Last Updated on October 2, 2025 16:29, PM by Pawan
शेयर बाजार ने लगातार 8 दिनों की गिरावट के बाद बुधवार 1 अक्टूबर को शानदार रिकवरी की। इस रिकवरी से निवेशकों में बाजार में एक नई रैली की उम्मीद जगी है। हालांकि लैडरअप एसेट मैनेजर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर राघवेंद्र नाथ का मानना है फिलहाल उन्हें ऐसा कोई ट्रिगर नहीं दिख रहा है, जो शेयर बाजार में आए उछाल को टिकाऊ बना सके।
मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में राघवेंद्र नाथ ने कहा कि शेयर बाजार अब तेजी के लिए कुछ अधिक ठोस कारणों की तलाश में है। फिर चाहे वो कॉर्पोरेट अर्निंग्स के मोर्चे पर कोई बड़ा सरप्राइज हो, भारत का उसके बड़े व्यापारिक साझेदारों के साथ कोई ठोस व्यापारिक समझौता हो, या फिर कोई बड़ी भू-राजनीतिक सफलता। नाथ ने कहा कि जब तक शेयर बाजार को ऐसा कोई मजबूत ट्रिगर नहीं दिखता है, तब तक वह एक सीमित दायरे में ही कारोबार करता रहेगा।
RBI की मॉनिटरी पॉलिसी पर नाथ ने कहा कि RBI के नीतिगत कदमों के बावजूद लेंडिंग रेट्स (कर्ज की ब्याज दरें) अभी तक हर सेगमेंट में कुछ खास कम नहीं हुई हैं। उन्होंने कहा “क्रेडिट डिमांड अब भी गैप को दिखा रहा है। ऐसे में अगर महंगाई लक्ष्य दायरे में बनी रहती है, तो ग्रोथ को गति देने के लिए आगे रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट तक की कटौती करने की जरूरत पड़ सकती है।”
साल 2025 में नए हाई को छू सकता है शेयर बाजार?
यह पूछे जाने पर कि क्या शेयर बाजार साल 2025 में नए हाई को छू सकता है? नाथ ने कहा, “फिलहाल मुझे निकट भविष्य में कोई ट्रिगर नजर नहीं आ रहा है। भले ही महंगाई काबू में दिख रही हो, लेकिन ग्लोबल माहौल अब भी कुछ हद तक अनिश्चित बना हुआ है। खास तौर से व्यापारिक तनाव फिर से उभरने लगे हैं।”
उन्होंने दोहराया कि बाजार को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए अब किसी ठोस ट्रिगर्स की जरूरत है। जैसे कॉरपोरेट अर्निंग्स में उछाल, बड़े व्यापारिक समझौते या भू-राजनीतिक स्तर पर कोई बड़ा बदलाव। उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार हालिया करेक्शन के बावजूद अभी भी अपने कई ग्लोबल समकक्षों की तुलना में प्रीमियम पर ट्रेड कर रहा है। ऐसे में निकट अवधि में बाजार बिना किसी ठोस ट्रिगर के सीमित दायरे में ही बना रह सकता है।
हालांकि नाथ ने यह भी कहा कि शॉर्ट टर्म में भले ट्रिगर्स की कमी दिख रही है, लेकिन मीडियम और लॉन्ग टर्म के लिहाज से भारत की स्ट्रक्चरल स्टोरी मजबूत बनी हुई है।
सितंबर तिमाही में बड़े डाउनग्रेड की संभावना कम
नाथ से जब पूछा गया कि क्या वह सितंबर तिमाही के अर्निंग्स सीजन के दौरान कोई बड़ा जोखिम देख रहे हैं? उन्होंने कहा कि मोटे तौर पर अब हम ऐसी स्थिति में नहीं हैं जहां भी सेक्टर्स में अर्निंग्स डाउनग्रेड की संभावना हो। हालांकि कुछ सेक्टर्स को लेकर चिताएं अभी भी बनी हुई हैं।
नाथ ने कहा कि बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर स्थिर बना हुआ है। क्रेडिट ग्रोथ में सुधार के संकेत मिल रहे हैं और हाल के तिमाहियों में डिपॉजिट ग्रोथ भी मजबूत बनी हुई है। शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ने से निवेशकों का झुकाव डिपॉजिट और फिक्स्ड इनकम प्रोडक्ट्स की ओर हो सकता है, जिससे बैंकों को फंडिंग मिक्स संभालने में मदद मिलेगी।
हालांकि आईटी सेक्टर के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। ग्लोबल डिमांड मॉडरेशन, टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताएं और क्लाइंट्स की ओर से डिस्क्रिशनरी खर्च में कमी का असर इस सेक्टर पर देखा जा रहा है। कई ब्रोकरेज हाउस बड़े आईटी सर्विस प्रोवाइडर्स की अर्निंग्स ग्रोथ को लेकर नेगेटिव राय बनाए हुए हैं।
दूसरी ओर, इंफ्रास्ट्रक्चर और कैपिटल गुड्स सेक्टर को सरकारी कैपेक्स से लगातार मजबूती मिल रही है और यह ट्रेंड आगे भी जारी रहने की उम्मीद है। कंज्यूमर स्टेपल्स और डिस्क्रिशनरी सेगमेंट, खासकर व्हाइट गुड्स, पर दबाव जरूर बना हुआ था। लेकिन इनकम टैक्स सुधारों और जीएसटी दरों में कटौती के बाद अब रिकवरी के शुरुआती संकेत देखने को मिल रहे हैं।
