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बड़ी ऑटो कंपनियों के शेयरों में निवेश से बनेगा पैसा, अनिल रेगो ने बताई इसकी स्पष्ट वजह

बड़ी ऑटो कंपनियों के शेयरों में निवेश से बनेगा पैसा, अनिल रेगो ने बताई इसकी स्पष्ट वजह

Last Updated on September 3, 2025 11:47, AM by Khushi Verma

अगर आपको यह समझ नहीं आ रहा कि अभी कहां पैसे लगाने पर ज्यादा कमाई होगी तो आपको अनिल रेगो की बात पर गौर करने की जरूरत है। रेगो राइट हराइजंस पीएमएस के फाउंडर और फंड मैनेजर हैं। उनका मानना है कि लार्जकैप ऑटो स्टॉक्स में रिस्क-रिवॉर्ड बढ़ा है। इसका फायदा उठाने के लिए उन्होंने खुद बड़ी ऑटो कंपनियों के शेयरों में निवेश बढ़ाया है। मनीकंट्रोल से बातचीत में उन्होंने स्टॉक मार्केट्स, इनवेस्टमेंट, ट्रंप के टैरिफ और आरबीई की मॉनेटरी पॉलिसी सहित कई मसलों पर खुलकर चर्चा की।

उन्होंने कहा कि लार्जकैप ऑटो शेयरों में उन्होंने खुद निवेश बढ़ाया है। हालिया रिफॉर्म्स से पैसेंजर व्हीकल्स और टू-व्हीलर्स की की कीमतों में कमी आएगी। ज्यादातर मामलों में जीएसटी 28 फीसदी से घटकर 18 फीसदी होने वाली है। टैक्स में कमी और आगे त्योहारी सीजन से व्हीकल्स की डिमांड बढ़ेगी। खासकर शहरी इलाकों में डिमांड में उछाल देखने को मिलेगा, जहां कीमतों को लेकर लोग संवेदनशील हैं। जीएसटी में कमी से लोगों के हाथ में ज्यादा पैसे बचेंगे। इसका जीडीपी पर पॉजिटिव असर पड़ेगा। इससे जीडीपी में 20-50 फीसदी तक इजाफा हो सकता है।

रेगो ने कहा कि जीएसटी में कमी से ऑटो सेक्टर की वॉल्यूम हाई बनी रह सकती है। उन्होंने कहा कि हालांकि शॉर्ट टर्म में इनवेंट्री चैनल की वजह से ग्राहकों को टैक्स घटने का तुरंत फायदा न मिले, लेकिन मीडियम टर्म में उन्हें इसका फायदा मिलेगा। टैक्स कम होने से लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी इसका पॉजिटिव असर डिमांड पर पड़ेगा। इस वजह से बड़ी ऑटो कंपनियों में रिस्क-रिवॉर्ड बेहतर होता दिख रहा है। इस स्ट्रक्चरल और साइक्लिकल बदलाव का फायदा उठाने के लिए हमने बड़ी ऑटो कंपनियों के शेयरों में निवेश बढ़ाया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के बारे में उन्होंने कहा कि अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने से इंडिया में ग्रोथ को लेकर रिस्क बढ़ा है। खासकर उन सेक्टर पर ज्यादा असर पड़ेगा जो ज्यादा एक्सपोर्ट करते हैं। लेकिन, जीएसटी में कमी से इस नुकसान की कुछ हद तक भरपाई होगी। टैक्स घटने से लोगों की खर्च करने योग्य इनकम बढ़ेगी। इससे कंजम्प्शन बढ़ेगा। अगर जीएसटी में कमी का पूरा फायदा ग्राहकों को दिया जाता है तो इससे जीएसटी में 20-50 फीसदी इजाफा हो सकता है। अगर आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी की बात की जाए तो केंद्रीय बैंक पहले से ही इंटरेस्ट साइकिल को उदार बना रहा है।

उन्होंने कहा कि अगर ट्रंप के टैरिफ का असर लंबे समय तक जारी रहता है तो आरबीआई के पास ग्रोथ बढ़ाने की गुंजाइश है। लेकिन, जीएसटी में कमी से सरकार का डेफिसिट बढ़ने की आशंका है। इसका असर पूंजीगत खर्च पर भी पड़ेगा। ऐसे में इकोनॉमी में स्टैबिलिटी बनाए रखने के लिए आरबीआई को इटरेस्ट रेट में कमी करने में सावधानी बरतनी होगी। बाजार अभी ‘इंतजार करो और देखो’ की पॉलिसी अपना रहा है। वह देखना चाहता है कि जीएसटी में कमी कब और कितनी की जाती है। जीएसटी में कमी के ऐलान से सेंटिमेंट पर पॉजिटिव असर पड़ा है। लेकिन, इनवेस्टर्स इसलिए सावधानी बरत रहे हैं, क्योंकि पहले हुए रिफॉर्म्स एक बार की बजाय चरणों में हुए हैं।

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