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TCS layoffs: TCS में 30000 कर्मचारियों की छंटनी! टाटा ग्रुप की IT कंपनी के हर ऑफिस में डर और तनाव का माहौल

TCS layoffs: TCS में 30000 कर्मचारियों की छंटनी! टाटा ग्रुप की IT कंपनी के हर ऑफिस में डर और तनाव का माहौल

Last Updated on September 29, 2025 21:36, PM by Pawan

TCS layoffs: TCS के प्रमुख के कृतिवासन (K Krithivasan) ने दो महीने पहले मनीकंट्रोल से कहा था कि आईटी कंपनी अपने कर्मचारियों का 2 प्रतिशत यानी 12,000 से अधिक लोगों की छंटनी करेगी। अब TCS कर्मचारियों पर इसका असर पूरी तरह महसूस किया जा रहा है। हाल के हफ्तों में अचानक और जबरन इस्तीफों की लहर ने टाटा ग्रुप की इस आईटी कंपनी में डर, असुरक्षा और तनाव का माहौल बना दिया है।

आईटी यूनियनों और TCS कर्मचारियों का दावा है कि असल छंटनी आधिकारिक संख्या से कहीं ज्यादा हो सकती है। मनीकंट्रोल इसे स्वतंत्र रूप से जांच नहीं पाया है, लेकिन कई सूत्रों का कहना है कि यह संख्या 30,000 से भी ऊपर हो सकती है।

एक मिड-लेवल के TCS कर्मचारी राष्ट्रीय स्तर की आईटी यूनियन का हिस्सा है। उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘जून से अब तक लगभग 10,000 प्रभावित कर्मचारियों ने सीधे हमसे संपर्क किया है। छंटनी आसानी से 30,000 से ऊपर जा सकती है, क्योंकि कर्मचारियों को खुद इस्तीफा देने के लिए कहा जाता है। इसलिए यह TCS के रिकॉर्ड में नहीं दिखेगा, केवल एट्रिशन आंकड़ों में ही नजर आएगा।’

 

आईटी यूनियनों का विरोध

पिछले कुछ महीनों में AIITEU, FITE, UNITE और KITU जैसी कई आईटी यूनियनों ने TCS की छंटनियों के खिलाफ प्रदर्शन और अभियान चलाए हैं। हालांकि, कंपनी के एक सूत्र ने कहा कि यूनियनें सिर्फ ‘चर्चा में आने के लिए’ छंटनी के बड़े आंकड़े बता रही हैं। उन्होंने कहा, ‘TCS इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों को निकालकर काम नहीं चला सकती, खासकर नए डील्स मिलने के बीच।’

TCS ने मनीकंट्रोल के ईमेल से भेजे सवालों पर कोई टिप्पणी नहीं की, क्योंकि कंपनी अपने Q2 नतीजों से पहले साइलेंट पीरियड में है।

कर्मचारियों का अनुभव

35 साल के रोहन (बदला हुआ नाम) पिछले 13 साल से TCS में थे। उन्होंने बताया कि उन्हें HR और रोल मैनेजमेंट ग्रुप (RMG) ने पांच महीने के ‘हैरासमेंट’ के बाद इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। रोहन ने कहा, ‘जब मुझे इस्तीफा देने को बोला गया, तो मुझे टाटा ग्रुप-कंपनी से धोखा महसूस हुआ। मैंने कंपनी के लिए 10 साल से ज्यादा समय दिया था। शुरू में मैंने इस्तीफा नहीं दिया, लेकिन बाद में मुझे 2025 के मध्य में निकाल दिया गया।’

रोहन का कहना है कि उन्हें बेंच पर रहने के दौरान 6-8 लाख रुपये की रिकवरी रकम चुकाने को कहा गया। आधा ग्रेच्युटी और पेड लीव से एडजस्ट हुआ, बाकी TCS ने सेटल किया।

