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Stock Market Performance: 6 महीने में 32%… चीन अचानक निकल गया है दौड़ में बहुत आगे, क्‍या भारत करेगा तूफानी वापसी?

Stock Market Performance: 6 महीने में 32%… चीन अचानक निकल गया है दौड़ में बहुत आगे, क्‍या भारत करेगा तूफानी वापसी?

Last Updated on September 25, 2025 18:05, PM by Khushi Verma

भारतीय शेयर बाजार में उथल-पुथल मची है। एशियाई बाजारों की तुलना में रिटर्न कम रहा है। महंगे वैल्यूएशन और ट्रेड वॉर की चिंताएं हैं। विदेशी निवेश में कमी आई है, पर घरेलू निवेशकों का सहारा है। विश्लेषकों का मानना है कि विकास की गति धीमी रहेगी। एचएसबीसी ने सेंसेक्स के लिए 2025 के अंत तक का टारगेट 85,130 रखा है।

नई दिल्‍ली: भारतीय शेयर बाजार ों का गणित अचानक बिगड़ गया है। जहां चीन समेत कई पड़ोसी दौड़ लगा रहे हैं, हम लड़खड़ाते हुए दिख रहे हैं। भारतीय शेयर बाजार ने एशियाई बाजारों के मुकाबले पिछले छह महीनों में सबसे कम रिटर्न दिया है। इसकी वजह है महंगे वैल्यूएशन, कमाई की धीमी रफ्तार और ट्रेड वॉर की चिंताएं। इसमें अमेरिका की ओर से भारतीय सामानों पर 50% तक टैरिफ लगाने की बात भी शामिल है। इससे विदेशी निवेश कम हुआ है। हालांकि, घरेलू निवेशकों ने कुछ सहारा दिया। लेकिन, बेंचमार्क इंडेक्स अभी भी पिछले साल के मुकाबले लगभग 3% नीचे हैं।साल 2025 में एशिया (जापान को छोड़कर) में विदेशी निवेश 18 अरब डॉलर रहा। वहीं, भारत से इस साल 1,39,423 करोड़ रुपये (लगभग 15.71 अरब डॉलर) की निकासी हुई है। पिछले छह महीनों में कोरियाई कोस्‍पी में 32%, ताइवान के ताइएक्‍स (Taiex) में 19% और चीन के शंघाई कंपोजिट में 14% की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, भारत के निफ्टी और सेंसेक्‍स में सिर्फ 5-6% की बढ़ोतरी हुई है। इसी दौरान जापान का निक्‍केई 22% और हांगकांग का हैंगसेंग 11% बढ़ा है। स्टॉक एनालिस्टों का मानना है कि कोरिया और ताइवान में अब ज्यादा निवेश हो चुका है, जबकि चीन और हांगकांग के शेयर अभी भी बढ़ सकते हैं।

अभी भी वैल्‍यूएशन पर सवाल

एचएसबीसी का कहना है कि भारत के कमजोर प्रदर्शन का मुख्य कारण कमाई में कमी और वैल्यूएशन का महंगा होना है। खपत और निवेश कमजोर हैं। ऐसे में सरकार खपत को बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। केंद्रीय बैंक भी ढील दे रहा है।

एचएसबीसी का कहना है कि कम महंगाई के साथ यह घरेलू मांग और कमाई को सहारा दे सकता है। उसके अनुसार, ‘ऐसा होने के बावजूद अभी तक ग्रोथ में सुधार के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। ग्रोथ से निकट भविष्य में खपत को बढ़ावा मिल सकता है। लेकिन, टिकाऊ सुधार के लिए वेतन और निजी निवेश को बढ़ाना होगा। भारतीय कमाई पर एक और मुद्दा अमेरिका की ओर से 50% टैरिफ लगाना है। भारत को दुनिया में सबसे ज्यादा अमेरिकी टैरिफ दरों का सामना करना पड़ता है।’

एचएसबीसी का कहना है कि ज्यादातर लिस्टेड शेयर घरेलू हैं। बीएसई500 कंपनियों की कुल बिक्री का 4% से भी कम हिस्सा अमेरिका को होने वाले सामानों के निर्यात से आता है। इसलिए टैरिफ का सीधा असर कमाई पर कम होगा।

र‍िकवरी धीमे रहने के आसार

HSBC ने कहा,’ग्रोथ में र‍िकवरी धीरे-धीरे होने की संभावना है। लेकिन, हमें लगता है कि रिस्‍क वैल्यूएशन में दिख रहे हैं। 2025 के लिए कमाई में बढ़ोतरी के अनुमान को 12% तक कम कर दिया गया है। हमें उम्मीद है कि यह 8-9% तक गिर जाएगा। 2026 के लिए 15% का अनुमान ज्यादा लग सकता है। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि नीतियां विकास को पुनर्जीवित करने में कितनी प्रभावी होंगी।’

एमके ग्‍लोबल का कहना है कि वैल्यूएशन महंगे हैं। बाजार उम्मीद से ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि, वह बाजार को लेकर आशावादी है। उसने निफ्टी का टारगेट 28,000 पर बरकरार रखा है। MOFSL का कहना है कि निफ्टी पिछले साल के मुकाबले 8% नीचे है। जबकि MSCI EM में 16% और S&P500 में 15% की बढ़ोतरी हुई है। उसे लगता है कि आने वाले महीनों में वैल्यूएशन के ठीक होने और कमाई के दबाव कम होने से बाजार में सुधार होगा। एचएसबीसी ने सेंसेक्‍स के लिए 2025 के अंत तक का टारगेट 85,130 और 2026 के अंत तक 94,000 रखा है।

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