Last Updated on September 26, 2025 12:50, PM by Khushi Verma
नई दिल्ली2 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
प्री डिजाइन्ड स्टील बिल्डिंग्स और प्री फैब्रिकेटेड स्ट्रक्चर्स बनाने वाली कंपनी ईपैक प्रीफैब टेक्नोलॉजिज लिमिटेड अपना IPO लेकर आई है। 24 सितंबर को खुला आईपीओ दो दिन में 60% सब्सक्राइब हो चुका है। रिटेल निवेशकों के लिए इसमें निवेश करने का आज यानी 26 सितंबर को आखिरी मौका है।
ईपैक ने IPO का प्राइस बैंड ₹194 से ₹204 तय किया है। रिटेल निवेशक मिनिमम एक लॉट यानी 73 शेयर्स के लिए बिडिंग कर सकते हैं। इसके लिए 14,892 रुपए निवेश करने होंगे। वहीं मैक्सिमम 13 लॉट के लिए ₹1,93,596 से अप्लाई किया जा सकता है।
प्री डिजाइन्ड स्टील बिल्डिंग्स और प्री फैब्रिकेटेड स्ट्रक्चर्स क्या होते हैं?
कंपनी बिल्डिंग बनाने के लिए उसके कंस्ट्रक्शन साइट से अलग कॉलम, राफ्टर और बीम जैसी चीजें अपने मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स में बनाती है। फिर उसे कंस्ट्रक्शन साइट पर केवल असेंबल करती है। इससे समय बचता है, खर्च लगभग 20% कम हो जाता है। मॉडर्न कंस्ट्रक्शन, मल्टी लेवल कार पार्किंग, वेयरहाउस इसी मेथड से बन रहे हैं। इसमें हर तरह का मोडिफिकेशन संभव है।
कंपनी के MD संजय सिंघानिया ने बताया कि यह मार्केट काफी तेजी से बढ़ रहा है और मार्केट के मुकाबले हम 6 गुना तेजी से ग्रोथ कर रहे हैं। इस आप हमारे साथ कम समय की बजाय लॉन्ग टर्म के लिए जुड़े निश्चित हम आपको बड़ा पैसा बनाकर देंगे।

पढ़ें कंपनी के MD संजय सिंघानिया का पूरा इंटरव्यू…
सवाल 1: भारत में प्रीफैब कंस्ट्रक्शन सेक्टर में मुख्य ग्रोथ ड्राइवर्स क्या हैं और ईपैक ने कैसे इस सेक्टर में अपनी जगह बनाई है?
जवाब: प्रीफैब इंडस्ट्री पिछले चार-पांच साल में 8% से 10% परसेंट CAGR के हिसाब से बढ़ी है। लेकिन हमने हर साल औसतन 55% का सालाना ग्रोथ किया है। इंडस्ट्री के ग्रोथ के मुकाबले यह 5 से 6 गुना फास्ट है।
यह ग्रोथ इसलिए पॉसिबल हो पाया क्योंकि हमने नोएडा, हैदराबाद और आइजैक में तीन डिजाइन सेंटर्स बनाए हैं, यहां 110 इंडस्ट्री एक्सपर्ट काम करते हैं। ग्रेटर नोएडा, राजस्थान और आंध्रप्रदेश में हमारे तीन डिजाइन सेंटर्स हैं, जिनकी कैपेसिटी 1 लाख 35 हजार टन है। IPO से पैसा आने के बाद इसकी कैपेसिटी 1 लाख 70 हजार टन हो जाएगी।
इसके अलावा हमारे पास इंसुलेटेड सैंडविच पैनल वॉल है, जिनका इस्तेमाल दीवार बनाने के लिए किया जाता है। इससे 200-400 फीट का दीवार महज एक दिन में बनाया जा सकता है, जिसके लिए ट्रेडिशनल मेथड से कई दिन लग सकते हैं। इस पैनल की एक बार पेंटिंग 25 साल चलती है। इंसुलेशन के चलते इससे बने बिल्डिंग में AC का इलेक्ट्रिक कंजप्शन करीब 20% तक कम हो जाता है।