वे पहले एक बड़े ऑटोमोटिव क्लाइंट के साथ पांच साल के प्रोजेक्ट में थे। जब वह खत्म हुआ, तो उन्हें केवल एक साल का प्रोजेक्ट मिला। उन्होंने कहा, ‘ उसके बाद मुझे नए प्रोजेक्ट खोजने में मुश्किल हुई क्योंकि TCS के पास इस क्षेत्र में ज्यादा काम या डील्स नहीं थे। मैंने अन्य टीमों के मैनेजर्स से भी संपर्क किया, लेकिन बात नहीं बनी।’

रोहन कई महीनों से बेंच पर थे। इस दौरान HR और RMG की टीम अक्सर उसे फोन कर पूछती रहती। जैसे कि आपने नए प्रोजेक्ट्स के लिए अप्लाई किया या नहीं, आपकी स्किल्स किन प्रोजेक्ट्स में काम आ सकती हैं, या आप ट्रेनिंग ले रहे हैं या नहीं। धीरे-धीरे ये कॉल्स ज्यादा बार आने लगे। एक दिन तो हाल ये हुआ कि रोहन का कंपनी के सिस्टम और ऑफिस नेटवर्क का एक्सेस भी बंद कर दिया गया।

रोहन ने कहा, ‘उन्होंने धमकी देना शुरू कर दिया कि मैं अन्य कंपनियों के लिए मूनलाइटिंग कर रहा हूं। उस वक्त मुझे नर्क जैसी मानसिक यातना दी जा रही थी।’ आज रोहन लगभग चार महीने से पुणे में नए जॉब की तलाश में हैं और एक दोस्त के घर रह रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरे परिवार को इस बारे में पता नहीं है। मैं उन नौकरी जाने के बारे में बताने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा।’

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TCS ऑफिसेज में डर और तनाव

TCS के एक अन्य कर्मचारी ने बताया कि ऑफिस में ‘डर का माहौल’ है। कोई नहीं जानता कि अगली बार किसे बुलाया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘मेरे ऑफिस में 8-10 साल एक्सपीरियंस वाले सीनियर एंप्लॉयीज छंटनी का सामना कर रहे हैं। HR से अचानक ईमेल आता है और तुरंत जॉब छोड़ने के लिए कहा जाता है। कुछ को एक हफ्ते का नोटिस मिलता है, जबकि अन्य को तुरंत निकलना पड़ता है।’

कर्मचारी ने कहा, ‘टीमों की पूरी छंटनी हो रही है। कुछ नए तकनीकी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे कर्मचारी भी प्रभावित हो रहे हैं। क्लाइंट्स मौजूदा प्रोजेक्ट पर भी लागत घटा रहे हैं, इसलिए अब TCS को कम लोगों की जरूरत है।’ जूनियर्स अब भी प्रोजेक्ट पा रहे हैं, लेकिन धीमी गति से। कुछ का कहना है कि TCS ने इस तिमाही में हायरिंग बढ़ा दी है, इसलिए हटाए गए कर्मचारियों की संख्या Q2 रिपोर्ट में नहीं दिखेगी।

फ्लुइडिटी लिस्ट: डर का नाम

कई प्रभावित कर्मचारियों ने बताया कि मैनेजर के पास ‘फ्लुइडिटी लिस्ट’ होती है, जिसमें छंटनी के लिए नाम होते हैं। फ्लुइडिटी लिस्ट असल में आईटी कंपनियों का इंटरनल टर्म है। कंपनी के पास ऐसे कर्मचारियों की एक लिस्ट होती है जो बेंच पर बैठे हैं, यानी किसी प्रोजेक्ट में असाइन नहीं हैं।

प्रभावित कर्मचारियों का कहना है कि फ्लुइडिटी लिस्ट का स्किल या एक्सपीरियंस से कोई लेना-देना नहीं। यह मैनेजर के हिसाब से बनती है और कभी-कभी तो पूरी मनमानी होती है। विजय (बदला हुआ नाम) ने मनीकंट्रोल को बताया, ‘यह लिस्ट ग्रेड, रेटिंग या स्किल के हिसाब से नहीं है। इसे डिलीवरी मैनेजर (डीएम) या सीनियर मैनेजमेंट तय करते हैं। अच्छी रेटिंग, डिमांड वाली स्किल वाले कर्मचारियों को भी इसमें शामिल किया जा रहा है।’

