Last Updated on September 4, 2025 15:58, PM by Khushi Verma
Stock Split: ऑटो कंपोनेंट बनाने वाली कंपनी Rolex Rings के निवेशकों के लिए बड़ा अपडेट है. कंपनी ने स्टॉक स्प्लिट की घोषणा की है. गुरुवार, 4 सितंबर 2025 को हुई अपनी बोर्ड मीटिंग में इक्विटी शेयरों के सब-डिवीजन/स्टॉक स्प्लिट को मंजूरी दी है. कंपनी ने मौजूदा ₹10 फेस वैल्यू वाले एक इक्विटी शेयर को ₹1 फेस वैल्यू के 10 शेयरों में विभाजित करने का फैसला लिया है. इस कदम से कंपनी के शेयरधारकों के लिए शेयरों की एक्सेसिबिलिटी और लिक्विडिटी बढ़ेगी.
कंपनी ने अपनी घोषणा में क्या कहा?
कंपनी ने स्पष्ट किया है कि यह फैसला शेयरधारकों की मंजूरी के लिए आगामी 23वीं वार्षिक आम बैठक (AGM) में रखा जाएगा. साथ ही, इसके लिए जो जरूरी अप्रूवल लेने हैं, वो भी लिए जाएंगे. स्टॉक स्प्लिट के लिए रिकॉर्ड डेट का ऐलान कंपनी बाद में करेगी.
बोर्ड की मंजूरी के बाद, कंपनी ने अपने मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन (MOA) में कैपिटल स्ट्रक्चर में संशोधन किया है. इसके अनुसार, अब कंपनी की ऑथराइज्ड शेयर कैपिटल ₹56 करोड़ होगी, जिसमें शामिल होंगे-
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- 35.02 करोड़ इक्विटी शेयर (₹1 फेस वैल्यू प्रत्येक) कुल ₹35.02 करोड़
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- 1.59 करोड़ नॉन-कन्वर्टिबल रिडीमेबल प्रेफरेंस शेयर (₹10 फेस वैल्यू) कुल ₹15.97 करोड़
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- 50 लाख ऑप्शनली कन्वर्टिबल रिडीमेबल प्रेफरेंस शेयर (₹10 फेस वैल्यू) कुल ₹5 करोड़
निवेशकों को कैसे होगा फायदा?
स्टॉक स्प्लिट के बाद से छोटे निवेशकों के लिए शेयर में एंट्री लेना आसान होगा और शेयर का फ्री-फ्लोट और लिक्विडिटी भी बढ़ेगी. आमतौर पर स्टॉक स्प्लिट को पाॉजिटिव तौर पर देखा जाता है. मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि आमतौर पर जब किसी कंपनी के शेयर की कीमत ऊंची हो जाती है तो छोटे निवेशकों के लिए उसमें निवेश करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में स्टॉक स्प्लिट से शेयर की कीमत फेस वैल्यू घटने के अनुपात में कम हो जाती है, जिससे निवेशकों का दायरा बढ़ता है.
स्टॉक स्प्लिट से शेयर में लिक्विडिटी बढ़ेगी, क्योंकि ज्यादा संख्या में शेयर मार्केट में उपलब्ध होंगे. छोटे निवेशकों की पहुंच आसान होगी, जिससे डिमांड में इजाफा हो सकता है. वॉल्यूम में तेजी आ सकती है, जिससे ट्रेडिंग और एक्टिव हो सकती है.
शेयर की प्राइसिंग पर भी पड़ेगा असर
स्टॉक स्प्लिट का मतलब यह नहीं है कि कंपनी का वैल्यूएशन बदल जाएगा. कंपनी की कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन वही रहती है, लेकिन शेयरों की संख्या बढ़ जाती है और कीमत अनुपातिक रूप से घट जाती है. उदाहरण के तौर पर, अगर किसी निवेशक के पास 1 शेयर ₹10 फेस वैल्यू का है, तो स्प्लिट के बाद उसके पास 10 शेयर ₹1 फेस वैल्यू वाले होंगे. शेयर की कीमत भी उसी अनुपात में एडजस्ट हो जाएगी, लेकिन निवेशक की कुल होल्डिंग वैल्यू में कोई बदलाव नहीं होगा.