ईपैक इंसुलेटेड सैंडविच पैनल वॉल की मदद से बड़े बिल्डिंग और वेयरहाउसेज को बनाने का काम एक से दो दिन में पूरा कर लेती है।
सैंडविच पैनल बनाने के लिए ग्रेटर नोएडा में हमारे पास 10 हजार टन की कैपेसिटी वाला प्लांट है। मंबाटू आंध्र प्रदेश में हमने 8 लाख स्क्वायर मीटर का कैपेसिटी प्लांट जून में बनाया है। अभी हम राजस्थान में 8 लाख स्क्वायर मीटर वाली कैपेसिटी का एक प्लांट लगाने जा रहे हैं।
IPO से पैसा आने के बाद हमारी टोटल कैपेसिटी 21 लाख 10 हजार स्क्वायर मीटर की हो जाएगी। हमारी शुरुआत 1999 में हुई थी तब से हमने 7400 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स कम्पलीट किया है।

संजय सिंघानिया 4 दिसंबर 2024 से ईपैक के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO हैं। उन्होंने स्विनबर्न यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया से एमबीए किया है और ईपीएस पैकेजिंग और प्री-इंजीनियर्ड स्टील बिल्डिंग इंडस्ट्री में 25+ साल का अनुभव रखते है
सवाल 2: IPO से मिले फंड का इस्तेमाल कहां-कहा होगा?
जवाब: यह IPO 504 करोड़ रुपए का है। इसमें 204 करोड़ रुपए कंपनी के प्रमोटर्स OFS के जरिए बेच रहे हैं। 300 करोड़ रुपए कंपनी के पास आ रहे हैं। इसमें 160 करोड़ का कैपेक्स होगा। जिससे हम…
- मंबाटू आंध्रप्रदेश में हम करीब 58 करोड़ रुपए स्ट्रक्चरल स्टील कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए लगा रहे हैं। इससे वहां 36,800 टक की कैपेसिटी बढ़ेगी।
- गिलौत राजस्थान में हम इंसुलेटेड सैंडविच पैनल लगाने के लिए हम 102 करोड़ खर्च कर रहे हैं।
- इसमें से 70 करोड़ रुपए कर्ज चुकाने में कर रहे हैं। कंपनी के पास इस समय 120 करोड़ रुपए का टर्म लोन है।
- बाकी के बचे 70 करोड़ रुपए हम जनरल कॉर्पोरेट कॉर्प्स जैसे- IPO का खर्च और वर्किंग कैपिटल के लिए करेंगे।
सवाल 3: कंपनी अपने ग्रोथ को और तेज कैसे करेगी?
इस साल के लिए हमारे पास फंड्स है। IPO से मिले पैसे का (कैपेक्स के लिए) का इस्तेमाल कंपनी अगले साल के सेकेंड हाफ से करेगी। हमारा एसेट टर्न 4.5 गुना है। मतलब यह कि अगर हम 100 करोड़ रुपए इन्वेस्ट करते हैं तो 450 करोड़ का रेवेन्यू जनरेट कर सकते है। तो अगर हम 160 करोड़ रुपए इन्वेस्ट कर रहे हैं तो लगभग 750-900 करोड़ का रेवेन्यू कमा सकते हैं।
सवाल 4: सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन और EPS पैकेजिंग बिजनेस के वर्टिकल में लॉन्ग-टर्म ग्रोथ के लिहाज से लिस्टिंग के बाद इन्वेस्टर्स को क्या वैल्यू मिलेगी?
जवाब: लास्ट ईयर (FY25) हमारा नेट प्रॉफिट ₹59 करोड़ रहा, जो पिछले साल से 38% ज्यादा है। लेकिन इससे भी बेहतर हमारी ROE और रिटर्न ऑन कैपिटल एंप्लॉइड रही है। दोनों ही 22% से ऊपर रहा है। अगर यह 15% से ज्यादा होता है तो मार्केट में इसे काफी अच्छा माना जाता है। आगे भी हम इसे 20% ज्यादा रखेंगे।
इस फाइनेंशियल ईयर में इसमें कुछ कमी आ सकती है लेकिन अगले साल जब हम IPO का पैसा बिजनेस में लगाएंगे तो इसमें फिर तेजी आ जाएगी। इससे हम किसी भी इन्वेस्टर को हम अच्छा पैसा बनाकर देते हैं।

