Last Updated on August 27, 2025 23:17, PM by Pawan
सरकार ने अमेरिका के 50 फीसदी टैरिफ के असर के बारे में बड़ा बयान दिया है। 27 अगस्त को फाइनेंस मिनिस्ट्री ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी की ग्रोथ घटने की आशंका है, जिससे कमोडिटी की कीमतें नियंत्रण में रह सकती हैं। इससे अमेरिकी टैरिफ से होने वाले नुकसान की कुछ हद तक भरपाई होगी। हालांकि मिनिस्ट्री ने कहा कि इंडिया की ग्रोथ के लिए रिस्क तभी घटेगा जब अमेरिका के साथ डील को लेकर बातचीत जारी रहेगी।
फाइनेंस मिनिस्ट्री ने जुलाई के मंथली इकोनॉमिक रिव्यू में इकोनॉमी के बारे में कई अहम बातें बताई हैं। उसने कहा है कि अमेरिकी टैरिफ का एक्सपोर्ट पर शॉर्ट टर्म में पड़ने वाला असर सीमित रह सकता है। लेकिन, इसका इकोनॉमी पर ज्यादा सेकेंडरी इफेक्ट हो सकता है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। उसने कहा है कि इसके लिए अमेरिका से ट्रेड को लेकर होने वाली बातचीत काफी अहम है। इस महीने के आखिर में बातचीत के लिए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल इंडिया आने वाला था। लेकिन, बाद में उसका कार्यक्रम रद्द हो गया।
फाइनेंस मिनिस्ट्री का मानना है कि आर्थिक गतिविधियों, खासकर एक्सपोर्ट्स और कैपिटल फॉर्मेशन पर यूएस टैरिफ के असर को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। लेकिन, अगर सरकार और प्राइवेट सेक्टर मिलकर कोशिश करते हैं तो असर को काफी सीमित रखा जा सकता है। उसने यह भी कहा है कि ऐसे झटके हमें मजबूत और फुर्तीला बनाते हैं। अगर शॉर्ट टर्म में पड़ने वाले असर को ऐसी बड़ी कंपनियां संभाल लेती हैं, जिनके पास वित्तीय ताकत और क्षमता है तो छोटी और मध्यम कंपनियां इस क्राइसिस से ताकतवर बनकर उभर सकती हैं।
फाइनेंस मिनिस्ट्री ने बताया है कि इंडिया वैश्विक स्तर पर डायवर्सिफिकेशन और स्ट्रेटेजी में हो रहे बदलाव को देखते हुए डायवर्सिफायड ट्रेड स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल कर रही है। इससे ट्रेड का प्रदर्शन बेहतर बना रह सकता है। इसमें हाल में कई देशों के साथ किया गया फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट शामिल है। इंडिया में हाल में यूके के साथ ऐसा एग्रीमेंट किया है। अमेरिका, ईयू, न्यूजीलैंड, चिली और पेरू से फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट के लिए बातचीत चल रही है। लेकिन, इन कोशिशों के नतीजें आने में समय लगेगा। साथ ही इससे अमेरिका को एक्सपोर्ट में आई गिरावट की पूरी भरपाई नहीं हो सकेगी।
सरकार का मानना है कि घरेलू मोर्चे पर कई चीजें बेहतर दिख रही हैं। मानसून की बारिश औसत से ज्यादा रही है। रिटेल इनफ्लेशन के आगे भी नियंत्रण में बने रहने की उम्मीद है। क्रूड ऑयल की कीमतों में स्थिरता है। इससे अनाज की कीमतें नरम बनी रह सकती हैं। सरकार घरेलू कैपेसिटी में वृद्धि, एक्सपोर्ट्स में इजाफा और सप्लाई चेन में डायवर्सिफिकेशन के जरिए रिस्क को घटाने की कोशिश कर रही है। इंपोर्ट के वैकल्पिक स्रोत तलाशे जा रहे हैं। इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने के लिए रिफॉर्म्स पर फोकस बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए सरकार ने एक टास्क फोर्स बनाय है, जो अगली पीढी के रिफॉर्म्स के बारे में सुझाव देगा।