विजय ने कहा, ‘यह सिर्फ ‘मानसिक तनाव’ देना और नियमों का मजाक बनाना है। इसे सामान्य प्रदर्शन के आधार पर नौकरी से निकलने की प्रक्रिया नहीं कहा जा सकता।’

इस लिस्ट में नाम आने के 30 दिन के भीतर HR कर्मचारियों को बुलाता है। उन्हें दो विकल्प दिए जाते हैं- खुद इस्तीफा दे दें, या फिर कंपनी उन्हें बर्खास्त कर देगी। कई ने दावा किया कि TCS क्लाइंट्स को गलत कारण बताते हैं। जैसे कि ‘कर्मचारी बीमार है’ या ‘चाइल्डकेयर इश्यूज’। लेकिन, असल वजह आंतरिक छंटनी होती है।

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IT यूनियनों की प्रतिक्रिया

FITE के सचिव प्रशांत पंडित ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि 30 साल से अधिक अनुभव वाले कर्मचारियों को 30 मिनट में इस्तीफा देने को कहा जा रहा है। IT कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है।’ UNITE के महासचिव अला गुनाम्बी वेल्किन ने बताया कि कर्मचारियों को प्रोजेक्ट पर तैनाती होने के बावजूद बेंच पर डाल दिया गया। इसके बाद उन्हें इस्तीफा देने के लिए बुलाया गया।

उन्होंने कहा, ‘छंटनी होने पर वे वेतन नहीं पाते। इस्तीफा देने पर तीन महीने का नोटिस पीरियड और एक्सपीरियंस के हिसाब से छंटनी पैकेज मिलता है। इसके अलावा करियर असेसमेंट, आउटप्लेसमेंट गाइडेंस और बीमा कवरेज छह महीने तक मिल सकती है। इसका कर्मचारी को खुद भुगतान करना पड़ता है।’

TCS की नई पॉलिसी

TCS के चीफ कृतिवासन ने पहले कहा था, ‘हम नई तकनीकों, खासकर AI और ऑपरेटिंग मॉडल बदलावों पर ध्यान दे रहे हैं। काम करने के तरीके बदल रहे हैं। हमें भविष्य के लिए तैयार और चुस्त होना चाहिए। हम देख रहे हैं कि भविष्य में किन स्किल की जरूरत होगी।’

जून में TCS ने एक नई पॉलिसी लागू की। इसमें कहा गया कि हर कर्मचारी को RMG (Resource Management Group) से खुद संपर्क करना होगा ताकि उन्हें किसी प्रोजेक्ट पर असाइन किया जा सके। कर्मचारी को हर साल कम से कम 225 दिन काम करने योग्य (billable) रहना चाहिए।

अगर कोई कर्मचारी यह लक्ष्य पूरा नहीं करता, तो कंपनी उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है, और जरूरी पड़ने पर नौकरी भी खत्म कर सकती है। इसके अलावा, कर्मचारी साल भर में 35 दिन से ज्यादा बेंच (किसी प्रोजेक्ट पर न होने की स्थिति) पर नहीं रह सकते।

अगर कम शब्दों में कहा जाए तो, देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी TCS में छंटनी ने कंपनी की ‘सरकारी जैसी सुरक्षित नौकरी’ वाली छवि को तोड़ दिया है। साथ ही, आरोप लग रहे हैं कि छंटनी की प्रक्रिया ठीक से नहीं की गई है। कई सवाल अनसुलझे हैं। इस पर ज्यादा स्पष्टता 9 अक्टूबर को आएगी, जब मैनेजमेंट तिमाही नतीजे घोषित करने के बाद मीडिया से बात करेगा।

 

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