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रिलायंस इंफ्रा ने CBI मामले से खुद को अलग किया: कहा- अनिल अंबानी के खिलाफ दायर चार्जशीट का हमारे बिजनेस पर कोई असर नहीं पड़ेगा

रिलायंस इंफ्रा ने CBI मामले से खुद को अलग किया:  कहा- अनिल अंबानी के खिलाफ दायर चार्जशीट का हमारे बिजनेस पर कोई असर नहीं पड़ेगा

Last Updated on September 19, 2025 22:02, PM by Pawan

 

 

रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने कहा कि CBI की रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस (RCFL), रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) और कंपनी के चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ दायर चार्जशीट का उनके बिजनेस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कंपनी ने शुक्रवार को (19 सितंबर) BSE फाइलिंग में इसकी जानकारी दी।

 

रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने कहा, ‘CBI की इस कार्रवाई से कंपनी के रोजमर्रा के मैनेजमेंट, गवर्नेंस, बिजनेस, वित्तीय स्थिति, शेयरधारकों, कर्मचारियों या किसी अन्य स्टेकहोल्डर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।’

CBI की चार्जशीट में बताए गए लेन-देन 10 साल से ज्यादा पुराने

कंपनी ने सफाई दी कि CBI की चार्जशीट में बताए गए लेन-देन 10 साल से ज्यादा पुराने हैं। कंपनी ने कहा कि RCFL और RHFL के मामले सुप्रीम कोर्ट के 2022 और 2023 के फैसलों के बाद पूरी तरह सुलझा लिए गए हैं।

इन कंपनियों का प्रबंधन बदल दिया गया है और बैंक ऑफ बड़ौदा की अगुआई में RBI के नियमों के तहत लेनदारों की एक व्यवस्था के जरिए प्रक्रिया पूरी की गई है। कंपनी ने यह भी बताया कि अनिल अंबानी कभी भी RCFL या RHFL के बोर्ड में नहीं रहे और पिछले साढ़े तीन साल से रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड में भी नहीं हैं।

18 सितंबर को CBI ने अनिल अंबानी पर चार्जशीट दाखिल की

गुरुवार, 18 सितंबर को यस बैंक के साथ फ्रॉड मामले में CBI ने अनिल अंबानी और अन्य लोगों के खिलाफ दो अलग-अलग चार्जशीट दाखिल की है। इन पर आरोप है कि अंबानी की ग्रुप कंपनियों और यस बैंक के पूर्व CEO राणा कपूर के परिवार की कंपनियों के बीच कथित तौर पर फर्जी लेन-देन हुए, जिससे बैंक को 2,796 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

CBI का कहना है कि राणा कपूर ने अपनी पोजिशन का गलत इस्तेमाल करके यस बैंक के फंड्स को अंबानी की फाइनेंशियली कमजोर कंपनियों- RCFL और RHFL में डाला। बदले में, अंबानी की कंपनियों ने कपूर फैमिली की कंपनियों को कम ब्याज पर लोन और इन्वेस्टमेंट दिए। ये एक क्विड प्रो क्वो (लेन-देन का सौदा) था।

2022 में यस बैंक के चीफ विजिलेंस ऑफिसर ने शिकायत की थी

CBI ने ये केस 2022 में यस बैंक के चीफ विजिलेंस ऑफिसर की शिकायत पर शुरू किया। चार्जशीट प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट और IPC की धाराओं के तहत दाखिल की गई है, जो धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और पब्लिक प्रॉपर्टी के दुरुपयोग से जुड़ी हैं।

चार्जशीट में अनिल के अलावा, CBI ने राणा कपूर, बिंदु कपूर, राधा कपूर, रोशनी कपूर, RCFL, RHFL, RAB एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड, इमेजिन एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड, ब्लिस हाउस प्राइवेट लिमिटेड, इमेजिन हैबिटेट प्राइवेट लिमिटेड, इमेजिन रेजिडेंस प्राइवेट लिमिटेड और मॉर्गन क्रेडिट्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट और IPC की धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की है।

24 जुलाई को ED ने 35 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की थी

ED ने 24 जुलाई को अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़े 35 से ज्यादा ठिकानों और करीब 50 कंपनियों पर छापेमारी की थी। इसके बाद 23 अगस्त को CBI ने भी अनिल अंबानी के घर पर छापेमारी की थी।

ED ने 24 जुलाई को अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़े 35 से ज्यादा ठिकानों और करीब 50 कंपनियों पर छापेमारी की थी। इसके बाद 23 अगस्त को CBI ने भी अनिल अंबानी के घर पर छापेमारी की थी।

इससे पहले 24 जुलाई को यस बैंक से लिए 3,000 करोड़ रुपए के लोन धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़े 35 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की। इसमें करीब 50 कंपनियां शामिल थी और 25 से ज्यादा लोगों से भी पूछताछ की गई।

ये कार्रवाई CBI की ओर से दर्ज दो FIR और सेबी, नेशनल हाउसिंग बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) जैसी एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर की गई है।

3 सवाल-जवाब में पूरा मामला:

सवाल 1: अनिल अंबानी के खिलाफ ED ने कार्रवाई क्यों की?

जवाब: मामला 2017 से 2019 के बीच यस बैंक द्वारा अनिल अंबानी से जुड़े रिलायंस ग्रुप की कंपनियों को दिए गए करीब 3,000 करोड़ रुपए के लोन से जुड़ा है।

ED की शुरुआती जांच में पता चला कि इन लोन्स को कथित तौर पर फर्जी कंपनियों और ग्रुप की अन्य इकाइयों में डायवर्ट किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि यस बैंक के बड़े अधिकारियों को शायद रिश्वत दी गई है।

सवाल 2: ED की जांच में और क्या-क्या सामने आया?

जवाब: ED का कहना है कि ये एक “सोचा-समझा और सुनियोजित” प्लान था, जिसके तहत बैंकों, शेयरहोल्डर्स, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को गलत जानकारी देकर पैसे हड़पे गए। जांच में कई गड़बड़ियां पकड़ी गईं, जैसे:

  • कमजोर या बिना वेरिफिकेशन वाली कंपनियों को लोन।
  • कई कंपनियों में एक ही डायरेक्टर और एड्रेस का इस्तेमाल।
  • लोन से जुड़े जरूरी दस्तावेजों का न होना।
  • फर्जी कंपनियों में पैसे ट्रांसफर करना।
  • पुराने लोन चुकाने के लिए नए लोन देने की प्रक्रिया (लोन एवरग्रीनिंग)।

सवाल 3: इस मामले में CBI की क्या भूमिका है?

जवाब: CBI ने दो मामलों में FIR दर्ज की थी। ये मामले यस बैंक द्वारा रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस कॉमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड को दिए गए दो अलग-अलग लोन से जुड़े हैं। दोनों ही मामलों में CBI ने यस बैंक के पूर्व CEO राणा कपूर का नाम लिया था।

इसके बाद एक अधिकारी ने बताया कि नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी अन्य एजेंसियों और संस्थानों ने भी ED के साथ जानकारी साझा की। अब ED इस मामले की जांच कर रही है।

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