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अमेरिका के हाई टैरिफ़ से भी सुरक्षित है बॉन्‍ड बाजार, इस रिपोर्ट में सामने आया ग्रोथ का पूरा प्लान | Zee Business

अमेरिका के हाई टैरिफ़ से भी सुरक्षित है बॉन्‍ड बाजार, इस रिपोर्ट में सामने आया ग्रोथ का पूरा प्लान | Zee Business

Last Updated on August 27, 2025 16:01, PM by Khushi Verma

 

भारत और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव के बीच आज, 27 अगस्त, से भारतीय निर्यातों पर 50% का भारी-भरकम टैरिफ लागू हो गया है. इस खबर से जहां एक तरफ निर्यात पर आधारित उद्योगों में चिंता की लहर है, वहीं दूसरी तरफ फाइनेंशियल मार्केट से एक राहत भरी रिपोर्ट सामने आई है. दुनिया की जानी-मानी रिसर्च फर्म बार्कलेज (Barclays Research) का कहना है कि इस टैरिफ बढ़ोतरी का भारत के कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार पर कोई खास या बड़ा असर पड़ने की संभावना नहीं है. तो सवाल ये उठता है कि जब देश के निर्यात पर इतना बड़ा हमला हो रहा है, तो फिर कॉर्पोरेट जगत इतना शांत और मजबूत कैसे बना हुआ है? चलिए, इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझते हैं.

क्या कहती है बार्कलेज की रिपोर्ट?

बार्कलेज रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि अमेरिकी टैरिफ बढ़ने से भारतीय कॉरपोरेट क्रेडिट मजबूत बना रहेगा. रिपोर्ट के मुताबिक, इस 50% टैरिफ के बाद भारतीय निर्यात पर अमेरिका का ट्रेड-वेटेड टैरिफ रेट 20.6% से बढ़कर 35.7% हो गया है, जो 2025 की शुरुआत में सिर्फ 2.7% था. इसकी तुलना में, भारत अमेरिकी उत्पादों पर औसतन सिर्फ 9.4% का टैरिफ लगाता है. इन बड़े आंकड़ों के बावजूद, रिपोर्ट में सामने आया है कि भारतीय कंपनियों का आधार इतना मजबूत है कि वो इस झटके को आसानी से झेल सकती हैं.

कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार इतना मजबूत क्यों है?

कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार की मजबूती के दो मुख्य कारण हैं:

कंपनियों की मजबूत वित्तीय स्थिति (Strong Fundamentals)

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भारतीय कॉर्पोरेट जगत की बैलेंस शीट पिछले कुछ सालों में काफी मजबूत हुई है. ज्यादातर बड़ी कंपनियों पर कर्ज कम है, मुनाफा अच्छा है और वो सिर्फ अमेरिकी निर्यात पर ही पूरी तरह से निर्भर नहीं हैं.

घरेलू फंडिंग तक आसान पहुंच (Access to Domestic Funding)

ये सबसे बड़ा कारण है. भारतीय कंपनियों को अपना कारोबार चलाने या बढ़ाने के लिए पैसा जुटाने के लिए विदेशी बाजारों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है. भारत का अपना घरेलू बॉन्ड बाजार बहुत बड़ा और गहरा है, जहां से उन्हें आसानी से पैसा मिल जाता है.

किन सेक्टरों पर असर, और किन्हें मिली है राहत?

इस टैरिफ का असर सभी उद्योगों पर एक जैसा नहीं पड़ेगा.

प्रभावित होने वाले सेक्टर

रत्न एवं आभूषण, कपड़ा, इलेक्ट्रिकल मशीनरी और इंजीनियरिंग गुड्स जैसे श्रम-प्रधान (जिनमें ज्यादा लोग काम करते हैं) उद्योगों पर इसका असर होगा, क्योंकि इनका निर्यात अमेरिका में बहुत ज्यादा है.

इन्‍हें मिली है राहत

स्मार्टफोन, पेट्रोलियम और फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट्स को इस 50% टैरिफ से छूट दी गई है. इससे भारत के इन बड़े और महत्वपूर्ण उद्योगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

पर्दे के पीछे चल रही है कूटनीति

इस व्यापारिक तनातनी के बीच, दोनों देशों के बीच बातचीत के रास्ते बंद नहीं हुए हैं. हाल ही में दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच एक वर्चुअल ‘2+2 अंतर-सत्रीय वार्ता’ हुई. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और अन्य अधिकारियों की तीखी टिप्पणियों के विपरीत, इस बैठक के बाद जारी हुए बयानों में भारत-अमेरिका संबंधों के भविष्य को लेकर काफी सकारात्मक रुख दिखाया गया.

किन मुद्दों पर हुई चर्चा

दोनों देशों ने महत्वपूर्ण खनिज, व्यापार और निवेश, ऊर्जा सुरक्षा और आतंकवाद को खत्म करने जैसे कई मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की. ये दिखाता है कि पर्दे के पीछे कूटनीतिक स्तर पर तनाव को कम करने और समाधान खोजने की कोशिशें जारी हैं.

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार क्या होता है.

जवाब: ये एक ऐसा बाजार है जहां बड़ी-बड़ी कंपनियां आम जनता और संस्थाओं से पैसा उधार लेने के लिए बॉन्ड जारी करती हैं. बॉन्ड एक तरह का लोन सर्टिफिकेट होता है. अगर यह बाजार मजबूत है, तो इसका मतलब है कि कंपनियों को आसानी से पैसा मिल रहा है और अर्थव्यवस्था में विश्वास बना हुआ है.

2. अगर निर्यात घटेगा, तो कंपनियों पर असर क्यों नहीं पड़ेगा.

जवाब: असर पड़ेगा, लेकिन सिर्फ उन कंपनियों पर जो बहुत ज्यादा निर्यात पर निर्भर हैं. भारत की ज्यादातर बड़ी कंपनियों की आय का एक बड़ा हिस्सा घरेलू बाजार से आता है. इसलिए, निर्यात में थोड़ी गिरावट को वो घरेलू बिक्री से संतुलित कर सकती हैं.

3. क्या इस टैरिफ का असर भारत के शेयर बाजार पर पड़ेगा.

जवाब: हां, इसका असर शेयर बाजार पर दिख सकता है, खासकर कपड़ा, रत्न एवं आभूषण और इंजीनियरिंग क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिल सकती है.

4. अमेरिका-भारत 2+2 वार्ता क्या है.

जवाब: ये भारत और अमेरिका के बीच एक उच्च-स्तरीय संस्थागत संवाद है, जिसमें दोनों देशों के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री (या उनके प्रतिनिधि) हिस्सा लेते हैं. इसमें रणनीतिक और सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा होती है.

5. क्या भविष्य में फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स पर भी टैरिफ लग सकता है.

जवाब: हां, इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. अमेरिका ने इन क्षेत्रों को फिलहाल छूट दी है, लेकिन ये भविष्य में अपनी रणनीति बदल सकता है

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