Last Updated on September 26, 2025 12:50, PM by Khushi Verma
Tariff on Pharma: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फार्मा कंपनियों पर बड़ा टैरिफ बम फोड़ा है. उन्होंने ऐलान किया है कि 1 अक्टूबर से अमेरिका में बनने वाली दवाओं को छोड़कर बाकी सभी ब्रांडेड और पेटेंटेड फार्मा प्रोडक्ट्स पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा. यानी जो दवाएं अमेरिका के बाहर बन रही हैं, उन पर डबल कीमत चुकानी होगी. हालांकि, अमेरिकी प्लांट्स में बनने वाली दवाएं इस दायरे से बाहर रहेंगी.
इस घोषणा से भारतीय फार्मा सेक्टर पर असर को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं. ज़ी बिज़नेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने इस पर विस्तार से विश्लेषण किया है.
फार्मा टैरिफ का भारत पर कितना असर होगा?
अनिल सिंघवी के अनुसार, इतनी जल्दी और इतने ज्यादा टैरिफ का ऐलान फार्मा सेक्टर के लिए बड़ा झटका है. अमेरिका के फार्मा इंपोर्ट में भारत का वॉल्यूम तो काफी ज्यादा है, लेकिन वैल्यू की हिस्सेदारी कम है. इसकी वजह यह है कि भारत का मुख्य फोकस जेनेरिक दवाओं पर है, जिनकी कीमतें कम होती हैं. अमेरिका अपने कुल फार्मा इंपोर्ट का 6-7% भारत से करता है. जेनेरिक दवाओं में भारत की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है करीब 47%. अच्छी बात यह है कि ट्रंप को जेनेरिक दवाओं से दिक्कत नहीं है, क्योंकि इनसे अमेरिका को सालाना करीब $400 बिलियन की बचत होती है. यानी, भारत की ज्यादातर दवा कंपनियों पर टैरिफ का सीधा असर सीमित रहेगा.
असली खतरा खराब सेंटिमेंट का है
हालांकि, अनिल सिंघवी का कहना है कि सीधे असर से ज्यादा बड़ा मुद्दा सेंटिमेंट का है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले वीज़ा नियमों पर IT कंपनियों ने भी यही कहा था कि असर खास नहीं पड़ेगा. इसके बावजूद IT शेयर अब तक दबाव में हैं. इसी तरह, अब फार्मा कंपनियों पर भी भले ही वित्तीय असर सीमित हो, लेकिन निवेशक सेंटिमेंट खराब होगा. इसका सीधा असर शेयरों की कीमतों पर दिख सकता है.
कौन सी कंपनियां रहेंगी ज्यादा सुरक्षित?
सिंघवी के मुताबिक, दो तरह की कंपनियों पर यह टैरिफ कम असर करेगा- जिनके अमेरिका में खुद के प्लांट हैं, जैसे- Cipla, Dr Reddy’s, Lupin, Syngene, Piramal Pharma, IPCA Labs और Glenmark Pharma. दूसरा, जिनका ज्यादातर कारोबार जेनेरिक दवाओं का है. जैसे- Aurobindo Pharma, Cipla और Dr Reddy’s. इन कंपनियों की अमेरिका में मजबूत मौजूदगी और जेनेरिक दवाओं का बड़ा हिस्सा इन्हें टैरिफ से आंशिक सुरक्षा देता है.
निवेशकों के लिए क्या संकेत है?
अनिल सिंघवी का मानना है कि फिलहाल सभी फार्मा शेयरों पर दबाव दिखेगा. लेकिन, जिन कंपनियों की अमेरिका में मजबूत मौजूदगी है या जो जेनेरिक कारोबार में आगे हैं, उनमें गिरावट को निवेशक खरीदारी के मौके की तरह देख सकते हैं.
ट्रंप का यह टैरिफ ऐलान भारतीय फार्मा सेक्टर के लिए सेंटिमेंट झटका जरूर है, लेकिन वास्तविक असर सीमित रहेगा. खासकर जेनेरिक दवाओं में भारत की पकड़ और अमेरिका के प्लांट्स वाली कंपनियां इससे ज्यादा प्रभावित नहीं होंगी. निवेशकों को शॉर्ट टर्म गिरावट में इन शेयरों पर नज़र रखनी चाहिए.
