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अमेरिकी टेंशन का होगा मिनिमम असर, FY26 में फार्मा सेक्टर का रेवेन्यू ग्रोथ 7-9% रहने की उम्मीद

अमेरिकी टेंशन का होगा मिनिमम असर, FY26 में फार्मा सेक्टर का रेवेन्यू ग्रोथ 7-9% रहने की उम्मीद

Last Updated on September 18, 2025 17:26, PM by Pawan

भारतीय दवा क्षेत्र अमेरिकी बाजार में धीमी गति के बावजूद, मजबूत घरेलू और यूरोपीय मांग की वजह से वित्त वर्ष 2026 में 7-9 फीसदी की रेवेन्यू ग्रोथ हासिल कर सकता है. यह जानकारी गुरुवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई. रेटिंग एजेंसी ICRA ने एक रिपोर्ट में कहा है कि वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों और नियामक अनिश्चितताओं का अमेरिका में भारतीय दवा क्षेत्र के सबसे बड़े निर्यात बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, लेकिन घरेलू बाजार में 8-10 फीसदी और यूरोप में 10-12 फीसदी की वृद्धि की उम्मीद है.

ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 24-25% पर स्टेबल रहने की उम्मीद

वित्त वर्ष 2026 में कंपनियों का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 24-25 फीसदी पर स्थिर रहने की उम्मीद है, जो मोटे तौर पर वित्त वर्ष 2025 के 24.6 फीसदी के अनुरूप है, जिसे अनुकूल कच्चे माल की कीमतों, बेहतर परिचालन क्षमता और विशेष उत्पादों की बढ़ती हिस्सेदारी से मदद मिली है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी रेवेन्यू में नरमी आने का अनुमान है और वित्त वर्ष 2025 में सालाना आधार पर वृद्धि दर लगभग 10 फीसदी से घटकर 3-5 फीसदी रह जाएगी.

Q1 में 10 फीसदी से अधिक ग्रोथ रहा

ICRA की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट एवं को-ग्रुप हेड किंजल शाह ने कहा, ” क्रोनिक थैरेपी में बढ़ती बाजार हिस्सेदारी, नए प्रोडक्ट्स की शुरुआत और नियमित मूल्य वृद्धि के कारण ICRA की सैंपल सेट कंपनियों ने वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 10.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की. हालांकि ब्रांडेड जेनेरिक दवाओं की बिक्री में सुस्त वृद्धि आंशिक रूप से बढ़ते जेनेरिकीकरण के कारण हुई.”

 

ICRA ने इस सेक्टर के लिए स्टेबल आउटुलक बनाए रखा है, क्योंकि सेक्टर की रेवेन्यू और आय में वृद्धि रही है, जो कि स्वस्थ बैलेंस शीट, मजबूत लिक्विडिटी और मजबूत ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन (OPM) पर आधारित है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि चिकित्सा प्रतिनिधियों की बेहतर उत्पादकता, ग्रामीण वितरण में व्यापक वृद्धि, नए उत्पादों की शुरुआत और जीवन रक्षक दवाओं पर हाल ही में जीएसटी रेट कटौती से घरेलू दवा बिक्री को बढ़ावा मिला है. कंपनियां जेनेरिक दवाओं के बजाय कॉम्प्लेक्स मॉलिक्यूल्स और स्पेशलिटी प्रोडक्ट पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही हैं. इसलिए आरएंडडी पर खर्च रेवेन्यू के 6-7 फीसदी पर स्थिर रहने का अनुमान है.

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