Last Updated on August 27, 2025 12:43, PM by Khushi Verma
HSBC ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (ओएमसी) चालू वित्त वर्ष 2026 में तेल की कम कीमतों और एलपीजी घाटे में कमी के कारण मजबूत आय दर्ज करेंगी. एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च का कहना है कि कम तेल कीमतों और बड़े कैपेक्स प्लान से ओएमसी को सुरक्षा का अच्छा मार्जिन मिल रहा है, जिससे अनुमानित आय का स्तर बरकरार रहेगा. फिलहाल ऑटो फ्यूल मार्केटिंग मार्जिन 5-9 रुपए प्रति लीटर पर है, जो आय के लिए पॉजिटिव संकेत है.
एलपीजी घाटे और सरकारी पेआउट पर नजर
रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लोबल एलपीजी कीमतों में कमी से घाटे में काफी राहत मिली है. वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही की तुलना में मौजूदा समय में प्रति सिलेंडर एलपीजी घाटा 30-40% घटा है. इसके चलते अंडर-रिकवरी का दबाव कम होगा. हालांकि सरकार की ओर से एलपीजी घाटे की भरपाई के लिए प्रस्तावित 300 अरब रुपए प्रावधान की स्पष्टता का इंतजार है. रिपोर्ट का मानना है कि ये पॉजिटिव ट्रेंड आय अनुमान के लिए ऊपर की ओर रिस्क पैदा करते हैं.
रिफाइनिंग मार्जिन और इन्वेंट्री असर
ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन (GRM) अभी लॉन्ग टर्म ऐवरेज से नीचे है. अगर रूसी कच्चे तेल के मिश्रण में बड़ा बदलाव नहीं होता, तो रिफाइनिंग प्रॉफिटेबिलिटी पिछली साल से मजबूत रह सकती है. वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में पहले ही इन्वेंट्री लॉस दर्ज हो चुका है, लेकिन ब्रेंट की कीमतें 65-67 डॉलर प्रति बैरल रहने से भविष्य में इन्वेंट्री शॉक की संभावना कम मानी जा रही है. कम तेल कीमतें वर्किंग कैपिटल में भी राहत देंगी, जिससे उधारी की जरूरत घटेगी.
कंपनियों के नतीजे और रूसी तेल का असर
तिमाही आधार पर HPCL और BPCL का नेट प्रॉफिट 30% और 90% बढ़ा, जबकि Indian Oil को इन्वेंट्री प्रभाव के कारण 20% गिरावट का सामना करना पड़ा. रिपोर्ट बताती है कि तीनों ओएमसी का रूसी कच्चे तेल का मिश्रण अलग-अलग है, लेकिन बदलाव केवल आर्थिक कारणों से होंगे. वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में रूसी क्रूड डिस्काउंट घटकर 1.5-2 डॉलर प्रति बैरल रह गया है. साथ ही, वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही के 120 अरब रुपए के मुकाबले एलपीजी घाटा घटकर 80 अरब रुपए पर आ गया है और मार्केटिंग मार्जिन में सुधार दिखा है
