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Stock market : FMCG, ऑटो, इंश्योरेंस और MSMEs को मिला GST का बूस्टर डोज, आज इनमें जोरदार एक्शन की उम्मीद

Stock market : FMCG, ऑटो, इंश्योरेंस और MSMEs को मिला GST का बूस्टर डोज, आज इनमें जोरदार एक्शन की उम्मीद

Last Updated on September 4, 2025 9:14, AM by Khushi Verma

मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार द्वारा ऑटो, एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सहित तमाम सेक्टरों में जीएसटी दरों में बड़ी कटौती की घोषणा के बाद,बाजार से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है। कई लोग सरकार के इस कदम को’ऐतिहासिक दिवाली उपहार’भी कह रहे हैं।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि जीएसटी दरों को 5% और 18% में मिलाने के फैसले से त्योहारी सीजन से पहले एफएमसीजी, ऑटो, इंश्योरेंस , कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और MSMEs जैसे कई सेक्टरों को फायदा होगा।

एलकेपी सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट निनाद जाधव ने कहा, “नई जीएसटी रेजीम में स्लैब को 5% और 18% में मिला दिया गया है, जबकि विलासिता की वस्तुओं के लिए 40% की दर तय की गई है। आवश्यक वस्तुओं, टिकाऊ वस्तुओं और इंश्योरेंस पर टैक्स में बड़ी राहत मिलेगी। इससे एफएमसीजी, ऑटो, इंश्योरेंस और एमएसएमई जैसे सेक्टरों को फायदा होगा। जिससे इनकी मांग बढ़ेगी, नियमों का अनुपालन आसान होगा और त्योहारी सीजन से पहले आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।”

इसी तरह जाइलम पीएमएस के फाउंडर विनीत गाला ने कहा कि यह पूरा पैकेज “बहुत सकारात्मक” है। उन्होंने कहा, “12% और 28% स्लैब को हटाकर सरकार ने अस्पष्टता को कम कर दिया है। इससे भारत दुनिया का सबसे बेहतर टैक्स व्यवस्थाओं के करीब आ गया है।” उन्होंने आगे कहा कि सेंटीमेंट में सुधार हुआ है। आगे हमें टेक्सटाइल, अपेरल, जूते और एफएमसीजी जैसे खपत वाले सेक्टरों में तेजी देखने को मिल सकती है।

उन्होंने आगे कहा कि 2,500 रुपये तक के जूते और कपड़ों पर टैक्स कम होने से त्योहारी मांग बढ़ने की उम्मीद है, जबकि वरिष्ठ नागरिकों के हेल्थ इंश्योंरेंस में छूट और जीवन रक्षक दवाओं पर कटौती से कल्याणकारी योजनाओं को बल मिलेगा।

गाला ने यह भी कहा की जीएसटी काउंसिल द्वारा इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत सात दिनों के भीतर रिफंड का भुगतान करने का आश्वासन एक और प्रोत्साहन है। हालांकि कारोबारियों को प्राइसिंग, स्टॉक रिवैल्यूएशन और अनुपालन संबंधी शॉर्ट टर्म एडजस्टमेंट सामना करना पड़ेगा। लेकिन कुल मिला कर ये सुधार बाजार के अनुकूल हैं। इससे उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा। खपत बढ़ेगी और लॉन्ग टर्म ग्रोथ में सहायता मिलेगी।

खाने-पीने की चीजों में पनीर, मक्खन, घी, तेल, मिष्ठान्न, चॉकलेट, पास्ता, पेस्ट्री, केक, बिस्कुट, कॉफी, आइसक्रीम, जैम, पेयजल, फलों का रस और दूध युक्त पेय पदार्थों पर 22 सितंबर से जीएसटी कम हो जाएगा।

इसके अलावा, कई घरेलू प्रोडक्ट्स पर जीएसटी की दर उच्च स्लैब से घटाकर केवल 5% कर दी गई है। हेयर ऑयल, शैम्पू, टूथपेस्ट, टॉयलेट सोप, शेविंग क्रीम और टूथब्रश पर अब 18% की जगह 5% की दर से जीएसटी लगेगा।

ओम्नीसाइंस कैपिटल के सीईओ विकास गुप्ता ने कहा कि जूते और अपेरल में टैक्स कटौती का मांग और आपूर्ति दोनों पर “दोहरा प्रभाव” पड़ेगा। उन्होंने कहा,”उपभोक्ताओं को कम कीमतों का फायदा मिलने की संभावना है, जिससे मांग में बढ़त होगी। अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित निर्यातक भी कुछ अपनी कुछ सप्लाई घरेलू बाजार की और मोड़ सकते हैं, जहां मांग में मामूली बढ़त भी टैरिफ के दबाव को झेलने के लिए पर्याप्त होगी।”

उन्होंने बताया कि भारत में फुटवियर का घरेलू बाजार लगभग 30 से 35 अरब डॉलर का है। यह 30-50 करोड़ डॉलर के अमेरिकी निर्यात बाजार की तुलना में बहुत ज़्यादा है। गुप्ता ने आगे कहा, “इसी तरह, अमेरिका को होने वाला कपड़ा निर्यात 10 अरब डॉलर का है, जबकि इसका घरेलू बाजार लगभग 110 अरब डॉलर का है।” उन्होंने यह भी कहा कि रिफंड में तेज़ी लाने की सरकार के कमिटमेंट से नकदी की स्थिति और सेंटीमेंट में सुधार होगा।

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