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’97 लाख गाड़ियों को स्क्रैप करने से ₹40,000 करोड़ का GST मिल सकता है’ नितिन गडकरी ने ऑटो सेक्टर को दिया सुझाव

’97 लाख गाड़ियों को स्क्रैप करने से ₹40,000 करोड़ का GST मिल सकता है’ नितिन गडकरी ने ऑटो सेक्टर को दिया सुझाव

Last Updated on September 13, 2025 10:55, AM by Pawan

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को एक बड़ा संदेश दिया- अगर देश के सभी 97 लाख बेकार और प्रदूषणकारी वाहनों को स्क्रैप कर दिया जाए, तो भारत को GST के रूप में 40,000 करोड़ रुपए का फायदा हो सकता है। न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के अनुसार, ACMA के सालाना सत्र 2025 में बोलते हुए, गडकरी ने कहा कि इस बड़े सफाई अभियान से न केवल सरकारी राजस्व में बढ़ोतरी होगी, बल्कि 70 लाख नौकरियां भी पैदा होंगी और पांच सालों के भीतर दुनिया का नंबर वन ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री बनने की भारत की कोशिशों को भी बल मिलेगा।

अब तक स्क्रैपिंग पॉलिसी की प्रगति मामूली रही है। अगस्त 2025 तक, केवल 3 लाख गाड़ियों को ही स्क्रैप किया गया है, जिनमें से 1.41 लाख सरकारी गाड़ियां थीं। औसतन, हर महीने 16,830 गाड़ियों को स्क्रैप किया जा रहा है। प्राइवेट सेक्ट ने इस इकोसिस्टम के निर्माण में 2,700 करोड़ रुपए का निवेश किया है।

भारत की वाहन स्क्रैपिंग नीति, जिसे वॉलंटरी व्हीकल मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम (V-VMP) के नाम से में भी जाना जाता है, पुराने, असुरक्षित और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए डिजाइन की गई है।

स्क्रैपेज पर छूट दे ऑटो इंडस्ट्री: नितिन गडकरी

PTI की रिपोर्ट के अनुसार, गडकरी ने ऑटोमोबाइल निर्माताओं से आग्रह किया कि वे नई गाड़ी खरीदते समय स्क्रैपेज सर्टिफिकेट पेश करने वाले ग्राहकों को कम से कम 5 प्रतिशत की छूट देकर स्क्रैपिंग को बढ़ावा दें।

उन्होंने कहा, “यह दान नहीं है, क्योंकि इससे मांग बढ़ेगी,” उन्होंने कहा कि स्क्रैपिंग और रिप्लेसमेंट का साइकल इंडस्ट्री की डिमांड पाइपलाइन को मजबूत बनाए रख सकता है।

स्क्रैपिंग क्यों है जरूरी?

गडकरी के अनुसार, स्क्रैपेज नीति को सही ढंग से लागू करने से ऑटोमोबाइल कलपुर्जों की लागत 25 प्रतिशत तक कम हो सकती है, क्योंकि रिसाइकल स्टील, एल्युमीनियम और दूसरे सामान सप्लाई चेन में वापस आ जाते हैं।

साथ ही, 97 लाख अनुपयुक्त वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने से उत्सर्जन में कमी आएगी, ईंधन की खपत कम होगी और सड़क सुरक्षा मानकों में सुधार होगा।

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