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Income Tax: बैंक अकाउंट में आए डिविडेंड और AIS में दिखने वाले डिविडेंड अमाउंट में फर्क है, मुझे आईटीआर में किस इंफॉर्मेशन का इस्तेमाल करना चाहिए?

Income Tax: बैंक अकाउंट में आए डिविडेंड और AIS में दिखने वाले डिविडेंड अमाउंट में फर्क है, मुझे आईटीआर में किस इंफॉर्मेशन का इस्तेमाल करना चाहिए?

Last Updated on August 28, 2025 16:01, PM by Khushi Verma

शेयरों और म्यूचुल फंड की स्कीम में निवेश करने पर डिविडेंड मिलता है। यह पैसा सीधे बैंक अकाउंट में क्रेडिट होता है। टैक्सपेयर की टोटल इनकम समरी (टीआईएस) और एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (एआईएस) में भी डिविडेंस इनकम की जानकारी होती है। टैक्सपेयर को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त डिविडेंड से हुई इनकम को ध्यान में रखना जरूरी है। दिक्कत तब आती है जब टैक्सपेयर के बैंक अकाउंट में क्रेडिट हुए डिविडेंड अमाउंट और टीआईएस या एआईएस में दिखने वाले डिविडेंड के अमाउंट में फर्क होता है। सवाल है कि ऐसी स्थिति में किस इंफॉर्मेशन का इस्तेमाल आईटीआर फाइल करने के लिए करना चाहिए? मनीकंट्रोल ने इस सवाल का जवाब चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश सुराणा से पूछा।

सुराणा ने कहा कि अगर शेयरों या म्यूचुअल फंड से डिविडेंड मिला है तो उसके ग्रॉस अमाउंट की जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में देना जरूरी है। ग्रॉस डिविडेंड का मतलब टीसीएस के डिडक्शन से पहले के डिविडेंड अमाउंट से है। बैंक अकाउंट में जो डिविडेंड क्रेडिट होता है वह नेट डिविडेंड होता है। इसका मतलब है कि उस पर टीसीएस काटा गया होता है। TIS/AIS में ग्रॉस डिविडेंड और नेट डिविडेंड दोनों की जानकारियां शामिल हो सकती हैं। एआईएस में इंटरमीडियरीज की तरफ से भेजे गए टैक्सपेयर के फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन की जानकारी शामिल होती है।

उन्होंने कहा कि कई बार एआईएस में बताए गए डिविडेंड अमाउंट और बैंक अकाउंट में क्रेडिट डिविडेंड अमाउंट के बीच फर्क होता है। इसी तरह TDS/TCS के डेटा से सिर्फ काटे गए टैक्स का पता का पता चलता है न कि टोटल इनकम का। टैक्सपेयर्स के लिए आईटीआर में ग्रॉस डिविडेंड इनकम बताना जरूरी है। टैक्सपेयर फॉर्म 26एएस/TIS में दिखने वाले टीडीएस अमाउंट को बतौर क्रेडिट क्लेम कर सकता है। टैक्सपेयर्स के लिए बैंक अकाउंट में क्रेडिट हुए डिविडेंड अमाउंट और फॉर्म 26एएस/TIS में दिखने वाले डिविडेंड अमाउंट को मैच कराना जरूरी है। इससे आईटीआर में सभी इनकम की सही जानकारी जाती है और टैक्सपेयर के लिए टीडीएस क्रेडिट क्लेम करने का विकल्प खुला रहता है।

अगर दोनों इंफॉर्मेशन को मैच कराने के दौरान किसी तरह का फर्क दिखता है को AIS पोर्टल पर फीडबैक सब्मिट किया जा सकता है। फीडबैक ऑप्शन का इस्तेमाल कर एक साथ कई ट्रांजेक्शन को करेक्ट कराया जा सकता है। इससे आगे किसी तरह के कनफ्यूजन की गुंजाइश नहीं रह जाती है। इससे टैक्सपेयर्स को भी यह आत्मविश्वास रहता है कि उसने आईटीआर में डिविडेंड इनकम की जो जानकारी दी है, वह सही है।

डिसक्लेमर: मनीकंट्रोल पर एक्सपर्ट्स की तरफ से जो विचार व्यक्त किए जाते हैं वे उनके अपने विचार होते हैं। ये इस वेबसाइट या इसके मैनेजमेंट के विचार नहीं होते। मनीकंट्रोल किसी तरह के निवेश का फैसला लेने से पहले  यूजर्स को सर्टिफायड एक्सपर्ट की राय लेने की सलाह देता है।

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