Last Updated on September 17, 2025 20:56, PM by Pawan
भारत का अमेरिका को होने वाला एक्सपोर्ट अगस्त में लगातार तीसरे महीने गिर गया। अगस्त में एक्सपोर्ट 16.3% कम होकर 6.7 बिलियन डॉलर यानी 58,816 करोड़ रुपए पर आ गया, जो 2025 की सबसे बड़ी मंथली गिरावट है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के फाउंडर अजय श्रीवास्तव के मुताबिक, भारत के एक्सपोर्ट में यह गिरावट डोनाल्ड ट्रम्प के 27 अगस्त को लगाए गए 50% टैरिफ का असर है।
हालांकि, भारत के एक-तिहाई एक्सपोर्ट जैसे – दवाईयां और स्मार्टफोन पर कोई टैरिफ नहीं है, लेकिन बाकी सेक्टर भारी दबाव में हैं।
एक्सपोर्ट में गिरावट का सिलसिला
- अगस्त: एक्सपोर्ट 58,816 करोड़ रुपए रहा, जो जुलाई के 70,233 करोड़ रुपए से 16.3% कम है।
- जुलाई: एक्सपोर्ट 3.6% गिरकर 70,233 करोड़ रुपए रहा, जो जून के 72,861 करोड़ रुपए से कम था।
- जून: जून में 5.7% की गिरावट दर्ज हुई, जब एक्सपोर्ट 72,861 करोड़ रुपए रहा था।
- मई: एक्सपोर्ट 4.8% बढ़कर 77,252 करोड़ रुपए हुआ, जो इस साल की आखिरी पॉजिटिव ग्रोथ थी।
- अप्रैल: भारत का अमेरिका को एक्सपोर्ट अप्रैल में 73,739 करोड़ रुपए रहा था।
एक्सपोर्ट में गिरावट टैरिफ बढ़ने का नतीजा: GTRI
GTRI के अनुसार, यह गिरावट टैरिफ बढ़ने का नतीजा है। 4 अप्रैल तक भारत का एक्सपोर्ट जनरल MFN (मोस्ट फेवर्ड नेशन) ड्यूटी के तहत था। 5 अप्रैल को अमेरिका ने 10% टैरिफ लागू किया था, जिसके बाद मई में इंपोर्टर्स ने जल्दी-जल्दी खरीदारी की और एक्सपोर्ट बढ़ा।
लेकिन जून से 10% टैरिफ और देश-विशेष उपायों की चर्चा ने भारत की कॉस्ट कॉम्पिटिटिवनेस को प्रभावित किया, जिससे खरीदारों ने दूसरे सप्लायर्स की ओर रुख किया। जुलाई में भी गिरावट जारी रही। अगस्त में हालात और बिगड़े, जब 7 अगस्त को टैरिफ 25% और 27 अगस्त को 50% हो गया।
GTRI ने कहा कि एक्सपोर्टर्स को एडजस्टमेंट का मौका नहीं मिला, जिससे अगस्त में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई। सितंबर में 50% टैरिफ का पूरा असर दिखेगा और एक्सपोर्ट में गिरावट बढ़ सकती है।’
कौन से सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित?
- कपड़ा, रत्न और आभूषण, चमड़ा, झींगा और कालीन जैसे सेक्टरों पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है। इनका 30-60% एक्सपोर्ट अमेरिका पर निर्भर है।
- GTRI का अनुमान है कि अगर 50% टैरिफ 2026 तक जारी रहा, तो भारत को अमेरिका में $30-35 बिलियन के एक्सपोर्ट का नुकसान हो सकता है।
- यह भारत के कुल माल एक्सपोर्ट का करीब 20% है, क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट बाजार है।
वहीं उद्योग संगठनों ने सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। उनकी सिफारिशों में शामिल हैं:
- इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन प्लान के तहत सब्सिडी वाली ब्याज दरें।
- एक्सपोर्ट प्रमोशन प्रोग्राम के जरिए ड्यूटी रिफंड में तेजी।
- मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को बंद होने से बचाने के लिए फाइनेंशियल मदद।
हालांकि, सरकार ने खपत बढ़ाने के लिए कई प्रोडक्ट्स पर GST दरें कम की हैं, लेकिन एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए खास उपाय अभी तक नहीं हुए हैं। GTRI ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द राहत नहीं मिली, तो नौकरियां जाएंगी और 2026 में भारत का व्यापार प्रदर्शन कमजोर हो सकता है।
भारत-अमेरिका ट्रेड डील की उम्मीद
वहीं भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर चर्चा को लेकर पॉजिटिव संकेत मिले हैं। मंगलवार को दोनों देशों के ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ने मुलाकात की और बाइलेट्रल ट्रेड एग्रिमेंट्स को जल्द पूरा करने पर सहमति जताई।
भारत के चीफ नेगोशिएटर राजेश अग्रवाल और अमेरिका के ब्रेंडन लिंच की लीडरशिप में यह चर्चा हुई। पिछले 10 दिनों में ट्रम्प प्रशासन के नरम रुख के साथ यह बातचीत हुई और सूत्रों के मुताबिक, ट्रेड डील को लेकर चर्चा में प्रोग्रेस हुई है।
कॉमर्स मिनिस्ट्री ने कहा, ‘भारत और अमेरिका के बीच व्यापार के महत्व को स्वीकार करते हुए, चर्चा पॉजिटिव रही। दोनों देशों ने आपसी हित के ट्रेड एग्रीमेंट्स को जल्द पूरा करने के लिए प्रयास तेज करने का फैसला किया।’
टाइम्स ऑफ इंडिया के सूत्रों के अनुसार, अगली चर्चा ऑनलाइन होगी और छठे राउंड की वार्ता की तारीखें जल्द तय होंगी। यह वार्ता पहले 25 अगस्त को होनी थी, लेकिन टैरिफ के चलते टल गई थी।
यह बयान एक्सपोर्टर्स के लिए उम्मीद की किरण है, जो 50% टैरिफ हटने की उम्मीद कर रहे हैं। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है, जहां पिछले साल $86 बिलियन का एक्सपोर्ट हुआ था। जिसमें से 40-45% सामान पर अभी ज्यादा टैरिफ लागू है।
आगे क्या होगा?
अगर टैरिफ कम नहीं हुआ, तो भारत के एक्सपोर्ट सेक्टरों को बड़ा झटका लग सकता है। इंडस्ट्री और सरकार को मिलकर तुरंत कदम उठाने होंगे, वरना नौकरियां और व्यापार पर गहरा असर पड़ेगा। हालांकि, भारत-अमेरिका ट्रे़ड डील की प्रोग्रेस से एक्सपोर्टर्स को कुछ राहत की उम्मीद है।
