदल सकती हैं।)
