Last Updated on September 26, 2025 19:00, PM by Pawan
अमेरिका ने कहा है कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद करेगा तभी ट्रेड डील होगी। वहीं, डील फाइनल करने के लिए भारत जेनेटिकली मॉडिफाइड मक्के के आयात पर कुछ पाबंदियां हटाने और ज्यादा अमेरिकी डिफेंस और एनर्जी प्रोडक्ट खरीदने का प्रस्ताव रखा है। लेकिन, अमेरिकी टीम रूसी तेल खरीदना बंद करने पर अड़ी रही। इस बात की जानकारी इकोनॉमिक टाइम्स से सोर्सेस के हवाले से दिया है।
वही, सरकार ने शुक्रवार, 26 सितंबर को एक नोटिफिकेशन में कहा, ‘कॉमर्स मिनिस्टर पियूष गोयल की लीडरशिप में भारतीय डेलिगेशन ने अमेरिकी सरकार के साथ सौदे के अलग-अलग पहलुओं पर सकारात्मक बातचीत की। दोनों पक्षों ने सौदे की संभावित रोडमैप पर विचार शेयर किया और व्यापार समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए बातचीत जारी रखने का फैसला किया।
भारतीय डेलिगेशन की अमेरिकी कारोबारियों और निवेशकों के साथ हुई बैठकों को पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला। बिजनेस लीडर्स ने भारत के ग्रोथ स्टोरी पर भरोसा जताया और भारत में अपनी बिजनेस एक्टिविटी को और तेज करने की इच्छा जताई।’
इससे पहले 16 सितंबर को भी हुई थी बातचीत
इससे पहले 16 सितंबर को दोनों देशों के डेलीगेशन के बीच नई दिल्ली में ट्रेड डील पर करीब 7 घंटे बातचीत हुई थी। तब सरकार ने बयान जारी कर कहा कि मीटिंग में ट्रेड एग्रीमेंट्स के कई पहलुओं पर पॉजिटिव चर्चा हुई।
दोनों देशों का लक्ष्य एक ऐसा समझौता करना है, जो दोनों के लिए फायदेमंद हो और बाइलेट्रल ट्रेड को और मजबूत करे। ट्रम्प के 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद पहली बार ट्रेड डील पर बातचीत के लिए 16 सितंबर को अमेरिकी दल भारत पहुंचा था।
अमेरिका ने भारतीय दवाओं पर भी 100% टैरिफ लगाया
आज ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ब्रांडेड या पेटेंटेड दवाई पर 100% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। ये टैरिफ 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा। भारत पर रूस से तेल खरीदने की वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति ने पहले ही 50% टैरिफ लगाया है। ये टैरिफ 27 अगस्त से लागू हो चुका है। कपड़े, जेम्स-ज्वेलरी, फर्नीचर, सी फूड जैसे भारतीय प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट इससे महंगा हो गया है। हालांकि दवाओं को इस टैरिफ से बाहर रखा गया था।


टैरिफ से 85 हजार करोड़ का एक्सपोर्ट प्रभावित
दरअसल, अमेरिका ने भारत पर ज्यादा टैरिफ वसूलने की वजह से 25% जवाबी टैरिफ और रूस से तेल खरीदने के चलते पेनल्टी के रूप में 25% का टैरिफ लगाया है, जिसके चलते भारत का करीब 85 हजार करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इससे दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट आ गई थी, हालांकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हालिया कुछ बयानों के बाद इसमें नरमी आई है।

ट्रम्प ने कहा था- मोदी अच्छे दोस्त, ट्रेड बैरियर पर बात करूंगा
भारत-अमेरिका ट्रेड डील नेगोशिएशन और टैरिफ टेंशन के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 10 सितंबर को कहा था कि उन्हें पूरा विश्वास है कि वॉशिंगटन और दिल्ली के बीच चल रही बातचीत जल्द किसी बेहतर नतीजे पर पहुंचेगी। ट्रम्प ने कहा कि वे सभी तरह के ट्रेड बैरियर खत्म करने के लिए आने वाले हफ्तों में प्रधानमंत्री मोदी से बात करेंगे।
ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में लिखा, ‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत और अमेरिका दोनों देशों के बीच ट्रेड बैरियर को दूर करने के लिए बातचीत जारी है। आने वाले हफ्तों में मैं अपने बहुत अच्छे दोस्त, PM मोदी से बात के लिए उत्सुक हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि दोनों महान देशों के लिए एक सफल नतीजे पर पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।’
मोदी ने कहा था- भारत-अमेरिका नेचुरल पार्टनर
ट्रम्प के इस पोस्ट के करीब 5 घंटे बाद PM मोदी ने भी एक X पोस्ट में लिखा, ‘भारत और अमेरिका अच्छे दोस्त और नेचुरल पार्टनर हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि हमारी ट्रेड नेगोशिएशन भारत-अमेरिका पार्टनरशिप के असीमित संभावनाओं को खोलने का रास्ता बना देगी।
हमारी टीमें इन चर्चाओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए मेहनत कर रही हैं। मैं राष्ट्रपति ट्रम्प से बात करने का भी इंतजार कर रहा हूं। हम साथ मिलकर दोनों देशों के लोगों के लिए एक बेहतर और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करेंगे।’

ट्रम्प ने कहा था- अमेरिका ने भारत को खो दिया
इससे पहले शुक्रवार, 5 सितंबर को SCO समिट में पीएम मोदी, रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी प्रेसिडेंट जिनपिंग को एक साथ देखकर कहा था कि रूस और भारत अब चीन के पाले में जा चुके हैं। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर लिखा था- ‘ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। उम्मीद है उनका भविष्य अच्छा होगा।’
CEA ने कहा था- टैरिफ खिंचा तो भारत के लिए बड़ा खतरा
हाल ही में, ब्लूमबर्ग टीवी को दिए इंटरव्यू में नागेश्वरन ने कहा था कि मुझे उम्मीद है कि ये अतिरिक्त टैरिफ ज्यादा दिन नहीं चलेगा। इस फाइनेंशियल ईयर में ये टैरिफ जितने समय तक रहेगा, उसका GDP पर 0.5% से 0.6% तक असर हो सकता है। लेकिन अगर ये टैरिफ अगले साल तक खिंचता है, तो असर और बड़ा होगा, जिससे भारत के लिए बड़ा खतरा पैदा हो सकता है।
