Markets

Infosys के शेयरों फंसे हुए इनवेस्टर्स बायबैक प्रोग्राम में शेयर टेंडर कर सकते हैं, लेकिन पहले उन्हें टैक्स के नियमों का ध्यान रखना होगा

Infosys के शेयरों फंसे हुए इनवेस्टर्स बायबैक प्रोग्राम में शेयर टेंडर कर सकते हैं, लेकिन पहले उन्हें टैक्स के नियमों का ध्यान रखना होगा

Last Updated on September 13, 2025 20:20, PM by Pawan

इंडिया की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी ने 18,000 करोड़ रुपये के बायबैक प्रोग्राम का ऐलान किया है। यह इंफोसिस का अब तक का सबसे बड़ा बायबैक प्रोग्राम है। इसके तहत कंपनी इनवेस्टर्स से 10 करोड़ शेयर बायबैक करेगी। इसके लिए कंपनी ने प्रति शेयर 1,800 रुपये की कीमत तय की है।

अभी रिकॉर्ड डेट का ऐलान नहीं

अभी कंपनी ने शेयर बायबैक प्रोग्राम के लिए रिकॉर्ड तारीख का ऐलान नहीं किया है। शेयर टेंडर करने की ओपनिंग और क्लोजिंग डेट का भी ऐलान कंपनी बाद में करेगी। 12 सितंबर को इंफोसिस के शेयर 0.95 फीसदी चढ़कर 1,524.10 रुपये पर बंद हुए। इसका मतलब है कि अगर आप बायबैक में अपने शेयर टेंडर करते हैं तो आपको प्रति शेयर करीब 275 रुपये का फायदा होगा। इंफोसिस का शेयर इस साल 19 फीसदी और बीते एक साल में 21 फीसदी से ज्यादा फिसला है। इसे देखते हुए बायबैक की कीमत अट्रैक्टिव लगती है।

लॉस उठाने वाले इनवेस्टर्स शेयर टेंडर कर सकते हैं

इंफोसिस के शेयरों में जो इनवेस्टर्स फंस हुआ महसूस करते हैं, वे बायबैक में अपने शेयर टेंडर कर सकते हैं। लेकिन, ऐसा करने से पहले उन्हें अपने मुनाफे पर टैक्स का कैलकुलेशन कर लेना ठीक रहेगा। 1 अक्टूबर, 2024 से पहले बायबैक पर टैक्स चुकाने की जिम्मेदारी कंपनी की होती थी। लेकिन, यूनियन बजट 2024 में सरकार ने इस नियम को बदल दिया। 1 अक्टूबर, 2024 के बाद बायबैक में शेयर टेंडर करने पर टैक्स चुकाने की जिम्मेदारी इनवेस्टर्स की होगी। बायबैक से हुए मुनाफे को डिविडेंड माना जाएगा। यह टैक्सपेयर्स के ‘इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज’ के तहत आएगा।

प्रॉफिट पर इनवेस्टर्स को चुकाना होगा टैक्स

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर आप इंफोसिस के बायबैक प्रोग्राम में शेयर टेंडर करते हैं तो इससे होने वाले मुनाफे पर आपको टैक्स चुकाना होगा। अगर आप 20 फीसदी टैक्स स्लैब में आते हैं तो 275 रुपये के मुनाफे पर 20 फीसदी टैक्स का मतलब यह है कि आपको प्रति शेयर 55 रुपये टैक्स देना होगा। यह बात ध्यान में रखना जरूरी है कि बायबैक में शेयरों को टेंडर करने पर इनवेस्टर्स कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन को डिडक्ट नहीं कर सकता।

प्रॉफिट शेयरों की आगे की चाल पर निर्भर करेगा

हालांकि, नोशनल कैपिटल लॉस की इजाजत है। कैपिटल गेंस के कैलकुलेशन के लिए मिले हुए ‘कंसिड्रेशन’ को निल माना जाता है। इसका मतलब है कि आपने उन शेयरों के लिए जो कॉस्ट चुकाई है वह कैपिटल गेंस हेड के तहत लॉस माना जाता है। इसे दूसरे कैपिटल गेंस के साथ सेट-ऑफ किया जा सकता है। इसे अगले 8 एसेसमेंट ईयर तक कैरी-फॉरवर्ड किया जा सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंफोसिस के शेयरों को बायबैक में टेंडर करने पर होने वाला फायदा इस बात पर निर्भर करेगा कि आगे शेयरों की चाल कैसी रहती है।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top