Last Updated on August 29, 2025 14:56, PM by Khushi Verma
मुंबई2 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए GDP का इस्तेमाल होता है। ये देश के भीतर एक तय समय में बनाए गए सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को दिखाती है।
पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून 2025 का GDP डेटा आज 29 अगस्त को जारी होगा। इस बार GDP ग्रोथ 6.7% रहने का अनुमान है, जो पिछले साल की समान तिमाही के 7.8% से कम है।
इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत के निर्यात पर लगाए गए 50% टैरिफ, शहरी मांग में कमी और निजी निवेश की सुस्ती।
गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि इससे भारत की GDP ग्रोथ पर 0.3% का असर पड़ सकता है। HSBC के अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी का अनुमान है कि GDP ग्रोथ 0.7% तक कम हो सकती है।
RBI ने FY26 का GDP अनुमान 6.5% बरकरार रखा
6 अगस्त को भारतीय रिजर्व बैंक ने मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में FY26 के लिए इकोनॉमी ग्रोथ का अनुमान 6.5% पर बरकरार रखा था। RBI गवर्नर ने कहा था- मानसून सीजन अच्छा चल रहा है। साथ ही, त्योहारों का सीजन भी नजदीक आ रहा है।
ये अनुकूल माहौल, सरकार और रिजर्व बैंक की सहायक नीतियों के साथ, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए निकट भविष्य में अच्छा संकेत देता है। भले ही ग्लोबल ट्रेड की चुनौतियां बनी हुई हैं, लेकिन भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं कुछ हद तक कम हुई हैं।

GST स्लैब में बदलाव से इकोनॉमी को बूस्ट मिल सकता है
वित्त मंत्रालय ने GST स्लैब को 4 से घटाकर 2 करने की योजना बनाई है, ताकि घरेलू खपत को बढ़ावा मिले। इससे इकोनॉमी को बूस्ट मिल सकता है। इसके अलावा, निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 25,000 करोड़ रुपए के निर्यात प्रोत्साहन मिशन और निर्यात लोन पर मोरेटोरियम जैसे कदमों पर विचार हो रहा है।
बीते 5 साल का GDP का हाल
- 2020: -5.8% (कोविड-19 महामारी के कारण गिरावट)
- 2021: 9.7% (महामारी के बाद स्ट्रॉन्ग रिबाउंड का संकेत)
- 2022: 7.0% (स्थिर विकास)
- 2023: 8.2% (आर्थिक सुधार जारी)
- 2024: 6.5% (ग्रोथ में कमी का अनुमान, फिर भी मजबूत वृद्धि)
GDP क्या है?
इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए GDP का इस्तेमाल होता है। ये देश के भीतर एक तय समय में बनाए गए सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को दिखाती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं उन्हें भी शामिल किया जाता है।
दो तरह की होती है GDP
GDP दो तरह की होती है। रियल GDP और नॉमिनल GDP। रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है। फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। वहीं नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करंट प्राइस पर किया जाता है।
कैसे कैलकुलेट की जाती है GDP?
GDP को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। GDP=C+G+I+NX, यहां C का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, G का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, I का मतलब इन्वेस्टमेंट और NX का मतलब नेट एक्सपोर्ट है।
GDP की घट-बढ़ के लिए जिम्मेदार कौन है?
GDP को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं। पहला है, आप और हम। आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है। दूसरा है, प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ। ये GDP में 32% योगदान देती है। तीसरा है, सरकारी खर्च।
इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका GDP में 11% योगदान है। और चौथा है, नेट डिमांड। इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है, क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट GPD पर निगेटिव ही पड़ता है।