सवाल 5: इस सेक्टर में कॉम्पिटिशन और सप्लाई चेन चैलेंजेस हैं। ईपैक इन चुनौतियों का सामना कैसे कर रही है?
जवाब: प्रीफैब का मार्केट काफी तेजी से बढ़ रहा है। CRISIL के रिपोर्ट के मुताबिक आगे जाकर इस सेक्टर की ग्रोथ 12% से 15% हो जाएगी। इस दौरान हमारी ग्रोथ मार्कट से 5-6 गुना ज्यादा तेज रहेगी। क्योंकि हमारे पास एक डेडिकेटेड मैनेजमेंट टीम है, जो ग्रोथ के लिए ही काम करती है।
हमारी कंपनी में करीब 3000 लोगों की टीम है। इसमें करीब 880 स्टाफ्स हैं और 2000 से ज्यादा वर्कर हैं। हम भारत के हर बड़े शहर में डिजाइन और मार्केटिंग का काम करते हैं। हम अपने बिजनेस में AI का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे हमारा काम ज्यादा फास्ट और एक्युरेट हो गया है। ये सभी चीजें मार्केट कॉम्पिटिशन में हमें ज्यादा फायदा देती है।
सवाल 5: एक्सपोर्ट मार्केट्स (ओवरसीज प्रोजेक्ट्स) में एंट्री की क्या स्ट्रैटेजी है?
जवाब: हम मिडिल ईस्ट, अफ्रिका और शार्क देशों जैसे -नेपाल और बांग्लादेश में एक्सपोर्ट करते हैं। लेकिन यह टोटल बिजनेस का 1% ही है। इसका कारण यह है कि अब तक हमारे मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स नॉर्थ इंडिया में ही थे, जिससे पोर्ट्स तक पहुंच महंगी और मुश्किल होती थी।
लेकिन आंध्रप्रदेश में प्लांट बनने के बाद हम चेन्नई पोर्ट से महज 60 किलोमीटर दूर है। इससे हम अपना एक्सपोर्ट बढ़ा सकते हैं। हालांकि इसमें टीम बनाने, मार्केट में पहुंच बनाने में समय लगेगा। लेकिन हमारी प्लानिंग है कि हम एक्सपोर्ट पर काफी फोकस करें।
सवाल 6: ईपैक ग्राहकों को प्रीफैब सॉल्यूशंस की ओर आकर्षित करने और मार्केट अवेयरनेस बढ़ाने के लिए क्या कदम उठा रही है, खासकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में?
जवाब: भारत में कंस्ट्रक्शन मार्केट करीब 6 लाख करोड़ रुपए का है, इसमें से प्रीफैब का मार्केट 22-25 हजार करोड़ रुपए (3-4%) का ही है। हालांकि इसके फायदों के चलते मार्केट काफी तेजी से बढ़ रहा है। टियर-2 और टियर-3 शहरों हमारी पहुंच काफी कम है। लेकिन इन जगहों पर पहुंच बनाने के लिए सबसे अच्छी मार्केटिंग कोई सैंपल स्ट्रक्चर ही होता है।
जैसे कि हमने दरभंगा और सहारनपुर में एयरपोर्ट बनाया। लोग इन्हें तेजी से बनते देख इसकी ओर काफी अट्रैक्ट हुए और उनमें ट्रेडिशनल कंस्ट्रक्शन प्रोसेस की तुलना में यह किफायती भी लगा। तो जैसे-जैसे इस प्रोसेस से कंस्ट्रक्शन होता जा रहा है, वैसे वैसे इस टेक्नोलॉजी के तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है। सरकार ने भी इसको लेकर एक BMPPC काउंसिल बनाई है जो इस टेक्नोलॉजी को प्रमोट कर रही है।

ईपैक ने प्री डिजाइन्ड स्टील बिल्डिंग्स और प्रीफैब्रिकेटेड टेक्नोलॉजी से ही बिहार के दरभंगा का एयरपोर्ट बनाया है।
